पहलगाम में लहू बहा तो सरहद पर तनाव चरम पर पहुंच गया। ऐसे नाज़ुक वक़्त में कुछ किसान नेता फिर से आंदोलन जीवी टोली लेकर सड़कों पर उतरने लगे हैं। एक तरफ चीन की निगाहें और दूसरी तरफ पाकिस्तान की नापाक हरकत जारी हैं। इस बीच अन्नदाताओं के मुखौटे के पीछे छिपे चंद किसान नेता पूरे किसान समाज को बदनाम करने पर तुले हैं। रेल रोकने और सड़कें जाम करने की धमकियां दी जा रही हैं। अब ये देश के संवेदनशील हालातों को भी ताक पर रखने को तैयार हैं। इसी कारण सरकार और पुलिस एक्शन लेने लगी है। कुछ नेताओं के खिलाफ NSA लगाने की मांग हो रही है। कुल मिलाकर साफ है कि अब इन्हें अराजकता फैलाने की छूट नहीं मिलने वाली है।
साल 2020 में केंद्र सरकार कृषि सुधार कानून लाए थे। इसके कई सकारात्मक पहलू होने के बाद भी किसान नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। इसके बाद आंदोलनों की बाढ़ आ गई हो। कुछ गिनती के किसान नेता लगातार आंदोलन ही करते रहते हैं। मानो वो आंदोलन जीवी हो गए हैं। देश में उत्पन्न वर्तमान परिस्थितियों में भी एक बार फिर पंजाब के किसान शंभू बॉर्डर के लिए निकले। हालांकि, इसमें से कई को हाउस अरेस्ट कर लिया गया।
देश की एकता से तो नहीं खेल रहे?
देश युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। सरकार कूटनीतिक कदमों के साथ ही देश के भीतर सुरक्षा को लेकर बंदोबस्त करने में लगी है। सेना ने मुस्तैदी बढ़ा दी है। ऐसे में एक बार फिर से किसान नेता, किसानों के नाम पर आंदोलन करने निकले हैं। इन पर सवाल इसलिए नहीं है कि ये सरकार का विरोध कर रहे हैं। बल्कि, इनपर सलाव इसलिए खड़े हो रहे हैं कि जब देश में हर आदमी अपने आप को इस विपरीत परिस्थिति के लिए तैयार कर रहा है तो ये आंदोलन करने पर क्यों उतारू हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या देश की एकता से तो नहीं खेल रहे हैं कथित किसान नेता?
आंदोलन पर सख्त मुख्यमंत्री
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने ऐलान किया है 7 मई को रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन के लिए जिस स्थान का चयन किया गया वो अमृतसर जिले में देवीदास पुरा के पास का ट्रैक है। ये अमृतसर-दिल्ली लाइन में आता है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर समेत अन्य नेताओं के रेल और हाईवे बंद करने की धमकी ने विवाद खड़ा कर दिया है। 5 मई 2025 को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे जनता-विरोधी बताया है। वहीं पंजाब पुलिस ने कई नेताओं को हाउस अरेस्ट कर लिया गया।
देवीदास पुरा का स्ट्रैटेजिक लोकेशन
देवीदास पुरा, अमृतसर-दिल्ली रेलवे लाइन पर स्थित छोटी सी जगह है। अमृतसर से कुछ दूरी पर स्थित ये जगह रेल यातायात के लिए से उतनी अहम नहीं है। हालांकि, यहां से गुजरने वाली रेलवे लाइन सामरिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह दिल्ली को पंजाब और उसके आगे जम्मू-कश्मीर से जोड़ती है। कुल मिलाकर साफ है कि अगर यहां आंदोलन होता है और रेलवे ट्रैक को नुकसान पहुंचाया जाता है तो यातायात प्रभावित होगा। युद्ध की स्थिति में घाटी को दिल्ली सीधे जुड़ने में मुश्किल होगी।
रास्ते को बंद करने की धमकियां
केवल रेल मार्ग ही नहीं जगह-जगह चक्का जाम करने की बात भी कही गई है। ऐसा वो अपने पहले के आंदोलनों में करते आए हैं। अगर ऐसा होता है तो दिल्ली से सीधा पंजाब और उसके आगे कश्मीर पहुंचने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ेगा। अगर कोई दूसरे रास्ते का उपयोग किया जाता है तो उसमें ज्यादा समय लगेगा। ऐसे में सेना और सरकार के पास केवल हवाई मार्ग ही बचेगा जिससे वो कश्मीर जा सकेंगे।
पंधेर पर क्यों न लगे NSA?
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ गया है। इस बीच किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और अन्य की ओर से रेल और हाईवे बंद करने की धमकी दी गई। उनके आंदोलन के इस तरीके से सार्वजनिक जीवन प्रभावित होगा। इसके साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा जोखिम बी बढ़ेगा। कुल मिलाकर धमकी का राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा असर पड़ सकता है। इसका सीधा फायदा देश विरोधी ताकते उठा सकती है। इस कारण इनपर NSA की कार्रवाई करने की भी मांग हो रही है।
किसान आंदोलन में शुरुआत से ही असली किसानों की जगह देश के दुश्मन और दलालों की जगह थी।
आज जब युद्ध जैसा माहौल है देश भर में सेना के जवानों को अलग अलग माध्यमों से देश के कोने कोने में भेजा जा रहा है इस वक्त भी किसान यूनियन का रेल और हाईवे घेरने का प्लान देश द्रोह से कम नहीं होना…
— Shashi Kumar (@iShashiShekhar) May 6, 2025
सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर शशि कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा किसान आंदोलन में शुरुआत से ही असली किसानों की जगह देश के दुश्मन और दलालों की जगह थी। आज जब युद्ध जैसा माहौल है देश भर में सेना के जवानों को अलग अलग माध्यमों से देश के कोने-कोने में भेजा जा रहा है। इस वक्त भी किसान यूनियन का रेल और हाईवे घेरने का प्लान देशद्रोह से कम नहीं होना चाहिए। सेना को खुली छूट मिले ऐसे किसानों से डील करने की।
पहलगाम हमले के बाद आया था नरेश टिकैत का बयान
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया था। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत का बयान आया था। इसमें वो पाकिस्तानी किसानों के आवाज की मुनादी कर रहे थे। नरेश टिकैत ने कहा था कि भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को रद्द करना ठीक नहीं है। किसान कहीं का हो नुकसान होना तय है। उनके इस बयान के बाद देशभर में उनके खिलाफ जांच की मांग की जा रही थी।
2.5 में 0.5 कौन है?
किसान नेताओं के आंदोलन के ऐलान के बाद उनका खुलकर विरोध होने लगा है। लोग इतना भी कहने लगे हैं कि ये 2.5 फ्रंट पर भारत के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियों से 0.5 हैं। इसमें दो मुख्य बाहरी दुश्मन (पाकिस्तान और चीन) और आधा (.5) ऐसे विचार के लोग हैं जो संकट के समय में भी आंदोलनों पर उतारू हैं।
अराजकता का अंत होगा!
किसानों के ऐलान के बाद ही पंजाब के मुख्यमंत्री और पुलिस एक्शन में आ गए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे जनता विरोधी बताया है। वहीं पुलिस ने जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर समेत कई अन्य के घरों पर छापेमारी की है। कई नेताओं को नजरबंद कर दिया है। कई नेताओं के घर में दबिश दी गई है। सरकार और पुलिस की सख्ती से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस आंदोलन को पहले की तरह छूट नहीं मिलने वाली है। अगर किसी विकट काल में किसान अपने आंदोलन को जारी रखते हैं तो इस पर केंद्र भी एक्शन ले सकता है। ऐसे में किसानों का मुखौटा पहनकर होने वाली इस अराजकता का अंत हो जाएगा।
ये भी पढ़ें: फेसबुक का दोगला चेहरा! फाइनेंशियल फ्रॉड को बढ़ावा, राष्ट्रवादी विचार पर एक्शन; क्या ये जानबूझकर कर रहा है मेटा?
एक तरफ पहलगाम हमले के बाद भारत युद्ध की कगार पर खड़ा है। पाकिस्तान और चीन के साथ 2 मोर्चों पर तनाव काफी पुराना है। दूसरी तरफ कुछ किसान नेता 0.5 फ्रंट बनकर रेल और हाईवे जाम करने की धमकी दे रहे हैं। वहीं नरेश टिकैत का पाकिस्तानी किसानों के हमदर्द बन गए हैं। किसानों के नाम पर ये नेता देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने को आतुर हैं। आखिर संकट के समय में भी आंदोलन की जिद देशहित से बड़ी कैसे हो सकती है? इसी कारण सरवन सिंह पंधेर पर NSA की मांग हो रही है। अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या आंदोलनजीवियों की इस अराजकता का अंत होगा?