तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक प्रमुख दलाई लामा ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि उनके पुनर्जन्म की परंपरा जारी रहेगी, और दुनिया को 15वां दलाई लामा मिलेगा। दलाई लामा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी की पहचान उनकी ओर से तय की गई प्रक्रिया के तहत ही होगी, और इसमें चीन या किसी अन्य बाहरी शक्ति की कोई भूमिका नहीं होगी।
तिब्बती बौद्ध मान्यता के अनुसार, दलाई लामा का पुनर्जन्म उनकी आध्यात्मिक विरासत और दया, करुणा, तथा ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए होता है। मौजूदा दलाई लामा, जिनका वास्तविक नाम तेनजिन ग्यात्सो है, तिब्बतियों के 14वें दलाई लामा हैं और वे आगामी 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो जाएंगे। लंबे समय से यह चर्चा थी कि वे अपने 90वें जन्मदिवस के आस-पास यह स्पष्ट करेंगे कि उनका उत्तराधिकारी कैसे और किस प्रक्रिया से चुना जाएगा।
2 जुलाई को सीनियर बौद्ध भिक्षुओं के साथ मुलाकात के बाद दलाई लामा ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इस बयान में उन्होंने बताया कि भविष्य में दलाई लामा की संस्था को समाप्त नहीं किया जाएगा और अगला दलाई लामा पारंपरिक रीति से ही खोजा जाएगा।
उन्होंने कहा, “24 सितंबर 2011 को, तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में मैंने यह स्पष्ट किया था कि दलाई लामा की संस्था की निरंतरता का निर्णय तिब्बती समुदाय और बौद्ध अनुयायियों को करना चाहिए। 1969 में भी मैंने कहा था कि यह लोगों का निर्णय होना चाहिए कि दलाई लामा का पुनर्जन्म भविष्य में होना चाहिए या नहीं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा, “जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊंगा, तब मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और अन्य बौद्ध अनुयायियों से परामर्श करूंगा, ताकि यह पुनर्मूल्यांकन किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था को आगे जारी रखना चाहिए या नहीं।”
हालांकि इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बती निर्वासित संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, विशेष आम सभा, गैर-सरकारी संगठनों, मंगोलिया, हिमालयी क्षेत्र, रूस के बौद्ध गणराज्यों और मुख्य भूमि चीन समेत एशिया भर से हजारों तिब्बती और बौद्ध अनुयायियों ने दलाई लामा को पत्र और संदेश भेजे। सभी ने यही अपील की कि दलाई लामा की परंपरा को जारी रखा जाए।
दलाई लामा ने इन अनुरोधों को स्वीकार करते हुए कहा, “मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 15वें दलाई लामा की पहचान कैसे की जाएगी, यह पहले से तय है और 24 सितंबर 2011 के उनके बयान में इसकी प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
उस प्रक्रिया के अनुसार:
- उत्तराधिकारी की खोज की जिम्मेदारी गैडेन फोड्रंग ट्रस्ट (दलाई लामा के कार्यालय का ट्रस्ट) की होगी।
- ट्रस्ट को तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख धर्मगुरुओं और विश्वसनीय, शपथबद्ध धर्म रक्षकों से परामर्श करना होगा।
- पहचान और खोज की प्रक्रिया पूर्ववर्ती परंपराओं के अनुसार ही पूरी की जाएगी।
दलाई लामा ने अंत में दोहराया: “भविष्य के दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार सिर्फ गैडेन फोड्रंग ट्रस्ट को है। किसी अन्य को, विशेष रूप से किसी भी सरकार या संस्था को, इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”
इस प्रकार, दलाई लामा ने न केवल यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी परंपरा जारी रहेगी, बल्कि चीन की ओर से भविष्य में दलाई लामा के चयन में किसी भी दावे या हस्तक्षेप की संभावना को सख्ती से खारिज कर दिया है।