बिहार में इन दिनों बड़ी गहमागहमी है और इसका केंद्र है पूर्व मुख्यमंत्री और RJD के मुखिया लालू प्रसाद यादव का परिवार। लालू के बड़े बेटे और RJD के विधायक तेज प्रताप यादव ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपने ‘प्रेम’ का इज़हार कर दिया और उन्हें इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी है। वे पार्टी तो छोड़िए परिवार से भी अलग कर दिए गए। बिहार में इस वर्ष के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में हर चाल को राजनीतिक चश्मे से ही देखा जा रहा है। परिवार के इस झगड़े में भी सियासी गणित लगाया जा रहा है। कभी अपने बेबाक अंदाज़ तो कभी अपने कृत्यों से पार्टी को असहज कर देने वाले तेज प्रताप को ठिकाने लगाए जाने की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि, इसमें कितना सच है और कितना फसाना है ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा लेकिन कुछ कठिन सवाल ऐसे ज़रूर हैं जो अब ना केवल लालू यादव बल्कि तेजस्वी यादव का भी सियासी रण में पीछा करते ही रहेंगे।
कैसे शुरू हुआ था पूरा मामला?
बीते शनिवार (24 मई) को लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के फेसबुक हैंडल से एक पोस्ट किया गया। इसमें तेज प्रताप और एक युवती की तस्वीर थी। साथ ही, तेज प्रताप ने पोस्ट में उस लड़की के साथ बीते 12 वर्षों से प्रेम संबंध की बात स्वीकार की थी। कुछ ही घंटे बाद उनका यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया हालांकि, तब तक यह वायरल हो चुका था और स्क्रीनशॉट शेयर किए जा रहे थे। तेज प्रताप ने ‘X’ पर एक पोस्ट कर बताया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था। तेज प्रताप ने लिखा, “मेरे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को हैक एवं मेरी तस्वीरों को गलत तरीके से एडिट कर मुझे और मेरे परिवार वालो को परेशान और बदनाम किया जा रहा है।”
लालू ने तेज प्रताप को पार्टी से निकाला
जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर फैली तो लालू का गुस्सा तेज प्रताप पर फूट पड़ा। लालू ने तेज प्रताप को ना केवल पार्टी से निकाला बल्कि परिवार से भी दूर कर दिया। लालू ने X पर लिखा, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। ”
उन्होंने आगे लिखा, “अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है। अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूँ। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सार्वजनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है। धन्यवाद।”
निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार…
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 25, 2025
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
तेजस्वी यादव को भी अपने भाई की कथित सोशल मीडिया पोस्ट नागवार गुज़री। तेजस्वी ने कहा है, “जो भावना राष्ट्रीय अध्यक्ष, पिता की थी वो उन्होंने स्पष्ट कर दी है। हम तो नेता विरोधी दल हैं और उनके (लालू यादव) निर्णय का हम लोग पालन करते हैं। जो निर्णय हुआ है, उसमें हम लालू जी के साथ हैं। हमें ये सब चीजें ठीक नहीं लगती हैं।” उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी बात है, मुझे ये सब न तो पसंद है और न ही बर्दाश्त है।
उन्होंने आगे कहा, “राजनीतिक जीवन में निजी जीवन अलग होता है। हमारे बड़े भाई हैं, वो निजी जीवन में क्या फैसले लेते हैं, उससे हमें क्या लेना देना है। वो बड़े हैं, उनके पता है कि उनके निर्णय से क्या फायदा या नुकसान होगा।” साथ ही, उन्होंने बताया कि उन्हें मीडिया के माध्यम से ही इस बात की जानकारी मिली है।
#WATCH | Kolkata | “…We also don’t like such things, and what decision Lalu Yadav, that party’s chief and my father, has taken, we are with that. Politics and personal life are different. He (Tej Pratap Yadav) is my big brother, and what decisions he makes in his personal life… pic.twitter.com/EUxNXitKnq
— ANI (@ANI) May 25, 2025
रोहिणी आचार्य ने क्या कहा?
ना केवल तेजस्वी और लालू बल्कि रोहिणी आचार्य भी तेज प्रताप के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गई हैं। रोहिणी ने लालू यादव के पोस्ट को कोट करते हुए X पर लिखा, “जो परिवेश , परंपरा , परिवार और परवरिश की मर्यादा का ख्याल रखते हैं , उन पर कभी सवाल नहीं उठते हैं , जो अपना विवेक त्याग कर मर्यादित आचरण व परिवार की प्रतिष्ठा की सीमा को बारम्बार लांघने की गलती – धृष्टता करते हैं, वो खुद को आलोचना का पात्र खुद ही बनाते हैं।”
रोहिणी ने लालू यादव को देवताओं के तुल्य तक बता दिया है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए पापा देवतुल्य हैं, परिवार हमारा मंदिर व् गौरव और पापा के अथक प्रयासों – संघर्षों से खड़ी की गयी पार्टी व सामाजिक न्याय की अवधारणा हमारी पूजा…इन तीनों की प्रतिष्ठा पर किसी की वजह से कोई आंच आए ये हमें कदापि स्वीकार्य नहीं।”
जो परिवेश , परंपरा , परिवार और परवरिश की मर्यादा का ख्याल रखते हैं , उन पर कभी सवाल नहीं उठते हैं , जो अपना विवेक त्याग कर मर्यादित आचरण व् परिवार की प्रतिष्ठा की सीमा को बारम्बार लांघने की गलती – धृष्टता करते हैं, वो खुद को आलोचना का पात्र खुद ही बनाते हैं ..
हमारे लिए पापा… https://t.co/8ANl4AN718
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) May 25, 2025
RJD और तेजस्वी को असहज करते रहे हैं तेज प्रताप!
आरजेडी में लालू के बाद कौन की लड़ाई में तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच अक्सर मतभेद की खबरें सामने आती हैं। हालांकि, खुद तेज प्रताप ने कई मौकों पर तेजस्वी को बड़ा नेता माना है लेकिन वे खुद को तवज्जो ना दिए पर कई बार पार्टी से नाराज़ भी नज़र आए हैं। वे अक्सर RJD को असहज कर देते हैं जिससे पार्टी का एक धड़ा उनकी मुखालफत भी करता रहा है। 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तेज प्रताप ने RJD से अलग जाकर ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ के गठन का ऐलान किया और RJD व तेजस्वी यादव के खिलाफ दो सीटों पर चुनाव लड़ने का अल्टीमेटम दे दिया था। उनका कहना था कि ‘तेजस्वी यादव के आसपास चापलूस ज्यादा हैं’। इसके अलावा तेज प्रताप यादव ने 2021 में खुले मंच से राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
अप्रैल 2022 में तेज प्रताप ने एक इफ्तार पार्टी के दौरान RJD कार्यकर्ता रामनाथ यादव की कथित तौर पर पिटाई की थी, क्योंकि वे तेजस्वी के करीबी माने जाते थे। रामनाथ ने आरोप लगाया कि तेज प्रताप ने उन्हें ‘तेजस्वी का आदमी’ कहकर गालियां दीं और मारपीट की। इस घटना के बाद रामनाथ ने RJD छोड़कर BJP जॉइन कर ली। दावा किया गया कि तेज प्रताप को लगता था कि तेजस्वी के समर्थक उनकी स्थिति को कमजोर कर रहे हैं इसलिए उन्होंने इस कथित घटना को अंजाम दिया था।
इस वर्ष की शुरुआत जनवरी 2025 में RJD की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक से ठीक पहले, 17 जनवरी को दोनों भाइयों के बीच पार्टी में सत्ता को लेकर ‘टसल’ की खबरें सामने आई थीं। इस बैठक में तेजस्वी को पार्टी संविधान में संशोधन के जरिए लालू यादव के बराबर अधिकार दिए गए, जिससे तेजस्वी का पार्टी पर नियंत्रण मजबूत हुआ। इस दौरान तेज प्रताप की कोई अहम भूमिका नहीं मिली, जिससे उनके असंतोष की अटकलें तेज हुईं। कुछ खबरों में कहा गया कि तेज प्रताप ने इस बदलाव को अपनी उपेक्षा के रूप में देखा है।
तेजस्वी पर उठ रहे हैं क्या सवाल?
तेजस्वी यादव की खुद की शादी एक ईसाई महिला से हुई है और उनका भी प्रेम विवाह है, फिर भी उन्हें अपने भाई को प्रेम के लिए पार्टी से बाहर निकाला जाना नहीं अखर रहा है। इसे लेकर अटकलें लग रही हैं कि तेजस्वी पार्टी पर अपनी पकड़ को ओर मज़बूत करने के लिए, पिता के साथ खड़े हैं। पार्टी के कई लोग दबी ज़ुबान ही सही लालू परिवार के इस रूख के साथ नहीं नज़र आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी तेजस्वी के खिलाफ खूब बयानबाज़ी हो रही है और अटकलें लग रही हैं कि वे RJD पर पूरी तरह से कब्ज़ा करने के लिए पिता के साथ हैं।
एक सोशल मीडिया यूज़र ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है, “इसके पीछे तेजस्वी यादव का हाथ है, तेजस्वी को पता था कि तेज प्रताप आज भी तो कल उनकी राह में कांटा बन सकते हैं, इसलिए रास्ता साफ करना जरूरी था। बहुत तरीके से काम लगा दिया और सहानुभूति के नाम पर युवराज घोषित…कहानी पुरानी है राजा का बेटा ही राजा होगा।” एक अन्य यूज़र ने तेजस्वी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, “यह सब इन्हीं (तेजस्वी यादव) का प्लान है, तेजू भैया को पारिवारिक और राजनीतिक विरासत से बाहर करने के लिए। तेजस्वी यादव बाहुबली के भल्लाल देव बन गए हैं। बिहार में फिल्मों का रीमिक्स हो रहा है।”
तेजस्वी यादव की इस पूरे विवाद में भूमिका जो भी रही हो लेकिन जिस तरह उन्होंने तेज प्रताप से किनारा करने की कोशिश की है, उससे अटकलों को बल मिला है। बीते वर्ष में कई मौकों पर तेजस्वी खुद भी तेज प्रताप से असहज नज़र आए हैं। तेज प्रताप यादव और उनकी अलग रह रहीं पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक का केस अभी अदालत में है और तेज प्रताप ऐश्वर्या के साथ अपनी शादी को लेकर खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं। ऐसे में यह स्थिति बेशक लालू परिवार के लिए असहज करने वाली हो सकती थी लेकिन तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से किनारा कर क्या सियासी फायदा उन्हें मिल सकेगा यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।