डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने मदुरै में भगवान मुरुगन भक्तों के विशाल सम्मेलन के बाद प्रमुख हिंदू नेताओं और एनडीए सहयोगियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। सरकार की इस कार्रवाई को राजनीतिक धमकी के रूप में देखा जा रहा है। जानकारी हो कि पिछले 22 जून को हुए इस कार्यक्रम में भाजपा नेता के. अन्नामलाई और आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने भाग लिया था। दोनों नेताओं ने हजारों भक्तों को संबोधित किया था।
दोनों नेताओं ने अपने भाषणों में हिंदू एकता और धार्मिक पहचान पर जोर दिया था। इस दौरान सामूहिक धर्मांतरण के विरोध का आह्वान भी किया गया था। इससे डीएमके में हड़कंप मच गया है। हिंदु पक्ष का आरोप है कि एनडीए में हिंदुओं के बढ़ते एकीकरण से डरी स्टालिन सरकार असहमति को दबाने के लिए एफआईआर और अदालती मामलों का इस्तेमाल कर रही है। इस सम्मेलन को हिंदू आस्था की सशक्त अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक गिरावट के विरोध में देखा गया। लेकिन, अब डीएमके शासन ने इसे सार्वजनिक सद्भाव के लिए खतरा बता दिया है।
धर्मांतरण के झांसे में न आएं लोग : अन्नामलाई
भगवान मुरुगन भक्त सम्मेलन के केंद्र में एकता और आध्यात्मिक पुनरुत्थान का आह्वान था। तमिलनाडु भाजपा के पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने इस कार्यक्रम में अपने भाषण में राज्य भर के हिंदुओं से जबरन धर्मांतरण के खिलाफ मजबूती से खड़े होने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की भावुक अपील की। उन्होंने लोगों से धर्मांतरण माफियाओं के झांसे में न आने का आग्रह किया और इस बात की पुष्टि की कि तमिलनाडु मुरुगन की भूमि है, आयातित विचारधाराओं की नहीं। उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच घोषणा की, “धर्मांतरण न करें। एक धार्मिक परिवार के रूप में एकजुट रहें।”
आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है कार्यक्रम : पवन कल्याण
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता के महत्व पर जोर दिया। दक्षिण भारत में भाजपा-जन सेना के बढ़ते प्रभाव का प्रतिनिधित्व करने वाले कल्याण ने इस कार्यक्रम को आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक बताया। इस दौरान तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन भी मौजूद थे, जिन्होंने इस आध्यात्मिक लामबंदी के व्यापक राजनीतिक समर्थन को रेखांकित किया।
हजारों की संख्या में शामिल हुए लोग
जानकारी हो कि भगवान मुरुगन भक्तों का सम्मेलन 22 जून को मदुरै में आयोजित किया गया था। इसमें हजारों मुरुगन भक्त, धार्मिक नेता और सांस्कृतिक विचारक शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदू मुन्नानी और संघ परिवार से जुड़े अन्य समूहों ने किया था। इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय आध्यात्मिक समूहों का समर्थन था। इसका घोषित उद्देश्य मुरुगन भक्ति का जश्न मनाना और ग्रामीण हिंदू आबादी को निशाना बनाकर धर्मांतरण के बढ़ते खतरे का विरोध करना था।
सम्मेलन में वक्ताओं ने मुख्य रूप से सांस्कृतिक मुद्दों, पहचान और पुनरुत्थानवाद पर ध्यान केंद्रित किया। इसके बाद भी डीएमके नेतृत्व वाली सरकार ने इन भाषणों को सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरे के रूप में लिया। पुलिस का दावा है कि सम्मेलन के दौरान “इलेक्ट्रॉनिक संचार और सार्वजनिक टिप्पणियों” ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई और वैमनस्य को भड़काया। ई3 अन्ना नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में अन्नामलाई, पवन कल्याण, हिंदू मुन्नानी के अध्यक्ष कदेश्वर सुब्रमण्यम, राज्य सचिव सेल्वाकुमार और अज्ञात आरएसएस-भाजपा आयोजकों को शत्रुता और धार्मिक उकसावे को बढ़ावा देने के लिए नामजद किया गया है। एफआईआर का समय और लहजा इस बात पर सवाल उठाता है कि क्या तमिलनाडु में उठ रही वैध हिंदू आवाजों को कुचलने के लिए कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है।
फिर सामने आया डीएमके का हिंदू उपहास का इतिहास
यह कार्रवाई कोई अकेली घटना नहीं है। यह एक व्यापक पैटर्न में फिट बैठता है, जहां डीएमके नेताओं ने बार-बार हिंदू परंपराओं और मान्यताओं का अपमान किया है। उनमें सबसे कुख्यात उदयनिधि स्टालिन हैं, जो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने खुले तौर पर सनातन धर्म की तुलना “डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों” से की और इसके उन्मूलन का आह्वान किया था। देशव्यापी आक्रोश के बावजूद, डीएमके अपनी टिप्पणियों पर कायम रही, जो हिंदू मान्यताओं के प्रति उनकी गहरी वैचारिक अवमानना को दर्शाती है।
इस तरह के बार-बार अपमान ने डीएमके सरकार और हिंदू मतदाताओं के बीच अविश्वास को और बढ़ा दिया है। दीपावली और विजयादशमी जैसे त्योहारों पर लोगों को आधिकारिक रूप से शुभकामनाएं देने से इनकार करने से लेकर बजटीय प्राथमिकताओं में मंदिरों को दरकिनार करने तक, डीएमके का व्यवहार एक जैसा रहा है। अब कई लोग मानते हैं कि मुरुगन सम्मेलन के बाद दर्ज किए गए हालिया मामले इस हिंदू विरोधी राजनीतिक दर्शन का ही विस्तार हैं, जिसे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू लामबंदी को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
अन्नामलाई के खिलाफ पिछले मामलों ने इस पैटर्न को और मजबूत किया
यह पहली बार नहीं है जब अन्नामलाई ने खुद को राजनीतिक रूप से प्रेरित कानूनी कार्रवाई का शिकार पाया है। दिसंबर 2024 में कोयंबटूर विस्फोट के एक दोषी के अंतिम संस्कार जुलूस का विरोध करने के लिए चेन्नई में ‘ब्लैक डे’ मार्च आयोजित करने के लिए उनके और 900 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। विडंबना यह है कि इस जुलूस को उसी राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी। इसी तरह अप्रैल 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान, अन्नामलाई को कथित तौर पर अनुमति से घंटों से अधिक प्रचार करके आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए दो अतिरिक्त मामलों का सामना करना पड़ा।
हिंदुत्व जागरण और DMK की नर्वस प्रतिक्रिया
भगवान मुरुगन भक्त सम्मेलन एक आध्यात्मिक सभा से कहीं अधिक था। इसने तमिलनाडु के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव किया। अन्नामलाई और पवन कल्याण जैसे राष्ट्रीय नेताओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने संकेत दिया कि भगवा लहर अब उत्तर तक ही सीमित नहीं है। भक्तों की भारी भीड़ और एकता, धर्मांतरण विरोधी जागरूकता और सांस्कृतिक गौरव के आह्वान वाले भाषणों की गूंज ने स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ डीएमके को बेचैन कर दिया है, जो हिंदू एकीकरण को खतरे के रूप में देखती है।
अपनी हिंदू विरोधी बयानबाजी और विभाजनकारी राजनीति पर आत्मनिरीक्षण करने के बजाय डीएमके ने एफआईआर और कानूनी उत्पीड़न के साथ जवाब देना चुना है। लेकिन, अब यह साफ हो चुका है कि तमिलनाडु धार्मिक जागृति का गवाह बन रहा है। जितना अधिक सत्ताधारी इस आंदोलन को दबाने की कोशिश करेंगे, यह उतना ही मजबूत होकर वापस आएगा। संभावना जतायी जा रही है कि 2026 के चुनाव केवल राजनीति के बारे में नहीं होंगे, वे तमिलनाडु की सभ्यतागत आत्मा पर जनमत संग्रह भी हो सकते हैं।