ऑपरेशन सिंदूर हो या पाकिस्तान के साथ तनाव में भारत का हावी होना। दुनिया ने हिंदुस्तान का लोहा माना है। भारत आज दुनिया के पटल पर तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। इसकी चर्चा अब दुनिया के मंचों पर होने लगी है। इतना ही नहीं अब अमेरिका भी इसे खुलकर स्वीकार करने लगा है। वाशिंगटन डीसी में यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें भारत की नेतृत्व क्षमता, आर्थिक प्रगति और वैश्विक प्रभाव को अमेरिका ने स्वीकार किया है। हालांकि, दबी जुबान में कुछ लीडरों ने भारत की नीतियों पर टिप्पणी की है।
यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम में भारत की नेतृत्व क्षमता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए। कार्यक्रम के दौरान मौजूद अमेरिकी सांसद और इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रिच मैककॉर्मिक भारत के इतिहास को प्रभावशाली बताते हुई चर्चा की है।
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गांधी के बाद मोदी सबसे प्रभावी
रिच मैककॉर्मिक ने कहा कि अब आने वाला समय भारत का है। उन्होंने पीएम मोदी को भारत में गांधी के बाद सबसे अधिक प्रभावी लीडरों में से एक बताया। उनके अनुसार, मोदी करिश्माई नेता होने के साथ आर्थिक दृष्टि से भी वैश्विक सोच रखते हैं। मोदी की सादगी और जनता से जुड़ाव बड़ी ताकत है। मोदी लोगों को केवल राष्ट्रवादी प्रतीत होते होंगे लेकिन वो एक वैश्विक आर्थिक नेता हैं।
पीएम मोदी और ट्रंप में समानता
वहीं वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से की है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं को अपने देशों की जनता का समर्थन मिला है। इन दोनों नेताओं के संबंधों की मजबूती ने भारत-अमेरिका व्यापार को नई दिशा दी है। इससे आने वाले समय में समझौते आसान होंगे। इससे मजबूत और भरोसेमंद रिश्ते व्यापारिक समझौतों को तेज बनाएंगे।
निवेश का नया केंद्र भारत
अमेरिकी सीनेटर स्टीव डेन्स ने चीन से भारत की तुलना की है। उन्होंने कहा कि अब विश्व में निवेश की दिशा बदल रही है। चीन की बजाय लोग भारत को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्टीव डेन्स ने भारत को 20 साल पहले के चीन की तरह बताया जहां हर तरफ अवसर ही अवसर थे। उन्होंने कहा कि भारत में जोश और ऊर्जा है। भारत की सुरक्षा और पारदर्शिता की भी तारीफ की है।
भारत के किस बात से परेशान था अमेरिका?
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर बात की। भारत सरकार ने अमेरिका को परेशान करने वाले कुछ काम किए हैं। उदाहरण के लिए भारत का अपनी सैन्य सामग्री रूस से खरीदा। इससे अमेरिका को परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि भारत का अब अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदना एक सकारात्मक कदम है। इससे संबंधों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
हॉवर्ड लटनिक ने BRICS में भारत की भागीदारी पर भी चर्चा की है। उन्होंने BRICS के देश डॉलर के प्रभुत्व का समर्थन नहीं करते। यह अमेरिका में दोस्त बनाने और लोगों को प्रभावित करने का तरीका नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि मुद्दों को खुलकर सामने रखना, उन पर सीधे बात करना और हल करना ही सकारात्मक संबंध बनाने का तरीका है। इस समय दोनों देश इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।