‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को पटखनी देने के बाद भारत की सेना अब सिर्फ युद्धभूमि पर ही नहीं बल्कि वैश्विक विमर्श के मैदान में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में है। हाल ही में एक बड़ा बदलाव देखा गया है जिसमें सशस्त्र बलों के अधिकारियों को अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा ‘नैरेटिव बिल्डिंग’ (कहानी गढ़ने और दुनिया तक पहुंचाने की कला) की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसका उद्देश्य यह है कि सैन्य अधिकारी अब सिर्फ युद्ध न जीतें बल्कि भारत की आवाज़ को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से रखें।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना टर्निंग पॉइंट
यह पहल मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद शुरू की गई है। यह ऑपरेशन कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए नृशंस आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। इसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में स्थित 9 उच्च-मूल्य आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह कर दिया। इस ऑपरेशन में SCALP क्रूज़ मिसाइल, HAMMER बम और ड्रोन जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिसने भारतीय सैन्य ताकत की सटीकता और तकनीक को दर्शाया।
हालांकि, सैन्य जीत साफ थी लेकिन दुनिया के सामने भारत की सफलता की कहानी कमजोर पड़ गई। विदेशी मीडिया में पाकिस्तान की झूठी कहानियों को पहले स्थान मिल गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपलब्धियों की कहानी लोगों तक पहुंचाने में देरी और कमजोर रणनीति के कारण भारत को ‘नैरेटिव की लड़ाई’ में पिछड़ते हुए देखा गया।
धर्मशाला में हुई पहली वर्कशॉप
इस पूरे घटनाक्रम ने सरकार और रक्षा प्रतिष्ठानों को एक नई दिशा में सोचने को मजबूर किया। उसी का नतीजा है कि पहली ऐसी वर्कशॉप हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित किया गया, जहां तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को मीडिया और संचार रणनीति की ट्रेनिंग दी गई।
वर्कशॉप में अधिकारियों को प्रोफेशनल क्वालिटी की वीडियो शूटिंग, स्पष्ट और प्रभावी जानकारी देना, और तथ्यों के साथ रीयल टाइम अपडेट देने की कला सिखाई गई। इसका उद्देश्य सिर्फ घरेलू दर्शकों को नहीं, बल्कि विदेशों में भारत विरोधी दुष्प्रचार को भी प्रभावी ढंग से चुनौती देना है। सूत्रों के अनुसार, इन वर्कशॉप्स के जरिए ऐसी सैन्य नेतृत्व की एक टीम तैयार की जाएगी जो आधुनिक सूचना युद्ध में भी दक्ष हो, और जो विश्व पटल पर भारत की बात स्पष्टता और विश्वसनीयता के साथ रख सके।
सांसदों ने भी जताई थी नाराज़गी
आपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया भर में भेजे गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कई सांसदों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस विषय पर चिंता जताई थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेशी राजधानियों में भारत का पक्ष रखने गईं कई संसदीय प्रतिनिधि मंडलें इस बात से नाखुश थीं कि भारत की कहानी समय पर और प्रभावशाली ढंग से पेश नहीं की गई। एक वरिष्ठ सांसद ने बताया था, “दुनिया भारत की सैन्य शक्ति की इज्जत करती है, लेकिन जब बात कहानी कहने की आती है, तो हम पिछड़ जाते हैं। हमारे दुश्मन तेज और आक्रामक तरीके से अपने पक्ष को रख देते हैं।”
क्या थीं कमजोरियां?
सूत्रों के अनुसार, भारत की ओर से मीडिया को दी गई जानकारी में देरी, भावनात्मक जुड़ाव की कमी, और पुरानी मीडिया रणनीति के कारण पाकिस्तान का झूठा नैरेटिव जल्द ही विदेशी मीडिया में छा गया। भारत के पास प्रामाणिक वीडियो फुटेज, प्रभावशाली प्रवक्ता, और अच्छी तरह से तैयार कंटेंट की कमी देखी गई, जिससे दुश्मनों को शुरुआत में ही बढ़त मिल गई।
सोशल मीडिया पर पाक की जीत
इन वर्कशॉप्स में सोशल मीडिया नैरेटिव की खामियों को भी दूर करने पर ज़ोर दिया जा रहा है। देखा गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाकिस्तानी और चीनी हैंडल्स से फैलाई जा रही अफवाहें वायरल हो गईं। यहां तक कि भारत समर्थक सोशल मीडिया स्पेस में भी उनका प्रभाव दिखने लगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सैन्य लड़ाई तो जीत रहा है, लेकिन डिजिटल लड़ाई हार रहा है, और इस दौर में कहानी का असर लंबे समय तक बना रहता है। इसलिए नैरेटिव बिल्डिंग अब कोई लग्ज़री नहीं, बल्कि युद्ध कालीन ज़रूरत बन गई है।
आगे क्या होगा?
धर्मशाला वर्कशॉप तो बस शुरुआत है। जल्द ही देशभर की सैन्य कमानों और इकाइयों में ऐसे कई और प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे। इनका लक्ष्य होगा कि हर स्तर पर ऐसे अधिकारी तैयार किए जाएं जो शांति काल और युद्ध काल दोनों में भारत की आवाज़ को मज़बूती से दुनिया तक पहुंचा सकें। भारतीय सेना अब यह मान चुकी है कि नैरेटिव का युद्ध भी असली युद्ध जितना ही ज़रूरी है। और अब वह इस मैदान को छोड़ने के मूड में नहीं है।