कर्नाटक सरकार ने राज्य भर में नवनिर्मित बहुमंजिला इमारतों पर 1% अग्नि उपकर लगाने के अपने हालिया फैसले से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। अधिकारियों का दावा है कि यह अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए है, वहीं कई लोग सवाल कर रहे हैं कि नागरिकों को वह लागत क्यों वहन करनी चाहिए, जबकि अनिवार्य रूप से सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की एक प्रमुख जिम्मेदारी है। क्या लोगों पर अतिरिक्त लागत डाले बिना पर्याप्त आपातकालीन सेवाएं प्रदान करना प्रशासन का कर्तव्य नहीं है? इस फैसले से मध्यम वर्ग पर और अधिक बोझ पड़ने की संभावना है, खासकर बेंगलुरु जैसे शहरों में, जहां आसमान छूती अचल संपत्ति की कीमतें पहले से ही कई लोगों की पहुंच से बाहर हैं। भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में, बेंगलुरु वैश्विक निवेश, तकनीकी पेशेवरों और छात्रों को आकर्षित करता है और फिर भी, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार यहां आवास को और भी महंगा बना रही है।
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गुरुवार को कर्नाटक अग्नि (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी, जो राज्य को नवनिर्मित बहुमंजिला इमारतों पर 1 प्रतिशत का अग्नि टैक्स लगाने की अनुमति देता है। कानून मंत्री एचके पाटिल ने घोषणा की कि कर्नाटक अग्निशमन अधिनियम, 1964 की धारा 15 में इस टैक्स को शामिल करने के लिए संशोधन किया जाएगा, जो वाणिज्यिक परिसरों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, औद्योगिक इकाइयों और आवासीय अपार्टमेंटों पर लागू होगा।
पाटिल ने बताया कि उपकर की गणना संपत्ति कर राशि के 1 प्रतिशत के आधार पर की जाएगी। शहरी क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढांचे और तैयारियों को मजबूत करने के लिए इसे एकत्र किया जाएगा। उन्होंने कहा, “जिन सभी संस्थानों और संरचनाओं पर अग्नि अधिनियम लागू होता है, उन्हें अब यह उपकर देना होगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उपकर सभी योग्य संपत्तियों के लिए अनिवार्य होगा और भुगतान की ज़िम्मेदारी बिल्डरों या संपत्ति मालिकों की होगी।
गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कल्याण शुल्क
मंत्रिमंडल ने आगामी विधानसभा सत्र में कर्नाटक प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) अध्यादेश, 2025 को विधेयक में बदलने के लिए प्रस्ताव पेश करने का भी निर्णय लिया है। 30 मई को मूल रूप से प्रख्यापित इस अध्यादेश का उद्देश्य गिग इकॉनमी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करना है। राज्य का अनुमान है कि वर्तमान में कर्नाटक में विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग 2.3 लाख पूर्णकालिक और अंशकालिक डिलीवरी कर्मचारी कार्यरत हैं।
राज्य जल्द ही एक भुगतान एवं कल्याण शुल्क सत्यापन प्रणाली (PWFVS) स्थापित करेगा, जो गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए किए गए प्रत्येक लेनदेन और कल्याण शुल्क कटौती को डिजिटल रूप से ट्रैक करेगी। प्रस्तावित नियमों के तहत, एग्रीगेटर्स को प्रत्येक गिग वर्कर को किए गए प्रत्येक भुगतान पर 1 से 5 प्रतिशत तक कल्याण शुल्क की गणना और भुगतान करना होगा। ये योगदान आरबीआई द्वारा अनुमोदित भुगतान विधियों के माध्यम से हर तिमाही में सरकार द्वारा प्रबंधित कल्याण कोष में जमा किए जाने हैं।
अंतरिक्ष तकनीक के लिए बनेगा उत्कृष्टता केंद्र
कर्नाटक राज्य मंत्रिमंडल ने बेंगलुरु में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना को भी मंजूरी दे दी है , जिसके लिए पांच वर्षों में 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना धारा 8 कंपनी के रूप में की जाएगी। पाटिल ने बताया कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसआईए-इंडिया) कार्यान्वयन भागीदार के रूप में काम करेगा और उसे कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता अधिनियम, 1999 की धारा 4(जी) के तहत छूट दी गई है।
यह निर्णय परीक्षण सुविधाओं की गंभीर कमी को दूर करता है, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य सरकारी केंद्र वर्तमान में अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं और अपने मिशनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्टार्टअप क्षेत्र द्वारा हर महीने लगभग 30 परीक्षण योग्य प्रोटोटाइप तैयार करने और टेस्ट इंस्फ्रास्टक्चर की भारी मांग के बीच, उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) का उद्देश्य इस कमी को पूरा करना और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।
रायचूर में स्थापित होगी कैंसर इकाई
कैबिनेट ने रायचूर स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट के अंतर्गत एक परिधीय कैंसर उपचार इकाई की स्थापना के लिए प्रशासनिक स्वीकृति भी प्रदान की है। इस पहल की अनुमानित लागत 50 करोड़ रुपये है, जिसमें 20 करोड़ रुपये सिविल कार्यों के लिए और 30 करोड़ रुपये उपकरणों के लिए शामिल हैं। इसका वित्तपोषण कल्याण कर्नाटक क्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने बेंगलुरु में इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना को भी मंजूरी दी है, जिसमें 450 बिस्तरों वाला एक अस्पताल होगा। इस परियोजना पर चिकित्सा उपकरण, फर्नीचर और अन्य आवश्यकताओं के लिए 62 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।