मुर्शिदाबाद में भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त बयान से पश्चिम बंगाल की राजनीति गरमा गई है। योगी ने ममता सरकार पर “तुष्टिकरण की आड़ में दंगाइयों को संरक्षण देने” का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें “सबसे बड़ा भोगी” कहकर विवाद को और उग्र बना दिया।
वहीं, बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए साफ कहा कि बंगाल अब और इंतज़ार नहीं कर सकता “हिंदुओं की रक्षा के लिए बंगाल को योगी जैसे मुख्यमंत्री की जरूरत है।” सुवेंदु अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि मुर्शिदाबाद की यह हिंसा किसी एक जिले का मसला नहीं, बल्कि यह पश्चिम बंगाल की धरती पर हिंदू समाज की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। उन्होंने आग्रह किया कि योगी आदित्यनाथ जैसे मजबूत और निर्णायक नेतृत्व की आज बंगाल को सख्त जरूरत है।
क्या बोले सुवेंदु अधिकारी
मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद जब पूरा बंगाल आक्रोशित था, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता में मौलवियों की एक सभा में पहुँचीं और वहाँ उन्होंने एक ऐसा बयान दे डाला, जिसने राज्य की राजनीति को और गर्मा दिया। ममता ने खुलकर कहा कि वे हर साल ईद पर रेड रोड जाकर नमाज़ पढ़ती हैं। उनके इस ‘रहस्योद्घाटन’ को लेकर सवाल उठने लगे कि क्या ये सर्वधर्म समभाव है, या चुनावी मौसम में तुष्टिकरण का ज़ोरदार तड़का?
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस बयान पर सीधे निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर ममता जी वाकई सबका सम्मान करना चाहतीं, तो ये बातें एक सर्वधर्म सभा में होतीं, ना कि सिर्फ एक समुदाय के बीच। उन्होंने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है जब बंगाल को योगी आदित्यनाथ जैसे मजबूत नेतृत्व की ज़रूरत है जो बिना भेदभाव के कानून चला सके। सुवेंदु यहीं नहीं रुके। उन्होंने साफ-साफ आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में जो कुछ हुआ, उसमें टीएमसी की भूमिका संदिग्ध है। “दंगे करवाने वालों की पीठ कौन थपथपा रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिर्फ इमामों की मीटिंग कर रही हैं, हिंदू पीड़ितों के लिए उनके पास एक शब्द नहीं,” उन्होंने कहा।
जब ममता बनर्जी ने इमामों को दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने की सलाह दी, तो सुवेंदु अधिकारी ने दो टूक कहा, “दिल्ली जाना है तो पहले यूपी होकर जाइए, वहां योगी आदित्यनाथ बैठे हैं। फिर देखिए कैसे रास्ता खुलता है।”
वक्फ कानून पर देश में विरोध, लेकिन यूपी में सन्नाटा
देशभर में वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों और वोट बैंक की राजनीति करने वाली पार्टियों ने विरोध की आग भड़काने की भरपूर कोशिश की। हैदराबाद से लेकर कश्मीर और विशेषकर पश्चिम बंगाल में इसका असर सबसे उग्र रूप में देखने को मिला। बंगाल में ममता बनर्जी और उनके मंत्रियों द्वारा वक्फ कानून के खिलाफ दिए गए भड़काऊ बयानों के बाद हालात और बिगड़ गए। भीड़ हिंसक हो उठी, और ममता सरकार की पुलिस तमाशबीन बनकर रह गई। इसी उग्र भीड़ की चपेट में दो निर्दोष हिंदुओं की जान चली गई।
अब ज़रा एक नजर आंकड़ों पर भी डालिए जो बताते हैं कि वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक संपत्तियां अगर किसी राज्य में हैं, तो वह उत्तर प्रदेश है। जहां U.P. Shia Central Waqf Board के पास 15,386 प्रॉपर्टीज़ और U.P. Sunni Central Waqf Board के पास 2,17,161 प्रॉपर्टीज़ दर्ज हैं। इसके मुकाबले पश्चिम बंगाल में वक्फ बोर्ड के पास सिर्फ़ 80,480 संपत्तियां हैं, यानी यूपी के सुन्नी वक्फ बोर्ड से ही करीब 1.36 लाख कम। बावजूद इसके, उत्तर प्रदेश में न कोई दंगा हुआ, न कोई हिंसा, और प्रदर्शन भी न के बराबर हुए।
फर्क बस इतना है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं। वहां अपराधियों को मजहब की नहीं, गुनाह की नज़र से देखा जाता है। इसके इतर अब बंगाल से सवाल पूछा जा रहा है कि अगर सबसे ज़्यादा वक्फ संपत्तियों वाला राज्य शांत रह सकता है, तो पश्चिम बंगाल क्यों जल रहा है? यह विरोधाभास यही दिखाता है कि यूपी में कानून का राज है, जबकि बंगाल में वोटबैंक की राजनीति के आगे शासन ठहर गया है। शायद यही वजह है कि भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने साफ़ शब्दों में कहा है कि हिन्दुओं की रक्षा के लिए बंगाल को ममता नहीं, योगी जैसा मजबूत नेतृत्व चाहिए।