पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और PoK के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसे पाकिस्तान ने खुद पर हमला माना और भारत पर ड्रोन से हमले करने लगा। 6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर से घायल हुए पाकिस्तान ने 8 तारीख से भारत पा ड्रोन और मिसाइल से हमले करने लगा। इसका जवाब हिंदुस्तानी सेना ने दिया। हमारे डिफेंस सिस्टम ने पाक के हथियारों को तबाह कर दिया। कुछ दिनों तक कायराना हरकत करने के बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। 10 मई को उसने भारत फोन कर युद्ध विराम के लिए हमारे DGMO को मना लिया। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो पाकिस्तान इतनी जल्दी झुक गया।
पहलगाम हमले के बाद सेना के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की थी। यहां उन्होंने कार्रवाई के लिए खुली छूट दे दी थी। हालांकि, दूसरी ओर वो खुद भी कूटनीतिक फैसले कर रहे थे। इसी का नतीजा था कि 7 मई से पहले ही पाकिस्तान काफी कमजोर हो गया था। हालांकि, उसे घुटने टेकने में 4 दिन का समय लगा। आइये जानें क्या है इनसाइड स्टोरी
सीजफायर की इनसाइड स्टोरी
शनिवार यानी 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर सटीक हवाई कार्रवाई की। इससे ठीक पहले अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वैंस ने 9 मई की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी। इस बातचीत में वैंस ने चौंकाने वाली खुफिया जानकारी दी थी। उनकी ओर से कहा गया था कि यदि संघर्ष हफ्ते के आखिरी तक चला तो इसके नाटकीय रूप से बढ़ने की आशंका है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने जेडी वैंस को सीधे तौर पर कह दिया था कि पाकिस्तानी दुस्साहस का भारत कठोर और गहरा जवाब देंगा।
9-10 मई को पाक ने बढ़ाए हमले
9 मई की रात से 10 मई की सुबह तक पाकिस्तान ने 26 स्थानों पर हमले किए। भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन प्रयासों को विफल कर दिया। यह ड्रोन के साथ पाकिस्तान ओर से किए गए हवाई हमला में खासी बढ़ोतरी थी। इससे पहले के दिनों में पाकिस्तान औसतन 10 स्थानों पर हमले कर रहा था। 9 और 10 मई को उसने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर 26 स्थानों को निशाना बनाया।
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रावलपिंडी तक जा घुसा भारत
10 मई को पाकिस्तान की नापाक हरकत का जवाब देते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने आठ स्थानों पर पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया। लड़ाकू विमानों से दागे गए सटीक हथियारों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियान को निशाना बनाया। वहीं सटीक गोला-बारूद से पस्रूर और सियालकोट विमानन अड्डे पर रडार स्थलों को भी निशाना बनाया गया। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, रहीम यार खान में पीएएफ बेस का रनवे क्षतिग्रस्त हो गया और रावलपिंडी के चकलाला में नूर खान एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचा।
परमाणु ठिकानों तक पहुंच गया था भारत
7 मई के बाद अगले तीन दिनों में पाकिस्तान ने 8, 9 और फिर 10 मई को ड्रोन और मिसाइलों से भारत पर हमला किया। इन प्रयासों को ज्यादातर विफल कर दिया गया। 7 और 9 मई के बीच 8-10 स्थानों पर हमले हुए। इसे 10 मई को पाकिस्तान ने अचानक से बढ़ा दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि भारत और भी अधिक उग्र हो गया और पाकिस्तान के आठ सैन्य ठिकानों के साथ ही परमाणु प्रतिष्ठानों के करीब पहुंच गया। तभी पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए अमेरिकी मदद मांगी।
आखिरकार घुटनों पर आया पाक
भारत पाकिस्तान तनाव के मामले में 10 मई को महत्वपूर्ण मोड़ आया। इस दिन भारत के एक्शन के बाद ही पाकिस्तान ने अमेरिका से संपर्क किया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और अमेरिकी विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने भारत से बात करने की इच्छा दिखाई। इसके बाद रुबिया ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की। इसपर उन्हें बताया गया कि भारत बातचीत के लिए तैयार है और यह बात पहले भी कही जा चुकी थी।
मार्को रुबियो की बात के बाद पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने 10 मई को दोपहर लगभग 1 बजे भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क किया। दोपहर 3:30 बजे एक कॉल निर्धारित की गई। उन्होंने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया।
7 मई से पहले ही बढ़त में था भारत
22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने कड़ी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। प्लान में था कि पाकिस्तान को राजनीतिक, सैन्य और मनोवैज्ञानिक तीनों तरीकों से मात दी जाएगी। इसी का नतीजा हुआ कि सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया गया। इसके बाद इंपोर्ट बैन कर दिया गया। वीजा रद्द करने के साथ ही वैश्विक मंच में पाकिस्तान को कमजोर साबित किया जा रहा था। इसी कारण 7 मई से पहले ही पाकिस्तान काफी हद तक कमजोर हो चुका था।
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आतंकी आकाओं पर तगड़ा प्रहार
सैन्य स्तर पर भारत के पास 2016 के उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक करने का अनुभव था। जानकार बताते हैं कि इस बार भारत केवल पत्ते नहीं खेलना चाहती थी। इस कारण थोड़ा समय लिया गया और एक प्रॉपर प्लान पर काम किया गया। लक्ष्यों और तकनीकों का सावधानीपूर्वक निर्धारण कर सेना को खुली छुट दे दी गई। उसके बाद 6-7 मई को सेना ने मुरीदके, बहावलपुर और मुजफ्फराबाद के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। ये इस लिए खास हो जाते हैं क्योंकि, यही लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी तैयार होते थे।
मनोवैज्ञानिक रूप से पाक को तोड़ा
भारत की ओर से इस एक्शन का साफ मतलब था कि हम तुम पर हमला करोगे तो हम तुम्हारे मुख्यालय को टारगेट करेंगे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही भारत आतंकवादियों पर हमला करने के अपने इरादे के बारे में स्पष्ट था। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल तक सभी ने 22 अप्रैल और 7 मई के बीच फोन पर बातचीत में अपने समकक्षों को यह संकेत दिया था। इसी कारण मनोवैज्ञानिक स्तर पाकिस्तान टूटना शुरू हो गया था। उसने अपने आतंकियों को बताना शुरू कर दिया कि आपके लिए यहां की जमीन सुरक्षित नहीं है।
भारत ने पहले की कर दी थी पहल
6-7 मई की रात को 1 बजे से 1:30 बजे के बीच भारतीय सशस्त्र बलों ने नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया। बताया जा रहा है कि इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल घई ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को फोन किया और उन्हें बताया कि भारत ने सावधानीपूर्वक चुने गए आतंकी ठिकानों पर हमला किया है। हमने किसी भी तरह से सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया है। उन्होंने ये भी साफ किया कि यदि पाकिस्तान बात करना चाहता है तो भारत बातचीत करने के लिए तैयार है। इस समय पाक नहीं माना और जब 10 मई तक उसे लगा कि अब कोई रास्ता नहीं है तो वो भारत के सामने घुटनों पर आ गया। हालांकि, भारतीय सेना ने साफ किया है कि अभी ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है। मतलब साफ है कि अगर दोबारा पाकिस्तान की ओर से कोई हरकत होती है है तो इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।