बीजिंग का लाल झंडा और व्हाइट हाउस की आक्रामक नीतियां फिर से टकराव के मूड में हैं। डोनाल्ड ट्रंप के दौर में शुरू हुआ व्यापार युद्ध अब शैक्षिक क्षेत्र की जंग में तब्दील हो रहा है। ड्रैगन के कम्युनिस्ट विचारों के पंख को कतरने के लिए ट्रंप प्रशासन ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। अमेरिका ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CCP से संबंध रखने वाले छात्रों के वीजा रद्द करने की घोषणा की है। यह कदम व्यापार तनाव के बीच उठाया गया है। ऐसे में इसका असर अमेरिका के विश्वविद्यालयों, अर्थव्यवस्था के साथ चीन और यूएसए के संबंधों पर भी गहरे निशान छोड़ सकता है।
ओपन डोर्स रिपोर्ट– 2024 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में करीब 11 लाख से अधिक विदेशी छात्र हैं। इनमें से भारत के 3 लाख 30 हजार और चीन के 2 लाख 77 हजार छात्र हैं। इसके बाद दक्षिण कोरिया, कनाडा और नाइजीरिया के छात्रों की संख्या है। चीन के ज्यादातर छात्र चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से प्रेरित हैं। अगर उनके वीजा रद्द किए जाते हैं तो उनके भविष्य पर गहरा संकट खड़ा हो जाएगा।
किस आधार पर लिया गया फैसला
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की है कि यूएसए चीनी छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू करेगा। विशेष रूप से उन छात्रों के वीजा रद्द किए जाएंगे जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से संबंध रखते हैं या फिर संवेदनशील तकनीकी क्षेत्रों में अध्ययन कर रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने छात्र और एक्सचेंज विजिटर वीजा आवेदने पर रोक लगा दी थी।
- 2023-24 में अमेरिका में करीब 2.7 लाख चीनी छात्र पढ़ रहे थे।
- अधिकतर AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और डेटा साइंस में नामांकित थे।
- दावा है कि CCP इन्हीं छात्रों के जरिए संवेदनशील जानकारी चुराती है।
रुबियो के अनुसार वो चीन और हांगकांग से आने वीजा आवेदनों की जांच बढ़ाएंगे। वह वीजा मानदंडों को भी संबोधित करेंगे। यह कदम ट्रंप प्रशासन के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों, विशेष रूप से चीन से आने वाले छात्रों पर नियंत्रण कड़ा करने के प्रयास का हिस्सा है।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले के बाद चीन तिलमिलाया हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने विचारधारा और राष्ट्रीय अधिकारों के नाम पर गलत तरीके से वीजा रद्द किया है। इससे अमेरिका की छवि को और नुकसान पहुंचेगा।
- छात्र अब ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी की ओर रुख करना शुरू कर रहे हैं।
- चीन का दावा है कि अमेरिका शिक्षा को राजनीति करने का हथियार बना रहा है।
- CCP की विचारधारा के कारण अब इसके छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
चीन के छात्रों को डर है कि उनके वीजा रद्द हो सकते हैं। इस कारण वो अब वो दूसरे देशों के यूनिवर्सिटी का रुख कर रहे हैं। कुछ छात्र अब ब्रिटेन या अन्य देशों में पढ़ाई के लिए विकल्प तलाश रहे हैं। कई देश छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिका चीन पर क्या असर होगा?
- छात्रों को यूनिवर्सिटी बदलने के साथ अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है।
- कोर्स के आधार पर वीजा रद्द होने पर उन्हें कोर्स बदलने पड़ सकते हैं।
- अमेरिका पर भी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को लेकर सवाल खड़े होंगे।
- चीनी छात्रों ने 14.3 अरब डॉलर खर्च किए। यानी अमेरिका को वित्तीय नुकसान होगा।
- AI और क्वांटम सेक्टर में चीन की पकड़ कमजोर हो सकती है।
सोशल मीडिया पर निगरानी
ट्रंप प्रशासन ने वीजा आवेदनों के लिए सोशल मीडिया जांच को और सख्त करने का फैसला किया है। 2019 से लागू इस नीति को अब और विस्तार दिया जा रहा है। इससे पहले उसने अपने राजदूतों को आदेश दिया था कि वो किसी भी नए वीजा आवेदन के लिए इंटरव्यू न लें। जो आवेदन पहले से आ चुके हैं उनके टिकटॉक और X जैसे प्लेटफॉर्म पर लाइक, कमेंट और पोस्ट की गहन जांच करें।
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ट्रंप प्रशासन की नीति व्यापार युद्ध की अगली कड़ी है। चीनी छात्रों पर नकेल कसने के लिए सोशल मीडिया की सख्त जांच और विश्वविद्यालयों पर दबाव बनाया जा रहा है। अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब अपनी धरती को CCP की प्रयोगशाला नहीं बनने देगा। विचारधारा, तकनीक और राष्ट्रहित के मामले में वो किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और शैक्षिक स्वतंत्रता के बीच टकराव शुरू हो गया। इससे अमेरिका को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।