महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में स्थित प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में हाल ही में श्री शनैश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने 167 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। ट्रस्ट ने इस कार्रवाई का कारण अनुशासनहीनता, लंबी अनुपस्थिति और प्रशासनिक अनियमितताओं को बताया। निकाले गए कर्मचारियों में से 114 (लगभग 68%) मुस्लिम समुदाय से हैं। ये कर्मचारी मंदिर के कृषि, कचरा प्रबंधन और शिक्षा विभागों में कार्यरत थे। बर्खास्तगी की प्रक्रिया 8 जून और 13 जून को दो चरणों में पूरी हुई।
ट्रस्ट ने बताया अनुशासनात्मक कार्रवाई
ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोरक्षनाथ दरंदले ने स्पष्ट किया कि शनि शिंगणापुर मंदिर से कर्मचारियों को हटाने की कार्रवाई पूरी तरह से अनुशासनात्मक आधार पर की गई है। इसमें किसी भी प्रकार का धार्मिक भेदभाव नहीं है। मंदिर में 2,400 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कई कर्मचारी लंबे समय से बिना सूचना के अनुपस्थित थे। ऐसे कर्मचारियों को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और वेतन रोकने की कार्रवाई भी की गई। कई कर्मचारी तो पांच महीनों से ड्यूटी पर नहीं आए थे।
हिंदू संगठनों ने की थी मांग
कुछ समय पहले सकल हिंदू समाज नामक संगठन ने 14 जून को शनि शिंगणापुर मंदिर में गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। यह मांग मई में वायरल एक वीडियो के बाद तेज हुई थी। इस वीडियो में एक गैर-हिंदू व्यक्ति को मंदिर में पेंटिंग का काम करते दिखाया गया था।
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बीजेपी के आध्यात्मिक समन्वय मोर्चा के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने इस कार्रवाई को हिंदू समाज की एकता की जीत करार दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति के खिलाफ सकल हिंदू समाज के विरोध प्रदर्शन ने मंदिर प्रशासन को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। भोसले ने इसे हिंदू परंपराओं की रक्षा और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक बताया।
विवाद और भेदभाव के आरोप
ट्रस्ट ने धार्मिक भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। ट्रस्टी अप्पासाहेब शेटे ने कहा कि कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन और उपस्थिति के आधार पर हटाया गया है। ये कार्रवाई उनके धर्म के आधार पर नहीं की गई है। फिलहाल निकाले गए कर्मचारियों की ओर से भी कोई बयान सामने नहीं आया है। मंदिर प्रशासन के इस फैसले के दीर्घकालिक प्रभाव और सामाजिक परिणाम अभी देखने बाकी हैं।