पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारतीय सेना ने सोमवार को लगातार दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस(Press Conference) की। यह सिर्फ एक औपचारिक ब्रीफिंग नहीं थी, बल्कि आतंकवाद और सीमा पार हस्तक्षेप के खिलाफ भारत की सैन्य दृढ़ता और रणनीतिक स्पष्टता का प्रदर्शन था। सेना की ओर से DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, नौसेना से वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद और वायुसेना से एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने साझा रूप से 32 मिनट तक मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने ऑपरेशन की बारीकियों, दुश्मन के इस्तेमाल किए गए हथियारों और भारतीय प्रतिक्रिया की परत-दर-परत जानकारी दी।
एयर मार्शल भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट किया—”भय बिनु होय ना प्रीत। हमारी लड़ाई आतंकवादियों के खिलाफ है, न कि पाकिस्तानी सेना के साथ। लेकिन जब पाकिस्तान की सेना ने आतंकियों का साथ दिया, तो हमें उसका मुंहतोड़ जवाब देना पड़ा। अपनी सेना के हुए नुकसान के लिए पाकिस्तान खुद जिम्मेदार है।” गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई की शाम 5 बजे संघर्ष विराम की घोषणा हुई थी, लेकिन उससे पहले और उसके दौरान जो घटनाएं घटीं, उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर स्तर पर तैयार है — और जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो संकल्प और रणनीति दोनों ही अडिग रहते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की प्रमुख बातें: भारतीय सेना ने रखे पाकिस्तान को लेकर सख्त तथ्य
हमले में इस्तेमाल हुए चीनी हथियार
एयर मार्शल ए.के. भारती ने जानकारी दी कि पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले में चीनी मूल के हथियार शामिल थे। उन्होंने बताया कि “हमले में लॉन्ग रेंज रॉकेट्स, UAV (ड्रोन), और चीनी मूल के कुछ हेलीकॉप्टर्स और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।” भारती के अनुसार, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी को सफलतापूर्वक मार गिराया।
पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों का साथ दिया
एयर मार्शल भारती ने कहा, “हमारी लड़ाई आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ थी। 7 मई को हमने केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया था। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन आतंकवादियों को प्रत्यक्ष समर्थन दिया और जब उन्होंने हम पर हमला किया, तो हमें जवाब देना पड़ा। पाकिस्तान को जो नुकसान हुआ है, उसके लिए वे खुद ज़िम्मेदार हैं।”
हमारी लड़ाई पाकिस्तान की सेना से नहीं, आतंकवाद से है
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल भारती ने यह भी स्पष्ट किया कि, “कल ऑपरेशन सिंदूर की डिटेल ब्रीफिंग में हमने बताया था कि हमारी कार्रवाई आतंकियों के खिलाफ है, पाकिस्तानी सेना के खिलाफ नहीं। लेकिन जब पाकिस्तान की सेना ने दखल दी, तो हमें सख्त जवाब देना पड़ा।”
पाक आर्मी ने दिया आतंकवादियों का साथ
भारतीय सेना ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों का प्रत्यक्ष समर्थन किया। एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा, “हमारी लड़ाई आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ थी। 7 मई को हमने केवल आतंकियों को निशाना बनाया। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उनका साथ दिया, जिसके चलते हमें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। पाकिस्तान को जो नुकसान हुआ है, उसकी जिम्मेदारी खुद उनकी सेना पर है।”
चीनी मूल के हथियारों का इस्तेमाल
भारती ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले में चीनी मूल के हथियारों का इस्तेमाल हुआ। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले में चाइनीज ओरिजन की मिसाइलें, लॉन्ग रेंज रॉकेट्स, UAVs, ड्रोन और कुछ हेलीकॉप्टर्स शामिल थे। हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने उन्हें समय रहते मार गिराया।”
आकाश सिस्टम से भी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया
एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि हमने आकाश सिस्टम से भी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने बताया, “हमने नागरिक और सैन्य ढांचे को यथासंभव सुरक्षित रखा, जबकि पाकिस्तानी सेना लगातार हमला कर रही थी। हमारे पास एयर डिफेंस सिस्टम की विविधता है—लो लेवल फायरिंग सिस्टम, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, शॉर्ट और लॉन्ग रेंज इंटरसेप्टर्स। हम पर ड्रोन और UAV से हमला किया गया था, जिसके जवाब में हमारे सभी सिस्टम एक साथ सक्रिय हुए। मॉडर्न वॉरफेयर की दृष्टि से यह एक अहम क्षण था। यहां तक कि पुराने माने जा रहे एयर डिफेंस सिस्टम्स ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।”
सीमित नुक्सान
भारतीय सेना ने जानकारी दी कि हमारी ओर बहुत ही सीमित नुकसान हुआ है। सेना के अनुसार, “कल हमने कुछ टारगेट्स की डिटेल्स साझा की थीं। जो तस्वीरें आज हम दिखा रहे हैं, वो साफ तौर पर दर्शाती हैं कि हमने दुश्मन के ड्रोन, फाइटर एयरक्राफ्ट और मिसाइलों को सफलतापूर्वक गिराया। हमारी तरफ से नुकसान बेहद सीमित रहा है।”
मल्टी लेयर्ड एयर डिफेन्स
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमें ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत हुए एयर डिफेंस एक्शन को गहराई से समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “आज मैं इस संघर्ष के एक अहम पहलू पर बात कर रहा हूं। कल मैंने उल्लेख किया था कि पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी गतिविधियों के स्वरूप में स्पष्ट बदलाव देखने को मिल रहा है। आतंक अब पहले से कहीं अधिक संगठित, तकनीकी रूप से सक्षम और सीमा पार से समन्वित दिखाई दे रहा है, जिसे हमारी सुरक्षा रणनीति के केंद्र में लाना ज़रूरी है।”
विराट का उदहारण देकर समझाया मल्टी लेयर्ड डिफेन्स सिस्टम
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस स्ट्रैटेजी को समझाने के लिए एक दिलचस्प और प्रेरणादायक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “इंटरनेशनल बाउंड्री से लेकर एयरफील्ड तक हमारी सुरक्षा कई परतों में फैली हुई थी — जिसमें रडार सिस्टम, एयर डिफेंस यूनिट्स, विंटेज और मॉडर्न डिफेंस सिस्टम्स शामिल थे। इन सभी लेयर्स को पार करना किसी भी दुश्मन के लिए असाधारण रूप से मुश्किल था।”
उन्होंने आगे एक ऐतिहासिक क्रिकेट घटना का उल्लेख करते हुए इसे गहराई से समझाया। “ये सुरक्षा व्यवस्था मुझे 1970 के दशक की एक क्रिकेट घटना की याद दिलाती है, जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज़ खेली जा रही थी। ऑस्ट्रेलिया के दो दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ जेफ थॉमसन और डेनिस लिली ने अंग्रेज़ बल्लेबाज़ों की रीढ़ तक हिला दी थी। उस समय ऑस्ट्रेलियाई जनता ने एक कहावत गढ़ी थी: Ashes to ashes, and dust to dust — यानी मैदान पर कुछ भी बाकी नहीं छोड़ा गया था।”
जनरल घई ने फिर विराट कोहली का ज़िक्र करते हुए कहा, “आज जब हम सुरक्षा की बात कर रहे हैं, तो क्रिकेट की बात भी ज़रूरी है। विराट कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया है। वे मेरे भी पसंदीदा क्रिकेटर हैं। जैसे विराट खेल के मैदान में भरोसे और दृढ़ता का प्रतीक रहे हैं, वैसे ही हमारी एयर डिफेंस शील्ड भी हर समय देश की सुरक्षा में निडर और सक्रिय रहती है।”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “अगर कोई हमारी बनाई गई लेयर से पार भी कर जाए, तो एयरफील्ड तक पहुंचने से पहले ही कोई ना कोई डिफेंस सिस्टम उन्हें हवा में ही खत्म कर देगा। हमारी एयर डिफेंस शील्ड 24×7 एक्टिव रहती है।”
लेफ्टिनेंट जनरल ने बीएसएफ की भी प्रशंसा करते हुए कहा, “बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल से लेकर हर जवान तक — जिन्होंने सीमाओं पर दिन-रात मुस्तैदी से तैनाती निभाई वे हमारे मल्टी-टियर सुरक्षा ढांचे का अभिन्न हिस्सा हैं। उनका योगदान अमूल्य है।” अंत में उन्होंने गर्व से कहा, “आपने सुना होगा — जब हौसले बुलंद हों, तो मंज़िलें खुद-ब-खुद कदम चूमती हैं। ऑपरेशन सिंदूर में थल, जल और वायु सेना ने पूरी समन्वय के साथ काम किया। हमारे पीछे 140 करोड़ भारतीयों का समर्थन था — और इसी एकजुटता को हम सैल्यूट करते हैं।”