हम जैसे मदर्स डे या टीचर्स डे मनाते हैं, वैसे ही AI Appreciation Day होता है यानी ‘AI (Artificial Intelligence) का धन्यवाद करने का दिन’ और हर साल 16 जुलाई को इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन हम उन तकनीकों और लोगों को धन्यवाद देते हैं जो AI को विकसित कर रहे हैं। यह सही है कि AI के आने के बाद लोगों की जिंदगी आसान हो गई है। मोबाइल में गूगल असिस्टेंट, ChatGPT, गाड़ी में नेविगेशन या फिर ऑनलाइन शॉपिंग, ये सब AI के ही काम हैं। हालांकि, AI ने जितनी चीज़ें आसान की हैं उतने की उसके इस्तेमाल को लेकर सवाल भी हैं। हमने AI कंपनी OpenAI के चैटबॉट ChatGPT से AI से जुड़े खतरों को लेकर सवाल पूछे हैं और इस लेख में बताए गए खतरे ChatGPT द्वारा ही सुझाए गए हैं।
ChatGPT ने बताए AI के कौनसे 5 बड़े खतरे?
1. नौकरियों पर AI का हमला: सामाजिक असंतोष का खतरा
AI का सबसे सीधा और व्यापक प्रभाव रोजगार के क्षेत्र में देखा जा रहा है। McKinsey Global Institute की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक दुनिया भर में 80 करोड़ से अधिक नौकरियां AI और ऑटोमेशन के कारण खतरे में पड़ सकती हैं। विशेषकर बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, पत्रकारिता, ट्रांसलेशन, डेटा एंट्री और कस्टमर सर्विस जैसी सफेदपोश (white-collar) नौकरियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी। इससे कम आय वर्ग और मध्यम वर्ग के बीच आर्थिक असंतुलन और असुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी जो सामाजिक विद्रोह, राजनीतिक अस्थिरता और वैचारिक ध्रुवीकरण को जन्म दे सकती है।
2. AI-जनित झूठ और डीपफेक से लोकतंत्र पर हमला
AI से बनी फर्जी खबरें, नकली वीडियो (Deepfakes) और आवाजों की नकल आज इतनी असली लगती हैं कि आम नागरिक और कभी-कभी सरकारें भी धोखा खा जाती हैं। 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में AI-जनित कॉल्स और डीपफेक वीडियोज़ के माध्यम से झूठी सूचनाएं फैलाई गईं। यदि यह प्रवृत्ति बनी रही, तो लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का विश्वास कम हो जाएगा, चुनावों में हस्तक्षेप, अफवाहों के ज़रिए दंगे भड़काने और समाज में अविश्वास फैलाने की घटनाएं आम हो जाएंगी।
3. AI-संचालित साइबर क्राइम और हेकिंग
आज AI का प्रयोग सिर्फ रिसर्च या सर्विस सेक्टर तक सीमित नहीं है, बल्कि साइबर अपराधी भी इसका उपयोग Malware बनाने, सिस्टम हैक करने और फिशिंग ईमेल को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए कर रहे हैं। AI मॉडल्स जैसे ‘FraudGPT’ और ‘WormGPT’ हैकिंग को 100 गुना तेज़ और अधिक प्रभावशाली बना रहे हैं। यह तकनीकें बैंकिंग सिस्टम, सरकारी नेटवर्क, हेल्थकेयर डाटा और इन्फ्रास्ट्रक्चर को गंभीर खतरे में डाल रही हैं। भविष्य में AI आधारित साइबर युद्ध एक देश की संप्रभुता को भी खतरे में डाल सकता है।
4. निजता का अंत: निगरानी और डेटा पर खतरा
AI के माध्यम से चेहरे की पहचान (Facial Recognition), आवाज विश्लेषण और व्यवहार निगरानी जैसे टूल्स का उपयोग अब केवल सरकारी सुरक्षा तक सीमित नहीं है। कंपनियां भी उपभोक्ताओं की हर गतिविधि, खोज इतिहास और खरीदारी की आदतों को ट्रैक कर रही हैं। चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों में तो यह तकनीक नागरिकों की हर हरकत पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल हो रही है। इससे न केवल निजता का हनन हो रहा है, बल्कि मानव अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
5. AI का अस्तित्व संकट (Existential Risk)
AI के ज़रिए General Intelligence (AGI) और Autonomous Systems का विकास एक ऐसा बिंदु है जहां मशीनें स्वयं निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त कर लेती हैं, और मानव नियंत्रण बेमानी हो जाता है। यह स्थिति ‘Singularity’ के करीब मानी जाती है और एक ऐसा मोड़ जब इंसानों की तुलना में AI अधिक तेज, आत्मनिर्भर और अस्थिर हो जाएगा। Tesla के संस्थापक एलन मस्क और OpenAI के सह-संस्थापक सैम ऑल्टमैन सहित कई तकनीकी दिग्गज पहले ही AGI के खतरों को मानव जाति के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मान चुके हैं।