TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

आपातकाल की त्रासदी: राजनाथ सिंह को मां के अंतिम संस्कार में नहीं होने दिया गया था शामिल

आपातकाल को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं और बीजेपी ने इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है

himanshumishra द्वारा himanshumishra
25 June 2025
in इतिहास
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (FILE PHOTO)

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (FILE PHOTO)

Share on FacebookShare on X

25 जून 1975 को देशभर में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं और बीजेपी ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्रियों और अन्य नेताओं ने आपातकाल के इस काले अध्याय को याद किया है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना को याद करते हुए सोशल मीडिया पर इस घटना को लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया है। आपातकाल के दौर में 24 साल के युवा राजनाथ सिंह को लोकतंत्र पर हमले का विरोध करने के लिए जेल में डाल दिया गया था। यहां तक कि उन्हें अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका तक नहीं मिल पाया था।

राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

सिंह ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर ‘X’ पर एक पोस्ट में लिखा है, “आज से 50 साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद रखते हैं।” उन्होंने लिखा, “संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से देश पर आपातकाल थोपा गया वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बहुत बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं बची थी जिसका ग़लत इस्तेमाल न किया गया हो। मगर इस देश में जो लोकतांत्रिक परम्पराएं रही हैं उनको चाह कर भी तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पायी।”

संबंधितपोस्ट

“डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

विकसित भारत के लिए होना होगा शस्त्र-संपन्न, सुरक्षित और आत्मनिर्भर : CDS अनिल चौहान

गगनयान की उड़ान की तैयारी: इसरो का पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट सफल

और लोड करें

राजनाथ सिंह ने आगे लिखा, “आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने भी संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएं सहीं, उन सभी का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनका योगदान कभी भुला नहीं सकतीं।”

गिरफ्तारी और मां की राजनाथ सिंह को सीख

जेपी आंदोलन के एक समर्पित सिपाही के रूप में राजनाथ सिंह को मिर्जापुर-सोनभद्र क्षेत्र का संयोजक नियुक्त किया गया था। आपातकाल के दौरान जब विरोध की कोई भी आवाज़ सत्ता के लिए खतरा मानी जाती थी, तब उन्होंने सत्तावादी शासन के खिलाफ जनमत तैयार करने और आंदोलन को संगठित करने का बीड़ा उठाया। इसी साहसिक प्रयास के चलते उन्हें बिना किसी मुकदमे के जेल भेज दिया गया।

12 जुलाई 1975 की सुबह मिर्जापुर में एक अलग ही हलचल थी। पुलिस ने उस दिन राजनाथ सिंह को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी मीसा एक्ट के तहत हुई, जिसमें बंदी को अपने परिवार से मिलने-जुलने का कोई अधिकार नहीं होता था। चूंकि राजनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक प्रभावशाली युवा नेता माने जाते थे, इसलिए प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए कि उनके साथ किसी भी तरह की ढील न बरती जाए।

गिरफ्तारी के बाद उन्हें मिर्जापुर जेल में रखा गया। कुछ दिन बाद प्रशासन ने उन्हें इलाहाबाद की नैनी जेल भेजने का फैसला किया। जब उन्हें ट्रेन से नैनी ले जाया जा रहा था, तब परिवार को इसकी भनक लगी। जैसे ही यह खबर घर तक पहुंची, उनकी मां गुजराती देवी और पत्नी सावित्री देवी दौड़कर मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पहुंचीं।

राजनाथ सिंह ने दूर से ही अपनी मां और पत्नी को भीड़ में खड़े देखा। स्टेशन पर पहले से ही कई कार्यकर्ता मौजूद थे, जो नारेबाज़ी कर रहे थे और राजनाथ सिंह के समर्थन में आवाज़ बुलंद कर रहे थे। उसी शोरगुल के बीच उनकी मां की आवाज़ आई, “बबुआ, माफ़ी नहीं मांगना। चाहे उम्र भर काल-कोठरी में क्यों न रहना पड़े, लेकिन सिर मत झुकाना।”

मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए राजनाथ सिंह

इस राजनीतिक दमन की चुप्पी में एक गहरी निजी त्रासदी भी छिपी हुई थी। आपातकाल की घोषणा के कुछ ही समय बाद, राजनाथ सिंह की मां को ब्रेन हेमरेज हुआ। बेटे के जेल में होने की चिंता और तनाव ने उनकी हालत और बिगाड़ दी। उन्होंने 27 दिनों तक अस्पताल में जीवन से संघर्ष किया, लेकिन अंततः उनका निधन हो गया। दुखद यह रहा कि सरकार ने राजनाथ सिंह को न तो पैरोल दी, न ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति। जब उनके भाई मां की चिता को मुखाग्नि दे रहे थे, तब राजनाथ सिंह सैकड़ों किलोमीटर दूर जेल की एक कोठरी में बंद थे।

इस घटना को याद करते हुए सिंह ने एक बार कहा था, “जेल के अंदर मेरा सिर मुंडवा दिया गया… मुझे आपातकाल के दौरान अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल नहीं दी गई थी।” उनकी आवाज़ में उस पल का दर्द आज भी साफ झलकता है। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या और मानवाधिकारों की अनदेखी का यह एक जीवंत उदाहरण है, जिसे भूलना भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा धोखा होगा। राजनाथ सिंह की यह पीड़ा आज भी इस बात की गवाही देती है कि वह समय केवल एक राजनीतिक संकट नहीं था बल्कि लाखों परिवारों के लिए निजी त्रासदी भी बन गया था।

पैरोल और फिर गिरफ्तारी

कुछ महीनों बाद राजनाथ सिंह को पैरोल पर रिहा किया गया, लेकिन यह राहत ज्यादा दिन टिक नहीं सकी। बाहर आते ही उन्होंने फिर से वही काम शुरू किया, जनता को संगठित करना, लोगों को आपातकाल की सच्चाई बताना और लोकतंत्र की आवाज़ उठाना। लेकिन सरकार ने उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया, इस बार पैरोल की अवधि पूरी होने से पहले ही। बाद में उन्होंने साफ कहा कि उनकी गिरफ्तारी, उनका संघर्ष और जो व्यक्तिगत क्षति उन्होंने झेली, वह सब उस असली तानाशाही का हिस्सा था, जिसे उन्होंने अपनी आंखों से देखा और झेला।

राजनाथ सिंह का संघर्ष उस हज़ारों युवा कार्यकर्ताओं की पीड़ा का एक प्रतिनिधि अनुभव है, जिन्हें लोकतंत्र की रक्षा करने की कीमत चुकानी पड़ी। वे सिर्फ जेल में नहीं डाले गए, बल्कि उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी, चुप कराने की कोशिश की गई और उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने के प्रयास हुए। लेकिन वे नहीं झुके। आज जब भारत आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर उस दौर को याद कर रहा है, तब राजनाथ सिंह की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आजादी की असली कीमत क्या होती है और उसे बचाए रखने के लिए कितना धैर्य, साहस और अडिग संकल्प चाहिए होता है। यह सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चेतावनी और प्रेरणा दोनों है।

Tags: EmergencyIndira GandhiRajnath Singhआपातकालइंदिरा गाँधीराजनाथ सिंह
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

सीमित जगहों की जंग में अब बढ़ेगी सेना की मारक क्षमता, जल्द मिलेगी नई CQB कार्बाइन

अगली पोस्ट

राजा रघुवंशी हत्याकांड: सोनम रघुवंशी और राज कुशवाहा ने पहली बार मानी अपने रिश्ते की बात

संबंधित पोस्ट

ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम
इतिहास

हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

16 September 2025

82,698 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की हैदराबाद रियासत की गिनती हमेशा से भारत के प्रमुख और अमीर रियासतों में की जाती थी। इसका क्षेत्रफल ब्रिटेन और...

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत
इतिहास

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

16 September 2025

बिहार, जिसे भारतीय इतिहास और संस्कृति का धनी राज्य कहा जाता है, जहां चाणक्य की राजनीति जन्मी, जहां बुद्ध ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और...

गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा
इतिहास

गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

15 September 2025

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई मोर्चे हैं—कुछ किताबों के पहले पन्नों पर दर्ज हैं, तो कुछ हाशिये पर दबे रह गए। 1947 में...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited