Haryana Punjab Water Dispute: हरियाणा और पंजाब के बीच जल विवाद की आग अब सुलगते-सुलगते सियासी होने लगी है। नायब सिंह सैनी सरकार लगातार पानी की मांग कर रही है लेकिन मान सरकार है जो मानने को तैयार ही नहीं है। अब तो उन्होंने हद कर दी और नंगल बांध में ताला तक जड़वा दिया। हरियाणा के किसान भाखड़ा नहर के पानी को अपनी फसल की जान मानते हैं। मई के गर्म महीने में पानी की किल्लत से प्यास और फसल दोनों के लिए संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। हालांकि, भाखड़ा (Bhakra Dam) समझौते के आधार पर इस संकट के महज अब 18 दिन ही बचे हैं लेकिन इससे पहले किसानों को समस्या का सामना तो करना ही पड़ रहा है।
अब मामला (Bhakra Dam Water Dispute) दिल्ली पहुंच गया है। केंद्र के साथ सभी पक्षों के अधिकारी बैठक करने वाले हैं। दूसरी तरफ पंजाब में इसे लेकर ऑल पार्टी मीटिंग हुई है। ऐसे में अगर PM मोदी चाहें तो एक झटके में आर्टिकल-257 का इस्तेमाल कर हरियाणा को पानी दिला सकते हैं। आइये जानें क्या है ये पूरा विवाद और कैसे किसानों को परेशान कर रहा है?
कोई आज की बात नहीं है
पंजाब और हरियाणा के बीच का जल विवाद तो हरियाणा राज्य बनने के साथ यानी 1966 का ही है। तब दोनों राज्यों के बीच में पानी की मात्रा तय नहीं थी। इस कारण विवाद ज्यादा होता था। इन हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 1976 में पंजाब के 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 3.5 हिस्सा हरियाणा को देने का फैसला (Bhakra Dam Water Distribution) किया। इसके बाद भी जल बंटवारे को लेकर 1981 में समझौता हुआ। ताजा मामला 29 अप्रैल को शुरू हुआ जब पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया। इस पर हरियाणा ने भी कहा है कि ये सिंचाई नहीं प्यास का सवाल है।
कहां से शुरू हुआ विवाद? (What Is Bhakra Dam Dispute)
करीब 18 दिन से पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने भाखड़ा नहर से हरियाणा को 9 हजार क्यूसिक पानी के स्थान पर 4 हजार क्यूसिक पानी देना शुरू कर दिया था। 29 अप्रैल को भगवंत मान ने इसकी आधिकारिक जानकारी दी। इसके बाद से दोनों राज्यों के बीच में पानी को लेकर टकराव बढ़ गया है। सरकार के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा के लिए एक बूंद भी ज्यादा पानी नहीं है। उन्होंने 2 महीने पहले ही अपना कोटा खत्म कर लिया है। अगर केंद्र को जरूरत है तो पाकिस्तान जाने से जो पानी रोका है वो पंजाब को दे। हम उस पानी को आगे हरियाणा को सप्लाई कर देंगे।
कुछ इस तरह आगे बढ़ा मामला
29 अप्रैल को ही इस मामले में नायब सिंह सैनी का बयान आया। उन्होंने मान पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इसी रोज हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुती चौधरी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात कर अपनी समस्या से अवगत कराया। 30 अप्रैल को मामला और आगे बढ़ा और सियासत गरमा गई। हरियाणा ने धार-7 के तहत केंद्र से दखल की मांग की। नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा को मिलने वाले पानी में कमी का असर दिल्ली पर भी होगा। इसी दिन हरियाणा के कई जिलों से किसानों को पानी की किल्लत सामने आने लगी। इसके बाद चंदीगड़ में BBMB की बैठक हुई। इसमें हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी भी शामिल हुए।
ताला लगाया, बुलाया विधानसभा का सत्र
1 मई को भगवंत मान नंगल बांध के कंट्रोलिंग स्टेशन पहुंचे। बताया जा रहा है इस दौरान उन्होंने भारी संख्या में पुलिस तैनात करने के साथ वहां ताला लगवा दिया। मान ने कहा कि चाहे केंद्र हो या बीबीएमबी कोई भी पंजाब का पानी नहीं ले जा सकता है। इसके बाद उन्होंने 2 तारीख के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई। 2 मई को बैठक हुई तो इसमें सभी मान के रवैये को लेकर उन्हें निशाने पर लिया और मामले में प्रधानमंत्री के साथ बैठक करने की सलाह दी। इस पर मान ने कहा कि सोमवार को विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। इसमें आगे के लिए फैसला लिया जाएगा।
किसानों को हो रहा पानी की किल्लत
वैसे तो समझौते के अनुसार हरियाणा को 21 मई से पानी पूरा मिलने लगेगा। पंजाब को भी कानून पानी छोड़ना पड़ेगा। हालांकि, इससे पहले हरियाणा के किसानों को समस्या होने लगी है। कुछ स्थानों पर पीने के पानी की भी किल्लत सामने आई है। नायब सिंह सैनी ने कहा है कि ये केवल सिंचाई की बात नहीं है। ये हरियाणा के प्यास का सवाल है। बता दें हरियाणा के कैथल, जींद, हिसार, भिवानी, फतेहाबाद और सिरसा पंजाब से आने वाले पानी से काम चलता है। करीब 20 दिन से कम पानी आने के कारण यहां संकट पैदा हो गया है। कई जगहों पर 3 दिन में पानी सप्लाई किया जा रहा है।
क्या PM मोदी दिला सकते हैं पानी?
पंजाब के खिलाफ कांग्रेस और बीजेपी के नेता अब आर्टिकल 257 के तहत केंद्र से आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली की बैठक और पंजाब में सोमवार को होने वाले सत्र में क्या होता है ये देखने वाली बात होगी। हालांकि, इससे पहले या बाद में भी हरियाणा का प्रतिनिधी प्रधानमंत्री से मुलाकात कर मानवता के आधार पर अपने लिए पानी की मांग करते हैं तो केंद्र आर्टिकल-257 के तहत पंजाब को आदेश जारी कर सकते हैं। आर्टिकल-257 कहता है कि दो राज्यों के विवाद की स्थिति में केंद्र सरकार आदेश जारी कर सकती है। ऐसे में वो आदेश राज्य के लिए बाध्यकारी हो जाएगा।
खैर, जब तक ये मामला (Haryana Punjab Bhakra Dam Water Dispute) सुलझ नहीं जाता या बादलों से पानी की बौछार नहीं होती तब तक हरियाणा के किसानों के खेत और करीब 9 जिलों की जनता को प्यास से ऐसे ही परेशान होना पड़ेगा। अब देखना होगा की पंजाब सरकार क्या मानवता के नाते ही हरियाणा को पानी देती है या उसे केंद्र के बाध्यकारी आदेश का इंतजार है। क्योंकि, मामला अब सियासी भी हो चला है।