आयरलैंड में गॉलवे काउंटी के टुआम इलाके में स्थित एक पुराने मदर एंड बेबी होम से सैकड़ों शिशुओं के अवशेषों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह वही जगह है, जिसे 1925 से 1961 तक ‘बॉन सेकर्स सिस्टर्स’ नाम की एक कैथोलिक धार्मिक संस्था द्वारा संचालित किया गया था। माना जाता है कि इस होम की देखरेख में लगभग 800 शिशुओं और छोटे बच्चों की मौत हुई थी, जिनके अवशेषों को परिसर के भीतर एक भूमिगत चैंबर में दफनाया गया था।
इस भूमिगत चैंबर को मूल रूप से एक सेप्टिक टैंक के तौर पर बनाया गया था लेकिन बाद में उसी में बच्चों को दफनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। 2014 में इसका खुलासा हुआ था जिसने पूरे आयरलैंड को झकझोर दिया था। यह खुदाई प्रक्रिया उन परिवारों के लिए उम्मीद की तरह है, जो दशकों से सच्चाई जानने की मांग कर रहे थे।
कैसे हुआ था मामले का खुलासा?
इस दर्दनाक सच्चाई का खुलासा उस वक्त हुआ जब स्थानीय इतिहासकार कैथरीन कॉर्लेस ने संस्थान में मरे सैकड़ों बच्चों के डेथ रिकॉर्ड तो पाए लेकिन उनके दफनाए जाने के कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिले। उन्होंने जब इस दिशा में शोध बढ़ाया, तो यह सामने आया कि संस्थान के परिसर में एक पुराना सेप्टिक टैंक था, जिसे बाद में सामूहिक कब्र के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह खुलासा 2014 में हुआ था। यह संस्थान ‘बॉन सेकॉर्स सिस्टर्स’ द्वारा चलाया जा रहा था। उस दौर में अविवाहित माताओं और उनके नवजात बच्चों को सामाजिक बदनामी के डर से ऐसे संस्थानों में भेज दिया जाता था, जहां अक्सर उन्हें अमानवीय हालातों में रहना पड़ता था।
शोषण का केंद्र बने चर्च द्वारा संचालित संस्थान!
आयरलैंड के टिउम में मिले सामूहिक कब्रों के रहस्य ने एक बार फिर चर्च द्वारा संचालित संस्थानों में दशकों से चले आ रहे शोषण और उपेक्षा की भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया है। आयरलैंड सहित दुनिया के कई हिस्सों में ऐसे कई संस्थान रहे हैं जहां महिलाओं और बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया।
मदर ऐंड बेबी होम्स जैसे टिउम में अनब्याही माताओं और उनके नवजात शिशुओं को रखा जाता था। लेकिन इन संस्थानों में उचित देखभाल का अभाव था, जिसके चलते कुपोषण, बीमारी और उपेक्षा से बड़ी संख्या में बच्चों की मौतें हुईं।
मैगडलीन लॉन्ड्रीज़ में ‘समाज से बहिष्कृत’ महिलाओं को जबरन काम पर लगाया गया। इन महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और कई महिलाओं को बिना कोई पहचान छोड़े ही गुमनाम कब्रों में दफना दिया गया।
इंडस्ट्रियल स्कूल्स, जिनमें असहाय और अनाथ बच्चों को रखा जाता था, कई दशकों तक शारीरिक और यौन शोषण के केंद्र बने रहे। कई आधिकारिक जांचों में इन संस्थानों में बच्चों के साथ हुए अत्याचारों की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, कई मामलों में बच्चों को उनकी माताओं की पूर्ण सहमति के बिना गोद दे दिया गया। इस प्रक्रिया ने माताओं और बच्चों दोनों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया।
चर्च द्वारा संचालित संस्थानों में कमजोर और असहाय लोगों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं केवल आयरलैंड तक सीमित नहीं रहीं। दुनिया के कई देशों में भी ऐसे ही शोषण के पैटर्न सामने आए हैं, जहां धर्म के नाम पर लोगों को सुरक्षित ठिकाना देने का वादा कर उन्हें दर्द और अपमान में धकेल दिया गया।
आयरलैंड के बाहर भी सामने आए मामले?
कनाडा में चर्च द्वारा चलाए गए रेजिडेंशियल स्कूलों में आदिवासी बच्चों को जबरन रखा गया, जहां उन्हें न केवल सांस्कृतिक रूप से अलग-थलग किया गया, बल्कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार भी हुआ।
ऑस्ट्रेलिया में चर्च और सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित मिशनों के तहत आदिवासी बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग कर दिया गया। ये बच्चे दशकों तक शोषण और सांस्कृतिक उन्मूलन का शिकार बने।
ब्रिटेन और अमेरिका में भी धार्मिक घरों और पादरियों से जुड़े यौन शोषण और अन्य अत्याचारों के मामले दशकों बाद सामने आए हैं। इन देशों की न्यायिक और सामाजिक संस्थाओं को आज भी उन घावों का सामना करना पड़ रहा है, जो धार्मिक आस्था की आड़ में दिए गए थे।
क्या है आगे की राह?
आयरलैंड के टिउम में चल रही खुदाई केवल हड्डियों की तलाश नहीं, बल्कि इतिहास की उस काली सच्चाई को स्वीकारने का एक साहसी प्रयास है, जिसे लंबे समय तक अनदेखा किया गया। यह प्रक्रिया उन पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए न्याय, सच्चाई और मान्यता की खोज का प्रतीक बन गई है। हालांकि, आयरिश सरकार ने आधिकारिक माफीनामा जारी किया है और मुआवज़ा योजनाएं भी शुरू की गई हैं, लेकिन कई पीड़ितों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि अब भी दोषियों की जवाबदेही तय करने और इस इतिहास को दोहरने से रोकने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है।
जैसे-जैसे फॉरेंसिक टीमें अवशेषों की पहचान की दिशा में काम कर रही हैं, यह उम्मीद भी बढ़ रही है कि यह प्रक्रिया न केवल पीड़ित परिवारों को थोड़ा सुकून देगी, बल्कि आयरलैंड को अपने अतीत के इस अंधेरे अध्याय का ईमानदारी से सामना करने और उससे सीख लेने का अवसर भी देगी।