दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार (2 मई) को नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले (National Herald Money Laundering Case) में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने के समय उनका ‘सुनवाई का अधिकार’ उपलब्ध था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा को भी कोर्ट ने नोटिस भेजा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 मई को होगी। इस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीते 15 अप्रैल को कथित भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दायर की थी। यह आरोपपत्र धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 44 और 45 के तहत दर्ज अभियोजन शिकायत के रूप में दायर किया गया था।
क्या है नेशनल हेराल्ड से जुड़ा ‘घोटाला’?
1938 में आज़ादी के आंदोलन के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजी अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ की शुरुआत की थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी इनका प्रकाशन करती थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) एक समय देश के प्रमुख समाचार प्रकाशकों में से था, जिसने नेशनल हेरल्ड (अंग्रेजी), कौमी आवाज़ (उर्दू) और नवजीवन (हिंदी) जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों को प्रकाशित किया था। ये अखबार स्वतंत्रता के आंदोलन की आवाज़ माने जाते थे और भारतीय राजनीति व समाज को दिशा देने में इनकी अहम भूमिका रही थी।
साल 1942 में ये अंग्रेजों को खटकने लगा और इस अखबार पर बैन लगा दिया गया। हालांकि, 3 साल बाद बैन हट गया। AJL ने 2008 में आर्थिक तंगी के कारण ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन रोक दिया। इसके बाद 2010 में कांग्रेस ने AJL को अलग-अलग समय में कुल मिलाकर 90 करोड़ रुपये बतौर कर्ज दिए। जबकि, द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1950 के मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।
नवंबर 2010 में नई गैर-लाभकारी कंपनी ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना हुई और कांग्रेस के विश्वस्त सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग इसके निदेशक बन गए। AJL ने यंग इंडियन को 50 लाख रुपए दिए जिसके बदले उसका 90 करोड़ का कर्ज माफ हो गया। साथ ही, AJL के सारे शेयर भी यंग इंडियन के पास चले गए। दिसंबर 2010 में राहुल गांधी और जनवरी 2011 में सोनिया गांधी को यंग इंडियन के बोर्ड में शामिल हो गए और उनके नाम कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर कर दिए गए।
2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस डील को ‘घोटाला’ बताते हुए कोर्ट में केस किया। उनका आरोप था कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये हड़पने की कोशिश की जो नियमों के खिलाफ थी। AJL के अधिकांश पुराने शेयर धारकों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि यंग इंडियन और AJL की संपत्तियों से फर्जी दान, एडवांस किराया और विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई। इन आरोपों के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ भी हुई थी। कुछ दिनों पहले ED ने AJL की 700 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अटैच कर कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की थी।