संसद के मॉनसून सत्र में मंगलवार को प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने सरकार से हमले की वजह और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता पर जवाब मांगा। इसी दौरान उन्होंने मृतकों को हिंदू की जगह भारतीय कहा। इसको लेकर संसद में हिंदू बनाम भारतीय की गूंज दिखी। अब सवाल यह उठता है कि उन्हें हिन्दू शब्द से दिक्कत क्या है। क्या हिन्दू होना राजनीतिक रूप से अपराध हो गया है। जबकि, मुसलमानों के प्रति उनका रवैया ऐसा नहीं।
दरअसल, लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने पहलगाम में मारे गए लोगों को भारतीय बताया, तो लोकसभा में सत्तापक्ष की ओर से हंगामा खड़ा हो गया। बीजेपी सांसदों ने मारे गए लोगों को लेकर कहा कि वे हिंदू थे, लेकिन प्रियंका लगातार दोहराती रहीं कि वे भारतीय थे। अब यह तो सर्वविदित तथ्य है कि पहलगाम में पर्यटकों से उनका धर्म पूछ कर मारा गया। मतलब साफ है कि वहां पर आतंकवादियों ने केवल हिन्दुओं को ही टारगेट किया। फिर उन्हें हिन्दू बोलने में दिक्क्त क्या है?
हिन्दू बनाम भारतीय पर जमकर नारेबाजी
बहस के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि बैसरन घाटी में 25 भारतीयों को मार दिया गया। उनके लिए वहां पर कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। हालांकि, बीजेपी के सांसदों ने उन्हें टोका, कहा कि मारे गए लोग हिन्दू थे। इसके बाद सत्तापक्ष की ओर से हिंदू-हिंदू के नारे लगाए गए, जबकि विपक्ष ने भारतीय-भारतीय के नारे लगाए। इस दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी ने मारे गए सभी 25 लोगों के नाम भी गिनाए। लेकिन, जैसे ही वह मृतक का नाम लेतीं, सत्ता पक्ष की ओर से हिन्दू कहा जाता तो विपक्ष की ओर से भारतीय। इस दौरान लोकसभा में हिन्दू बनाम भारतीय पर जबरदस्त नारेबाजी हुई। अंतत: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मैदान में आना पड़ा। इसके बाद जाकर मामला नर्म पड़ा। लेकिन, इसके बाद भी प्रियंका गांधी की जबान पर हिन्दू शब्द नहीं ही आया।
अब सवाल यह नहीं है कि मारे गए लोग हिन्दू थे या मुसलमान। यह बात भी सही है कि सभी भारतीय थे। लेकिन, यह बात भी उतनी ही सच है कि मारे गए सभी हिन्दू थे। एक सच और कि सभी से उनका धर्म पूछकर मारा गया था। अगर धर्म पूछ कर और कलमा नहीं पढ़ने पर मारा गया तो इससे यह साफ हो जाता है कि वहां पर हिन्दुओं को ही टारगेट किया गया। ऐसे में मृतकों को हिन्दू क्यों नहीं कहा जाए। आखिर उन्हें हिन्दू कहने में दिक्कत क्या है। लेकिन, यह भी सच है कि प्रियंका गांधी ने एक बार भी अपनी जुबान पर हिन्दू शब्द नहीं आने दिया। ऐसे में यह सवाल तो उठना ही चाहिए कि प्रियंका गांधी और कांग्रेस को हिन्दू शब्द से दिक्कत क्या है। क्या उन्हें हिन्दू बोलने से डर लगता है? या फिर उन्हें और उनकी पार्टी को हिन्दुओं से परहेज है।
सोनिया गांधी का रवैया भी कुछ ऐसा ही
अब पिछले दिनों हिन्दी के एक अखबार में सोनिया गांधी का लेख छपा था। उसमें उन्होंने गाजा और फिलीस्तीन में मारे गए लोगों को मुसलमान कहा था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी थी। लेकिन, जब बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हो चुके हिन्दुओं का उत्पीड़न होता है तो उन्हें यह दिखाई ही नहीं देता। इस मुदृे पर अब तक कांग्रेसी बोलने या लिखने से बचते ही रहे हैं।
मनमोहन सिंह ने भी दिया था बयान
पूर्व प्रधामंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपने कार्यकाल के दौरान कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। आखिर ऐसा क्यों। क्या कोई हिन्दू कांग्रेस को वोट नहीं देते। अगर हिन्दू उन्हें वोट नहीं देते तो देश में इतने दिनों तक उनकी सरकार कैसे बनी रही। अब भी देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में कांग्रेस का स्थान ऐसे ही बना हुआ है, जब बहुसंख्यक हिन्दू उन्हें वोट नहीं देते। एक सवाल यह भी कि क्या केवल वोट देने वाले लोगों को ही कांग्रेस जानती है? बाकी से उसे कोई मतलब नहीं।