इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को व्हाइट हाउस में एक बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की घोषणा की। उन्होंने ट्रंप को नोबेल समिति को भेजा गया आधिकारिक नामांकन पत्र सौंपते हुए कहा, “आप इस पुरस्कार के पूर्ण रूप से हकदार हैं और यह आपको मिलना चाहिए।”
नेतन्याहू ने विशेष रूप से मध्य पूर्व में ट्रंप के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि दोनों देशों की टीमें मिलकर चुनौतियों का सामना कर रही हैं और नए अवसरों को साकार करने में सफल हो रही हैं। उन्होंने हाल के अमेरिकी हमलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि, “ट्रंप एक के बाद एक देश और क्षेत्र में शांति स्थापित कर रहे हैं।”
ट्रंप ने जताया आभार, नेतन्याहू के साथ की प्राइवेट डिनर मीटिंग
नामांकन की जानकारी मिलने पर ट्रंप थोड़ा आश्चर्यचकित दिखे, लेकिन उन्होंने नेतन्याहू का धन्यवाद करते हुए कहा, “आपकी ओर से यह विशेष रूप से बहुत सार्थक है। बहुत-बहुत धन्यवाद।” इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू उस दिन व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ प्राइवेट डिनर के लिए पहुंचे थे। इससे पहले उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ ब्लेयर हाउस में अलग-अलग मुलाकातें कीं। ये बैठकें गाजा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई को लेकर चल रही अप्रत्यक्ष वार्ताओं के बीच हुईं।
बंधकों के परिजनों ने की सीजफायर की अपील
इस अहम मुलाकात के दौरान, हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों ने नेतन्याहू और ट्रंप दोनों से अपील की कि वे सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करें और तत्काल सीजफायर की पहल करें। गौरतलब है कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी नेतन्याहू से इस साल की तीसरी मुलाकात थी, जो गाज़ा में इज़रायल के सैन्य अभियान और बंधक संकट के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच हुई।
ट्रंप की पुरानी ख्वाहिश: नोबेल शांति पुरस्कार पाना
जानकारी के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की ख्वाहिश रखते हैं और खुद को उसका योग्य उम्मीदवार मानते हैं। उनके समर्थकों, मित्र राष्ट्रों और रिपब्लिकन सांसदों ने समय-समय पर उन्हें नामांकित भी किया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर भी ट्रंप को नामांकित करने की बात कह चुके हैं।
हाल ही में ट्रंप ने शिकायत की कि नॉर्वे की नोबेल समिति ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, जबकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान, सर्बिया-कोसोवो, और मिस्र-इथियोपिया के बीच मध्यस्थता की थी। उन्होंने खुद को अब्राहम समझौते के जरिए इज़रायल और अरब देशों के बीच संबंध सामान्य करने का श्रेय भी दिया है।
भारत ने दी ट्रंप को स्पष्ट चेतावनी: “यह द्विपक्षीय मुद्दा है”
ट्रंप बार-बार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करवाई, लेकिन भारत सरकार ने हर मंच पर यह स्पष्ट किया है कि “भारत-पाक विवाद द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।” भारत ने अमेरिका या किसी अन्य देश को मध्यस्थ बनने की अनुमति देने से साफ इनकार किया है।
“शांति-दूत” का दावा, लेकिन युद्ध अभी भी जारी
डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को “शांति-दूत” बताते हुए राष्ट्रपति चुनाव प्रचार किया था। उन्होंने दावा किया था कि वे सत्ता में आते ही यूक्रेन और गाज़ा के युद्ध समाप्त कर देंगे। हालांकि, उनके राष्ट्रपति बने 181 दिन हो चुके हैं, और दोनों संघर्ष अब भी जारी हैं।
इसके उलट, ट्रंप ने खुद ईरान-इज़रायल तनाव के बीच अमेरिका को भी जंग में उतारा। उन्होंने ईरान पर हवाई हमले करवाए, जिससे उनकी “शांति” वाली छवि पर सवाल उठे हैं।