भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी संगठनात्मक चुनावों की तैयारी शुरू करते हुए महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में नए राज्य चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। BJP के राष्ट्रीय रिटर्निंग अधिकारी डॉ. के. लक्ष्मण द्वारा 27 जून (शुक्रवार) को जारी किए गए एक पत्र के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू को महाराष्ट्र, केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा को उत्तराखंड और लोकसभा सांसद व वरिष्ठ पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। इन नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
के. लक्ष्मण के पत्र के अनुसार, इन तीनों की नियुक्तियां पहले से चल रही चुनाव प्रक्रिया की निरंतरता के तहत की गई हैं और इन राज्यों में जल्द ही संगठनात्मक चुनाव कराए जाएंगे। दरअसल, BJP का नेतृत्व चाहता है कि जल्द से जल्द सभी राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव पूरे कर लिए जाएं ताकि इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
BJP से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड में भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को दोबारा मौका दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। भट्ट ने उत्तराखंड में संगठन को ज़मीनी स्तर पर सक्रिय करने में अहम भूमिका निभाई है। भट्ट को पहाड़ी इलाकों की राजनीति की गहरी समझ है और वे गढ़वाल से आते हैं, जो राज्य की राजनीति में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में भाजपा ने कुछ माह पहले रवींद्र चव्हाण को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। अब ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें ही पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर सकती है। चव्हाण को देवेंद्र फडणवीस खेमे का करीबी माना जाता है और वे डोंबिवली से कई बार विधायक रह चुके हैं। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को राज्य में राजस्व मंत्री बनाया गया है जिसके बाद उनका पद से हटना लगभग तय था।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में पार्टी मौजूदा अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार के साथ ही आगे बढ़ने का मन बना रही है। वे 2021 में दिलीप घोष के बाद से वह प्रदेश BJP की कमान संभाल रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के आक्रामक राजनीतिक माहौल के बीच उन्होंने BJP के संगठन को खड़ा रखने की पूरी कोशिश की है।
BJP सूत्रों के अनुसार, इन नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा जुलाई 2025 के पहले हफ्ते में हो सकती है ताकि उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके। पार्टी इस बार संगठन को चुनावी मोड में पहले से तैयार करना चाहती है ताकि राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2029 की लोकसभा रणनीति पर समय रहते काम शुरू किया जा सके।