Operation Sindoor: पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और उसकी धरती पर पल रहे आतंकी आकाओं के खिलाफ एक्शन लिया है। पाकिस्तान और PoK के भीतर घुसकर 9 स्ट्राइक की गई हैं। आतंकवाद के गढ़ों पर गरजते हुए प्रहार किया और इस साहसिक ऑपरेशन को एक ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) नाम दिया जो हर भारतीय के दिल को छू गया। आखिर क्या है इस नाम के पीछे की कहानी? क्यों यह महज एक सैन्य कार्रवाई न होकर, एक गहरा प्रतीकात्मक और भावनात्मक महत्व रखता है?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की जान लेने वाले इस हमले ने न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी, बल्कि लाखों भारतीयों के दिलों में गहरी चोट पहुंचाई। जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक और जोरदार हमले किए हैं।
क्यों रखा गया ये नाम?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम सिर्फ एक सैन्य अभियान का नाम नहीं, बल्कि एक गहरे भावनात्मक और सांस्कृतिक संदेश का प्रतीक है। भारतीय परंपरा में सिंदूर वह लाल रंग है जो विवाहित महिलाओं के माथे या मांग में सजता है। यह न केवल उनकी वैवाहिक स्थिति का प्रतीक है बल्कि उनके पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना भी व्यक्त करता है। लेकिन पहलगाम के आतंकी हमले ने कई महिलाओं के इस पवित्र सिंदूर को उजाड़ दिया। नवविवाहित जोड़ों, पर्यटकों और मासूम नागरिकों की निर्मम हत्या ने देश को गुस्से और दुख से भर दिया।
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26 वर्षीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल शादी के महज एक हफ्ते बाद हनीमून के लिए पहलगाम पहुंचे थे। यहां आतंकियों ने विनय को उनके धर्म के आधार पर गोली मार दी। सोशल मीडिया पर वायरल हुई हिमांशी की तस्वीर में वह अपने पति के शव के पास सदमे में बैठी थीं। इस फोटो ने पूरे देश को झकझोर दिया। उनकी मांग का सिंदूर उस त्रासदी का मूक गवाह बन गया।
बदले की आग और सम्मान की पुकार
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का नाम न केवल आतंक के खिलाफ भारत की सैन्य ताकत को दर्शाता है। इसने उन टूटे हुए परिवारों, उजड़े सुहाग और शहीदों के बलिदान को श्रद्धांजलि भी है। इस अभियान के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ आतंकी ठिकानों पर रात के समय सटीक हमले किए।
इन ठिकानों पर हुआ हमला
जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों में बहावलपुर का मार्कज सुभान अल्लाह, तहरा कलां का सरजल, कोटली का मार्कज अब्बास और मुजफ्फराबाद का सय्यदना बिलाल कैंप शामिल थे। लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों में मुरिदके का मार्कज तैबा, बरनाला का मार्कज अहले हदीस और मुजफ्फराबाद का श्वावाई नल्ला कैंप निशाना बने। हिजबुल मुजाहिदीन के कोटली में मकज रहील शाहिद और सियालकोट में मेहमूना जोया भी ध्वस्त किए गए।
इनमें से चार ठिकाने पाकिस्तान में और पांच PoK में थे। ये सभी ठिकाने भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रचने के लिए जाने जाते थे।
नाम के पीछे का भावनात्मक संदेश
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम न केवल सैन्य कार्रवाई का हिस्सा है, बल्कि यह भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के साथ-साथ अपने नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करती है। यह नाम उन महिलाओं के प्रति एक वादा है जिनके सुहाग को आतंकियों ने छीन लिया। यह एक चेतावनी भी है कि भारत अब हर उस आतंकी साजिश का मुंहतोड़ जवाब देगा।
सिंदूर की रक्षा, भारत का संकल्प
‘ऑपरेशन सिंदूर‘ केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की कहानी नहीं है। यह उन टूटे हुए सपनों, बिखरे हुए परिवारों और खोए हुए सुहाग की कहानी है, जिन्हें भारत ने अपने दिल में संजोया है। यह अभियान हर भारतीय को यह भरोसा दिलाता है कि उनका देश न केवल उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि उनके दुख और सम्मान को भी उतना ही महत्व देता है। पहलगाम की त्रासदी ने भारत को एकजुट किया, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत का गुस्सा और उसका संकल्प दोनों ही अटल हैं।