पश्चिम एशिया में बढ़ती क्षेत्रीय शत्रुता के बीच भारत ने अपने नागरिकों को ईरान की अनावश्यक यात्रा से बचने की सख्त सलाह दी है। यह चेतावनी ईरान, इज़राइल और अमेरिका के बीच हालिया सैन्य अभियानों के बाद पैदा हुए सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र दी गई है। हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं, ऐसे में तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने विशेष रूप से छात्रों और अस्थायी कामगारों को सतर्क रहने और उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों या फेरी सेवाओं के माध्यम से देश छोड़ने की सलाह दी है। भारत की यह नई चेतावनी पश्चिम एशिया में अस्थिरता के बढ़ते संकेतों पर गंभीर चिंता दर्शाती है और यह स्पष्ट करती है कि विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भारत की शीर्ष प्राथमिकता है।
भारत की चेतावनी: ईरान यात्रा पर पुनर्विचार करें भारतीय नागरिक
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक नई यात्रा सलाह में नागरिकों से ईरान की गैर-जरूरी यात्रा से बचने की अपील की गई है। दूतावास ने कहा है कि पश्चिम एशिया का मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल बेहद अस्थिर है और भारतीयों को किसी भी निर्णय से पहले हालात पर नजर रखनी चाहिए। दूतावास ने बयान जारी कर कहा: “पिछले कुछ हफ्तों में सुरक्षा संबंधी घटनाक्रम को देखते हुए भारतीय नागरिकों को ईरान की अनावश्यक यात्रा करने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।” इस सलाह के बाद ईरान में रह रहे भारतीयों और भारत में उनके परिजनों के बीच चिंता बढ़ गई है, विशेषकर जब दूतावास ने देश में मौजूद भारतीयों को उपलब्ध उड़ानों और फेरी सेवाओं के माध्यम से वापस लौटने की सिफारिश की है। यह चेतावनी अमेरिका सहित अन्य वैश्विक शक्तियों की ओर से जारी की गई समान चेतावनियों के बाद आई है, जो इस क्षेत्र में वर्तमान संकट की गंभीरता को दर्शाती है।
पश्चिम एशिया में युद्ध की आहट: ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ और इसके परिणाम
भारत की यह चेतावनी 13 जून से शुरू हुए सैन्य टकराव की घटनाओं के बाद आई है, जब इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के नतांज़, इस्फहान और फोर्डो में परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इस हमले का उद्देश्य ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं को कमजोर करना था। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने मिसाइलों और ड्रोन के ज़रिये इज़राइली रक्षा ढांचे और कतर में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे को निशाना बनाया। इसके बाद अमेरिका ने 22 जून को “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” शुरू कर ईरान के ठिकानों पर हमला किया और इज़राइल के प्रति एकजुटता दिखाई।
यह 12 दिन चला संघर्ष 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित संघर्षविराम के साथ समाप्त हुआ। हालांकि, ज़मीनी हालात अब भी तनावपूर्ण हैं, और छिटपुट ड्रोन हमलों तथा खुफिया एजेंसियों की चेतावनियों के कारण स्थिति फिर से बिगड़ने का खतरा बना हुआ है। इसी के चलते भारत समेत कई देशों ने चेतावनी जारी की है।
भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए विशेष चिंता: ‘ऑपरेशन सिंधु’ से सीख
भारत के लिए यह चेतावनी विशेष महत्व रखती है क्योंकि ईरान में करीब 2,000 भारतीय छात्र और पेशेवर मौजूद हैं, जिनमें से कई मेडिकल या इस्लामी शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं। जून में जब संघर्ष तेज हुआ, तो भारत ने “ऑपरेशन सिंधु” चलाकर 1,000 से अधिक छात्रों को सुरक्षित निकाला। उस समय दूतावास ने ईरानी अधिकारियों के साथ समन्वय कर सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की थी, जो यह दिखाता है कि संकट के समय विदेशी नागरिक कितने असुरक्षित हो सकते हैं। अब कई भारतीय परिवार एक और आकस्मिक संकट की आशंका से चिंतित हैं और सरकार से वैकल्पिक योजना बनाने की मांग कर रहे हैं।
दूतावास ने भरोसा दिलाया है कि जो भारतीय ईरान से निकलना चाहते हैं, वे अभी वाणिज्यिक उड़ानों और फेरी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। साथ ही स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजकों से भी संपर्क बनाए रखा जा रहा है, ताकि किसी भी भारतीय छात्र या बंदी की सहायता की जा सके।
वैश्विक चेतावनियाँ तेज़: अमेरिका ने भी नागरिकों को किया आगाह
भारत अकेला नहीं है जिसने ईरान को लेकर चेतावनी जारी की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भी अपने नागरिकों को ईरान यात्रा से बचने की सलाह दी है। प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने चेतावनी दी कि ड्यूल सिटिज़न (दोहरी नागरिकता) वाले लोगों के लिए खतरा और भी अधिक है, क्योंकि ईरान दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता और ऐसे मामलों में वाणिज्य दूतावास तक पहुंच भी नहीं देता।
अमेरिका ने विशेष रूप से ईरानी-अमेरिकी नागरिकों को आगाह करने के लिए एक जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। टैमी ब्रूस ने कहा, “बमबारी बंद हो गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ईरान अब सुरक्षित है।” इसके अतिरिक्त, ईरान ने जुलाई की शुरुआत में IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के साथ अपने सहयोग को निलंबित कर दिया है। ईरानी राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान ने एक कानून पर हस्ताक्षर किए, जिससे 2015 के परमाणु समझौते के तहत निगरानी की बाध्यता समाप्त हो गई। इससे ईरान की परमाणु मंशाओं पर वैश्विक चिंताएं और बढ़ गई हैं।
रणनीतिक विवेक बनाम वैचारिक टकराव
भारत द्वारा ईरान को लेकर सख्त यात्रा चेतावनी जारी करना एक व्यावहारिक और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। जब पश्चिम एशिया कई अधूरे वैचारिक और क्षेत्रीय विवादों के चलते बारूद के ढेर पर बैठा है, तब भारत ने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।
ईरान भारत का एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदार है, विशेषकर व्यापार, तेल और चाबहार बंदरगाह परियोजनाओं के संदर्भ में। लेकिन मौजूदा हालात में भारत का स्पष्ट संदेश है, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की भलाई किसी भी रणनीतिक साझेदारी से ऊपर है। जैसे-जैसे हालात बदलते रहेंगे, भारत सरकार सतर्क रहेगी, ताज़ा चेतावनियाँ जारी करती रहेगी और ज़रूरत पड़ने पर निकासी की व्यवस्था करेगी। जब तक क्षेत्र में स्थिरता नहीं लौटती, भारत की कूटनीतिक सतर्कता और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण ही उसका प्रमुख मार्गदर्शन रहेगा।