देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके वे शब्द कि ‘देश दो नहीं ढाई मोर्चे की जंग के तैयार है’ माने पत्थर की लकीर बन गए हैं। आए दिन देश में ऐसी घटनाएं होती हैं जिससे साफ पता चलता है कि देश के भीतर का मोर्चा भी जंग के लिए अपने हथियारों के दुरुस्त कर रहा है, चाहे वो जंग बौद्धिक हो या शारीरिक। पहलगाम आतंकी हमले को हुए करीब एक महीना बीत गया है इसके बाद यह मोर्चा और भी खुलकर सामने आया है। देश में लगातार ऐसी गतिविधियां होती हैं जिससे नज़र आता है कि कट्टरपंथियों का एक धड़ा देश को अस्थिर करने की कोशिशों में लगा है। आज हम चर्चा करेंगे पहलगाम आतंकी हमले के बाद सामने आईं इस्लामिक कट्टरपंथी लोगों द्वारा साइबर जिहाद से लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी किए जाने की घटनाओं की।
साइबर जिहाद
बीते महीने एक ओर जहां भारत पहलगाम का आंतकी हमला झेल रहा था तो दूसरी ओर कट्टरपंथ की फौज के नव जिहादी देश के खिलाफ साइबर आतंकवाद कर रहे थे। गुजरात के एंटी-टेररिज़्म स्क्वॉड (ATS) ने सोमवार को नडियाद से 18 साल के जसिम शहनवाज़ अंसारी को गिरफ्तार किया है। ATS के अधिकारियों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जसिम ने भारत के खिलाफ साइबर हमलों को और तेज़ कर दिया था। अप्रैल से मई 2025 के बीच जसिम और कुछ नाबालिगों ने मिलकर रक्षा, बैंकिंग, हवाई सेवाओं, शहरी विकास और राज्य सरकारों से जुड़ी 50 से ज़्यादा वेबसाइटों पर साइबर अटैक किए। जसिम और उसके साथी ‘AnonSec’ नाम का एक टेलीग्राम ग्रुप चलाते थे।
इसी ग्रुप में ये सभी DDoS अटैक (एक तरह का साइबर हमला जिससे वेबसाइटें बंद हो जाती हैं) की योजना बनाते और उन्हें अंजाम देते थे। जसिम ने खुद से यूट्यूब देखकर Python प्रोग्रामिंग सीखी थी। उसे टेक्नोलॉजी का बड़ा शौक था लेकिन उसने इस हुनर का इस्तेमाल भारत के खिलाफ साइबर आतंकवाद के कामों में किया। GitHub जैसी साइटों से वह हैकिंग के टूल्स डाउनलोड करता और उन्हें मोबाइल ऐप्स जैसे Termux और Pydroid के जरिए चलाता था। जब भी वह किसी सरकारी वेबसाइट को ठप करने में सफल होता तो checkhost.net पर जाकर उसकी पुष्टि करता फिर उस वेबसाइट के डाउन होने का स्क्रीनशॉट लेता और अपने टेलीग्राम ग्रुप ‘AnonSec’ में डाल देता।
इन स्क्रीनशॉट्स के साथ वह भारत विरोधी मैसेज भी भेजता था। इसमें ‘हाय इंडिया, हमने तुम्हारे सर्वर और शील्ड गिरा दिए’ जैसे संदेश होते थे। यह सब करते हुए उसे गर्व जैसा महसूस होता था, मानो वह कोई बड़ी जीत हासिल कर रहा हो। लेकिन सच्चाई यह थी कि वह अपने ही देश के खिलाफ जहर फैला रहा था।
इस्लामिक कट्टरपंथी कर रहे पाकिस्तान के लिए जासूसी
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के लिए जासूस के आरोप में एक यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को गिरफ्तार किया गया था। इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा ब्रेन वॉश की गई इस यूट्यूबर के खिलाफ 0.5 फ्रंट का एक धड़ा पूरे एक समाज को निशाने पर लेने लगा था। लेकिन जैसे-जैसे कट्टरपंथ से उसकी कड़ियां जुड़ती गईं, सब खामोश होते चले गए, क्योंकि वे असल में ज्योति से ज्यादा एक समाज को निशाने पर लेना चाहते थे। ज्योति के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों का रुख आपने ज़रूर देखा होगा, ज्योति के खिलाफ जो लोगों का गुस्सा है वो होना चाहिए, ज्योति को उसकी किए की कठोरतम सज़ा मिले इसमें कोई किंतु परंतु नहीं है लेकिन क्या आपने इतनी ही चर्चा तारीफ, मोहम्मद मुर्तजा अली, नौमान इलाही, रकीब, गज़ाला और यमीन मोहम्मद की सुनी है?
इन सभी को पिछले कुछ ही दिनों में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। तारीफ को हरियाणा से गिरफ्तार किया गया था। तारीफ वाट्सऐप के माध्यम से पाकिस्तानी उच्चायोग के संपर्क में था और दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में दो कर्मचारियों को गोपनीय जानकारियां देता रहता था। मोहम्मद मुर्तजा अली को जालंधर से गिरफ्तार किया गया और उसके पास से कई मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किए गए। अली भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान भारतीय न्यूज चैनलों की एक विशेष एप्लिकेशन बनाकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारत की गोपनीय जानकारी मुहैया कराता था।
24 साल के नौमान इलाही को हरियाणा पुलिस ने पानीपत से गिरफ्तार किया था और वो कथित तौर पर पाकिस्तान में कुछ लोगों को संवेदनशील जानकारी भेज रहा था। उत्तर प्रदेश के कैराना का रहने वाला नौमान पानीपत में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था। अब बात करते हैं रकीब की। रकीब, पंजाब के बठिंडा में आर्मी कैंट में दर्जी का काम करता था और उस पर भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का शक है। आर्मी कैंट के अधिकारियों को उसकी गतिविधियों पर शक हुआ तो उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस को दी।
पंजाब के मुस्लिम बहुल इलाके से गज़ाला और यमीन मोहम्मद को गिरफ्तार कर दिया था। ये दोनों गद्दार भारत की सेना की जानकारियों को पाकिस्तान तक पहुंचा रहे थे। यह दोनों लोग दिल्ली स्थित पाकिस्तान के एक उच्चायोग अधिकारी के लिए जासूसी कर रहे थे। इन सभी के नामों को जानबूझकर एक नाम की आड़ में छिपने की कोशिश की गई लेकिन सत्य को लंबे वक्त तक झूठ के लबादे से नहीं ढका जा सकता है। इन कट्टरपंथियों की करतूतों को दुनिया को जानना चाहिए कि कैसे ये कभी किसी को बरगलाते हैं और कभी खुद ही देश के खिलाफ गद्दारी के लिए आगे आ जाते हैं।
आतंकियों और ISI को सिम देने वाले जिहादी
इनके अलावा कुछ जिहादी ऐसे भी हैं जो आतंकियों को पालने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को सिम मुहैया करा रहे थे। ISI के ज़रिए ये जिहादी खुले तौर पर भारत विरोधी आतंकियों की मदद कर रहे थे। उत्तर प्रदेश आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने पाकिस्तान की ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में रामपुर जिले के निवासी शहज़ाद को गिरफ्तार किया गया था। शहज़ाद ने भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी एजेंटों को ISI के कहने पर पैसे ट्रांसफर किए और लोगों को पाकिस्तान भेजने में मदद की थी। शहजाद ने कथित तौर पर भारतीय सिम कार्ड खरीदे और उन्हें ISI एजेंटों को वितरित किया था।
वहीं, हरियाणा के नूंह में पुलिस ने भारत में पाकिस्तानी ऑपरेटिव को सिम कार्ड देने के आरोप में राजाका से 23 वर्षीय अरमान नामक शख्स को गिरफ्तार किया था। ये गद्दार 2023 से पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में था। अरमान के पिता जमील की दो चाचियां पाकिस्तान में रहती थी और वह छह महीने पहले पाकिस्तान गया था और अपने पिता की चाचियों के साथ वहीं रहा था।
असम पुलिस ने कुछ दिनों पहले ‘ऑपरेशन घोस्ट सिम’ नाम से विशेष अभियान चलाया और एक बड़े साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया। यह गिरोह भारतीय मोबाइल सिम कार्ड्स के जरिए पाकिस्तान समेत कई देशों के साइबर अपराधियों को व्हाट्सएप अकाउंट बनाने में मदद कर रहा था। इस मामले में पुलिस ने सद्दिक, आरिफ खान, साजिद, अकीक, अरशद खान, मोफिजुल इस्लाम और ज़कारिया अहमद को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के पास सैकड़ों की संख्या में सिम कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि ये सिम कार्ड आतंकवादी गतिविधियों और अन्य विध्वंसक कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे।