ईरान के तीन सबसे कड़ी सुरक्षा वाले परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा की गई बमबारी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिकी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इसे निर्णायक कार्रवाई बताए जाने के कुछ समय बाद CNN की एक रिपोर्ट ने इस हमले की एक अलग तस्वीर पेश की है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर’ उतना असरदार साबित नहीं हुआ जितना दावा किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के हमले ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को पूरी तरह से तबाह नहीं किया है बल्कि परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ समय के लिए धीमा कर दिया है।
हमला भारी, असर सीमित?
CNN की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी वायुसेना के B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज़ स्थित तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों पर भारी विस्फोटक बंकर बस्टर बम GBU-57 MOP गिराए थे। लेकिन प्रारंभिक खुफिया आकलन के अनुसार, ईरान की वास्तविक परमाणु संपत्ति को गंभीर नुकसान नहीं हुआ है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) का मूल ढांचा और वहां के सेंट्रीफ्यूज अभी भी काम करने की स्थिति में हैं।
एक अमेरिकी रक्षा विश्लेषक के हवाले से रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऑपरेशन से कुछ दिन पहले ही ईरान ने संवर्धित यूरेनियम को उन स्थानों से हटा लिया था, जहां बमबारी की गई। कुछ दिनों पहले सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरों में ईरानी ठिकानों के बाहर ट्रकों की हलचल भी देखी गई थी, जिससे इन दावों को बल मिलता है।
पेंटागन ने क्या बताया?
हालांकि अमेरिकी रक्षा विभाग इस आकलन को खारिज कर रहा है। पेंटागन के प्रवक्ता सीन परनेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमने सीधे उनके सबसे संवेदनशील ठिकानों पर 14 बम गिराए, जिनका कुल वजन 4 लाख 20 हजार पाउंड था। यह समझने के लिए किसी को विशेषज्ञ बनने की ज़रूरत नहीं है कि इतने भारी विस्फोटों के बाद क्या होता है- पूरी तरह से विनाश।”
अमेरिका के रक्षा मंत्री पीटर हेगसेथ ने भी दावा किया कि इन हमलों ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को बुरी तरह से झटका दिया है और अब तेहरान वर्षों पीछे चला गया है।
भड़क गए डोनाल्ड ट्रंप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया में आ रही इन रिपोर्ट्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा, “यह फेक न्यूज है। CNN और न्यूयॉर्क टाइम्स मिलकर अमेरिका के इतिहास में हुए सबसे प्रभावशाली सैन्य ऑपरेशन को बदनाम करने में जुटे हैं। ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं!”
ट्रंप ने इसे ‘राजनीतिक बदले की कवायद’ करार देते हुए कहा कि मीडिया और कुछ ‘फेल हो चुके’ तत्व ट्रंप प्रशासन की सफलताओं को कमतर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
वेंस और प्रेस सचिव ने क्या कहा?
उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी ट्रंप के दावों का समर्थन करते हुए कहा, “हमने न सिर्फ ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ तोड़ी, बल्कि यह ऑपरेशन इतने शानदार तरीके से किया गया कि हमारा एक भी सैनिक घायल नहीं हुआ है।” उन्होंने इसे ‘आधुनिक युद्ध की सबसे साफ़ और प्रभावी कार्रवाइयों में से एक’ बताया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भी मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि यह कथित खुफिया रिपोर्ट पूरी तरह से ‘गलत’ है। उन्होंने इसे ‘अत्यंत गोपनीय’ करार देते हुए दावा किया कि किसी ‘निचले स्तर के लूजर’ ने इसे CNN को लीक किया है।
कैरोलिन ने इसे ट्रंप की छवि और अमेरिकी सेना के शौर्य को चोट पहुँचाने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, “जब आप 30,000 पाउंड के 14 बमों को सीधे लक्ष्य पर गिराते हैं, तो परिणाम क्या होता है।”
हथियार विशेषज्ञ ने क्या बताया?
मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफेसर और हथियार विशेषज्ञ जेफरी लुईस ने हमले वाली जगहों की वाणिज्यिक सैटेलाइक तस्वीरों का बारीकी से अध्ययन किया है और उनका मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम समाप्त नहीं हुआ है। लुईस ने सोमवार को ट्रम्प द्वारा घोषित इजरायल और ईरान के बीच युद्ध विराम का जिक्र करते हुए कहा, “युद्ध विराम इजरायल या संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नतांज, इस्फ़हान और परचिन के पास कई प्रमुख भूमिगत परमाणु सुविधाओं को नष्ट किए बिना हुआ।” परचिन तेहरान के पास एक अलग परमाणु कॉम्प्लेक्स है। लुईस का मानना है कि ये परमाणु सुविधाएं ईरान के परमाणु कार्यक्रम के पुनर्गठन के आधार के रूप में काम कर सकती हैं।
ट्रंप बनाम मीडिया: टकराव तेज
इस पूरे विवाद ने अमेरिका में एक बार फिर ‘ट्रंप बनाम मीडिया’ की बहस को गर्मा दिया है। एक तरफ ट्रंप और उनके समर्थक इस हमले को ‘सदी की सबसे सफल सैन्य कार्रवाई’ कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर CNN और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे मीडिया हाउस इसे जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया अभियान बता रहे हैं।
बहरहाल, अंतिम सच्चाई क्या है, यह पूरी तरह से अभी सामने नहीं आई है। लेकिन इतना तय है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिकी हमले का असली असर सिर्फ सैटेलाइट तस्वीरों या खुफिया आकलनों से तय नहीं होगा, बल्कि भविष्य के घटनाक्रम बताएंगे कि इस ऑपरेशन का रणनीतिक और राजनैतिक असर कितना गहरा था। इस टकराव से एक बात ज़रूर स्पष्ट होती है कि ईरान का परमाणु मुद्दा सिर्फ हथियारों या बमों का नहीं है, यह एक बड़ा कूटनीतिक और प्रचार युद्ध भी बन चुका है, जिसमें हर जानकारी एक रणनीतिक चाल बन गई है।