बीते 3 जून को अहमदाबाद में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पंजाब किंग्स (PBKS) को 6 रनों से हराकर अपना पहला IPL खिताब जीता था, इस जीत के बाद RCB के जश्न का सिलसिला शुरू हुआ जो अहमदाबाद से होता हुआ बेंगलुरु तक पहुंच गया। बेंगलुरु में RCB अपनी जीत का जश्न मना रही थी लेकिन यह जश्न जल्द ही मातम में बदल गया। बेंगलुरु के एम चेन्नास्वमी स्टेडियम के बाहर भगदड़ हो गई और इसमें कम-से-कम 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जिस समय भगदड़ हो रही थी और लोग मर रहे थे उस वक्त मैदान के भीतर RCB का जश्न चल रहा था। मृत लोगों की संख्या बढ़ती गई और सरकार का संवेदनहीन चेहरा भी सामने आता गया। जिस सरकार पर लोगों को प्रबंधन की ज़िम्मेदारी थी वो खुद को पाक साफ साबित करने के लिए इस भगदड़ को कुंभ की भगदड़ से जोड़ने लगी। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इन 11 लोगों की मौत की ज़िम्मेदारी किसकी है?
कैसे हुई भगदड़?
RCB की इस बड़ी जीत का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में फैन्स के आने की उम्मीद थी और वैसा हुआ भी। जैसे-जैसे दिन बीतता गया हज़ारों की संख्या में लोग बेंगलुरु की सड़कों पर जश्न मनाने हुए नज़र आने लगे। बेंगलुरु टीम शाम 5 बजे से पहले विधान सौधा पहुंच गई। जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने टीम का सम्मान किया। इस दौरान भारी संख्या में भीड़ भी विधान सौधा के बाहर जमा हो गई थी। जिससे साफ हो रहा था कि पुलिस को इस भीड़ को निंयत्रित करने की कितनी ज़रूरत थी। इसके बाद टीम को चेन्नास्वमी स्टेडियम पहुंचना था, जहां कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) टीम को सम्मान करना था।
RCB चिन्नास्वामी पहुंचती इससे पहले ही स्टेडियम के सभी गेटों पर पहले ही भारी भीड़ इक्ट्ठा होना शुरू हो गई। इस कार्यक्रम के लिए पहले लोगों को पास के ज़रिए एंट्री मिलनी थी लेकिन बाद में इसे फ्री कर दिया गया जिसके कारण भीड़ और बढ़ गई। बीबीसी हिंदी ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया, “चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट पर भगदड़ मच गई थी। जब यह हादसा हुआ, उस समय स्टेडियम का गेट नहीं खुला था और बड़ी संख्या में लोग एक छोटे से गेट को धक्का देकर तोड़ने की कोशिश कर रहे थे कि इसी दौरान भगदड़ मच गई।” शुरुआत में 3 लोगों की मौत की खबर आई जो धीरे-धीरे बढ़कर 11 तक पहुंच गई। मरने वाले लोगों में 13 साल के किशोर से लेकर 33 वर्ष की उम्र के लोग शामिल थे।
इस भगदड़ का ज़िम्मेदार कौन?
भगदड़ में 11 लोगों की मौत की ज़िम्मेदारी सबसे बड़ा सवाल है, जिसे उठाने के लिए कोई तैयार नहीं है। 35,000 की क्षमता वाले चिन्नास्वामी स्टेडियम में 3 लाख लोगों का पहुंचना, निश्चित तौर पर शासन और पुलिस ऐसे अपनी आंखों के सामने होते देख रही होगी लेकिन इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए यह एक बड़ा सवाल है। इस हादसे में जो लोग घायल हो गए थे उन्हें अस्पताल पहुंचाना भी आसान नहीं था क्योंकि पूरा बेंगलुरु भीड़ के कारण ठप पड़ा था। चश्मदीदों की मानें तो लोगों को 3 बजे ही चिन्नास्वामी के गेट पर आने को कह दिया गया था लेकिन शाम 5 बजे तक स्टेडियम के गेट ही नहीं खोले गए। अगर समय से गेट भी खोल दिए गए होते भीड़ अंदर चली गई होती। लेकिन जब सरकारी अव्यवस्था अपने चरम पर हो तो लोगों के हिस्से मौत ही आती है।
महाकुंभ से तुलना कर बचने की कोशिश
जब कर्नाटक के कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस हादसे की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए थी तब वे इसका तुलना कुंभ से करके शायद यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि उनके यहां हुई भगदड़ में कुंभ की भगदड़ से कम लोग मारे गए। सिद्धारमैया ने कहा कि वे कुंभ से तुलना करके इसका बचाव नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कुंभ में 50-60 लोग मारे गए, लेकिन मैंने इसकी आलोचना नहीं की। अगर कांग्रेस आलोचना करती है, तो यह अलग बात है।” एक बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि इस भगदड़ के ज़िक्र के दौरान कुंभ की बात करने की वजह क्या हो सकती है?
सिद्दारमैया ने इस भगदड़ पर सफाई देकर अपना पल्ला झाड़ने की पूरी कोशिश की उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मृतकों को परिजन को 10-10 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाएगा और हादसे की मजिस्ट्रेट जांच कराई जाएगी। सिद्दारमैया ने इस स्टेडियम के कार्यक्रम को क्रिकेट संघ का बताया और कहा कि हमें केवल 35,000 लोगों के आने की उम्मीद थी। सिद्दारमैया ने कहा कि सरकार केवल क्रिकेट संघ के कार्यक्रम में सुरक्षा ही मुहैया करा सकती है। लेकिन क्या वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम थे? क्या 11 लोगों की मौत बेहतर सुरक्षा बंदोबस्त के बावजूद हो गई?
RCB कितनी ज़िम्मेदार?
इस घटना के लिए जितनी जिम्मेदारी सरकार है, उनती ही जिम्मेदार RCB भी है। और ऐसा कहने की वजह है। जश्न के कार्यक्रम को बेशक छोटा कर दिया गया था लेकिन जब लोग स्टेडियम के भारत ज़िंदगी मौत से बीच झूल रहे थे, तब RCB मैदान के भीतर जश्न मना रही थी। इस हादसे पर संवेदना तक व्यक्त करने के लिए RCB ने घंटों लगा दिए। बेगलुरू पुलिस ने पहले एक ट्वीट किया जिसमें कहा गया था कि कोई विक्ट्री परेड नहीं होगी, इसके बावजूद इस ट्वीट के कुछ समय बाद RCB ने एक ट्वीट किया और कहा कि विक्ट्री परेड की जाएगी। तब तक बेगलुरू पुलिस अपना ट्वीट डिलीट कर चुकी थी। इसके बाद पुलिस ने कहा कि अगर विक्ट्री परेड होती है तो उन्होंने तैयारियां कर ली हैं। जाहिर है कि पुलिस ने जब मना किया था तो ज़रूर उसके पीछे वजह रही होगी लेकिन इस बावजूद पुलिस पर विक्ट्री परेड के लिए क्या RCB द्वारा दबाव बनाया गया था?
लोगों की अब हमेशा के लिए शांत हो गईं चीखें सवाल पूछ रही हैं, सवाल पूछ रही हैं। RCB की जीत ऐतिहासिक थी, लेकिन इस जीत का जश्न 11 परिवारों के लिए कभी न भरने वाला ज़ख्म बन गया। इनकी मौत कोई प्राकृतिक आपदा नहीं थी, यह एक ‘प्रशासनिक आपदा’ थी, जिसे रोका जा सकता था, टाला जा सकता था, लेकिन अफसोस, ऐसा नहीं हुआ। मैदान के अंदर जब कैमरे चमक रहे थे, तब मैदान के बाहर लोग दम तोड़ रहे थे। RCB का 18 वर्ष का सपना तो पूरा हो गया लेकिन हर मरने वाले के पीछे एक सपना था, जो अब हमेशा के लिए अधूरा रह गया।
सरकार हो या RCB, दोनों ने जो चूक की उसकी कीमत आम लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई। न पुलिस ने समय पर गेट खोले, न कार्यक्रम रद्द किया गया और न ही भीड़ नियंत्रण के जरूरी उपाय किए गए। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि हादसे के बाद भी संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई। संवेदना भी देर से आई और जिम्मेदारी तो जैसे किसी के हिस्से में आई ही नहीं।