राजपुर अनुमंडल के लिम्बई गांव में इन दिनों हर रात डर के साए में बीत रही है। गांव के लोग खुली हवा में सोने से घबरा गए हैं, क्योंकि पिछले 11 दिनों में एक रहस्मयी जानवर के काटने से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। ताज़ा मामला आज सामने आया, जब घर के बाहर सो रहे 40 वर्षीय सुनील की हालत अचानक बिगड़ गई। सुनील उन पांच लोगों में से एक था जिन्हें पहले इंदौर के एम.वाई. अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था, लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बावजूद सभी वापस गांव लौट आए। सुनील को गंभीर हालत में जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
इन मौतों ने पूरे गांव में दहशत फैला दी है। अब तक यह रहस्यमयी जानवर पकड़ा नहीं गया है, और न ही प्रशासन की ओर से मुआवज़े या ठोस कार्रवाई को लेकर कोई भरोसेमंद आश्वासन मिला है। इसी को लेकर गुस्साए ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया, और प्रशासन से जवाब मांगा, “कब तक ऐसे ही लोग मरते रहेंगे?” जिला कलेक्टर गुंचा सनोबर ने बताया कि शेष प्रभावितों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है, लेकिन हालात अब सामान्य नहीं रह गए हैं। इस रहस्यमयी खतरे ने न सिर्फ जीवन छीना है, बल्कि गांव के हर दरवाज़े पर अदृश्य मौत की आहट छोड़ दी है। लोग अब रात के सन्नाटे में सिर्फ सन्नाटा नहीं सुनते वे उस “काटने वाले” की परछाईं महसूस करते हैं, जो पता नहीं कहां से आता है… और वापस कभी नहीं दिखता।
गांवों में पसरा डर, जंगल में छिपा खतरा
बड़वानी जिले के अलग-अलग गांवों में इन दिनों एक अज्ञात शिकारी का खौफ छाया हुआ है। यह कोई फिल्मी कल्पना नहीं, बल्कि एक सच्ची, डरावनी और अब तक छह जानें ले चुकी हकीकत है। इस रहस्यमयी जानवर ने अब तक 18 लोगों को निशाना बनाया है, जिनमें से कई को गंभीर हालत में इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के डॉक्टर भी हैरान हैं, न दांतों के निशान साफ हैं, न ज़हर का कोई पैटर्न। मौतें हो रही हैं, लेकिन ये किस जानवर का काम है, ये अब भी एक रहस्य बना हुआ है।
मरे या घायल लोग बड़वानी के तलवाड़ा, मेणीमाता, सोल्यापुरा, लिम्बई, ओझर, काकरिया, दवाना और सनगांव जैसे गांवों से हैं एक ऐसा क्लस्टर जो अब डर और सन्नाटे का भूगोल बन चुका है। मरीजों ने बताया कि जानवर हमला रात के सन्नाटे में करता है, अक्सर तब जब लोग घर के बाहर या खुले बरामदों में सो रहे होते हैं। अब तक एमवाय अस्पताल में भर्ती पांच लोगों में से एक 50 वर्षीय व्यक्ति की रविवार को मौत हो गई, और बाकियों की हालत को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि यह कोई सामान्य जीव नहीं लगता क्योंकि इसका जहर या वायरस इतने गहरे असर डाल रहा है कि पीड़ित कुछ ही दिनों में जवाब दे देते हैं।
इस घटनाक्रम ने इंदौर से दिल्ली तक के स्वास्थ्य तंत्र को सतर्क कर दिया है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) को सूचित किया जा चुका है, और एक स्पेशल टीम इस केस की गहराई से जांच में जुट चुकी है। वहीं, गांवों में वन विभाग की टीम को बुलाकर इस रहस्यमयी जानवर को पकड़ने की मांग तेज हो गई है। लेकिन तब तक, गांवों की रातें अब पहले जैसी नहीं रहीं। लोग अब खाट नहीं, जमीन पर सोने से डरते हैं। बच्चों को अकेला छोड़ना खतरे से खेलने जैसा हो गया है। और हर रात एक नया सवाल साथ लेकर आती है, “कौन है वो, जो बिना चेहरा दिखाए जान ले जाता है?”
ड्रोन कैमरे से होगी सर्चिंग
लिम्बई गांव के लोगों के लिए अब डर सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि रोज़ की हकीकत बन चुका है। सोमवार को जब एक और व्यक्ति की मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया, तो ग्रामीणों का सब्र आखिरकार टूट गया। आक्रोशित होकर उन्होंने पैदल ही बड़वानी की कलेक्टर से मिलने का फैसला किया, लेकिन रास्ते में उन्हें राजपुर के पास अधिकारियों ने रोक दिया। यह कदम ग्रामीणों के गुस्से को और भड़काने वाला साबित हुआ। निराश और उत्तेजित लोगों ने राजपुर में खंडवा-वडोदरा राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। उनकी मांगें अब सिर्फ जानवर को पकड़ने तक सीमित नहीं रहीं वे 15 लाख रुपये मुआवजे की मांग भी कर रहे थे।
गांववालों ने वन विभाग के दफ्तर तक जाकर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाज़ी की। उनका कहना था कि अब तक उस अज्ञात जानवर का कोई सुराग नहीं मिला है, जिसने अब तक छह लोगों और तीन मवेशियों की जान ले ली है। यह जानवर न दिखाई देता है, न समझ में आता है, लेकिन उसके पीछे मौत ज़रूर चलती है। हर बीती रात गांव में एक नई चिंता छोड़ जाती है।
इसी बीच, जिला कलेक्टर गुंचा सनोबर और बड़वानी के वन मंडलाधिकारी आशीष बंसोड़ राजपुर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों से संवाद किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अज्ञात जानवर की तलाश अब और तेज़ की जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया गया है और जंगल व गांव के आसपास के इलाकों में सर्चिंग का दायरा बढ़ाया जा रहा है। जानवर को ट्रैक करने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है, ताकि ऊंचाई से निगरानी कर हर संदिग्ध गतिविधि पर नज़र रखी जा सके। साथ ही, पिंजरे भी लगाए जा रहे हैं ताकि यदि जानवर दोबारा आए, तो उसे ज़िंदा पकड़ा जा सके। गांव में डर का माहौल आज भी बना हुआ है, लेकिन प्रशासन की इस नई रणनीति ने ग्रामीणों के भीतर एक उम्मीद भी जगा दी है कि शायद अब वह अनदेखा शिकारी जल्द ही सामने आ जाएगा, और गांव फिर से चैन की नींद सो पाएंगे।