नेताजी सुभाष चंद्र बोस को महान स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर तो याद किया जाता है लेकिन वह भारतीय सिविल सेवा (ICS – Indian Civil Services) के अधिकारी भी थे और उन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए ICS से इस्तीफा दे दिया था। यह सेवा आज की IAS सेवा जैसी है और उस समय ICS की नौकरी ब्रिटिश साम्राज्य की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक मानी जाती थी। लेकिन उनके भीतर देशभक्ति का जज्बा ऐसा था जिसके सामने कोई भी ‘प्रतिष्ठित सेवा’, ‘राष्ट्र सेवा’ से बड़ी नहीं थी। आज ही के दिन यानी 22 अप्रैल को नेताजी ने ICS से अपना इस्तीफा दे दिया था।
नेताजी ने फिलॉसफी ऑनर्स के साथ BA की परीक्षा फर्स्ट क्लास से पास की थी और वह ‘एक्सपेरीमेंटल साइकोलॉजी’ में मास्टर्स करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उनके पिता और भाई ने उन्हें ICS की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजने का फैसला किया था। सुभाष को इंग्लैंड जाने का मन था लेकिन वह ICS नहीं बनना चाहते थे क्योंकि वे ब्रिटिश सरकार के अधीन काम नहीं करना चाहते थे। उन्हें लगा कि वे शायद परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे तो इसलिए वे इंग्लैंड चले गए।

1920 की शुरुआत में सुभाष चंद्र बोस ने ICS परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी और परीक्षा की तैयारी के लिए उनके पास केवल सात महीने बचे थे। उन्हें परीक्षा पास करने की उम्मीद नहीं थी लेकिन जब परिणाम आए तो वे खुद भी हैरान रह गए। बोस को परिणामों में चौथी रैंक मिली थी। हालांकि, उनके मन में नौकरी को लेकर ज्यादा दुविधा नहीं थी और उन्होंने तय कर लिया था कि वे जल्द ही इससे इस्तीफा दे देंगे। बोस का मानना था कि देश की आज़ादी के लड़ाई में कई तरह के त्याग करने होंगे और वे इसकी शुरुआत त्याग से ही करना चाहते थे। 22 अप्रैल 1921 को बोस ने एडविन मोंटागू (तत्कालीन राज्य सचिव) को पत्र लिखकर ICS से इस्तीफा दे दिया। उस समय उनकी आयु केवल 24 वर्ष थी।
सुभाष चंद्र बोस ने अपने इस्तीफे में लिखा, “मैं अपना नाम भारतीय सिविल सेवा में प्रोबेशनरों की सूची से हटवाना चाहता हूं। मैं इस संबंध में यह बताना चाहता हूं कि मेरा चयन वर्ष 1920 में आयोजित एक खुली प्रतियोगी परीक्षा के परिणामस्वरूप हुआ था। मुझे अब तक केवल 100 पाउंड का भत्ता मिला है। जैसे ही मेरा इस्तीफा स्वीकार हो जाएगा, मैं यह राशि भारत कार्यालय को दे दूंगा।”
1921 :: Netaji Subhas Chandra Bose Resigns From Indian Civil Service
Resignation Letter of Netaji Subhas Chandra Bose pic.twitter.com/WBrSimJ5E5
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) January 23, 2024
इस्तीफा देने के बाद बोस भारत लौट आए। बोस भारतीय जहाज पर सवार हुए और 16 जुलाई 1921 को बंबई (अब मुंबई) पहुंच गए उसी दिन वे मोहन दास करम चंद गांधी से मिले। उसी जहाज में बोस के साथ रवींद्रनाथ टैगोर भी भारत से लौटे थे। सुभाष चंद्र बोस ने ICS में चौथा स्थान तो प्राप्त किया ही साथ ही उन्होंने कैम्ब्रिज से मानसिक और नैतिक विज्ञान में ट्राइपोज़ की डिग्री भी प्राप्त की थी। भारत लौटने के बाद बोस आज़ादी की लड़ाई में जुट गए और 18 अगस्त 1945 को अंतर्ध्यान होने से पहले तक वे लगातार आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे।