कोलकाता के लॉ कॉलेज में छात्रा से किए गए वीभत्स रेप के मामले में आरोपी मनोजीत मिश्रा के वकील के बयान से हंगामा खड़ा हो गया है। मनोजीत मिश्रा के वकील राजू गांगुली ने मीडिया से बातचीत में पीड़िता की आपबीती और मेडिकल सबूतों को नज़रअंदाज करते हुए कहा कि आरोपी के शरीर पर जो निशान पाए गए हैं, वे ‘नाखून के खरोंच’ नहीं बल्कि ‘लव बाइट’ है। वकील की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर लोग इसे असंवेदनशील बता रहे हैं। कुछ लोगों का दावा है कि वकील जांच की दिशा को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
वकील ने क्या कहा?
राजू गांगुली ने खुद को मनोजीत मिश्रा का वकील के अलावा उसका सीनियर भी बताया है। राजू गांगुली ने ANI से बातचीत में विवादस्पद दावा करते हुए कहा, “मैंने मनोजीत से पूछा कि उसके खिलाफ इतने गंभीर आरोप क्यों हैं। उसने कहा कि सब उसे विलेन बना रहे हैं। मैंने कहा कि उसके शरीर पर नाखूनों के निशान होने की बात सामने आई है। तब उसने शर्ट उतारी, मैंने गले पर एक निशान दिखाया और पूछा कि यह क्या है। उसने कहा – यह ‘लव बाइट’ है। जब मैंने पूछा कि किसने दिया, तो पुलिस उसे ले गई।”
#WATCH | Kolkata alleged gang-rape: Accused Manojit Mishra’s lawyer, Raju Ganguly, says, “…I asked him what happened that he has such serious allegations against him. He told me that everyone is making him out to be a villain. I told him that it is being said that he has… pic.twitter.com/7fkZbMJT6J
— ANI (@ANI) July 2, 2025
वकील ने आगे पीड़िता की भी जांच कराने की मांग कर डाली। उनका कहना है कि पीड़िता का फोन जब्त कर फॉरेंसिक जांच कराई जाए और कॉल रिकॉर्ड कोर्ट में लाया जाए। वकील ने कहा, “रिकॉर्ड देखने के बाद मुझे लगता है कि शायद यह बलात्कार का मामला नहीं है। 20 जुलाई तक मैं बता पाऊंगा कि यह केस रेप का है या नहीं।”
क्या था मामला?
कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज परिसर में 25 जून को कथित गैंगरेप का मामला सामने आया है। यह वारदात कॉलेज के ही सुरक्षा गार्ड के कमरे में अंजाम दी गई। पुलिस ने इस मामले में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सबसे पहले पुलिस ने मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा को पकड़ा, फिर उसके दो साथी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी को भी गिरफ्तार किया गया। ये तीनों आरोपी उसी लॉ कॉलेज के छात्र हैं। बाद में कॉलेज के सुरक्षा गार्ड पिनाकी बंद्योपाध्याय को भी गिरफ्तार किया गया।
पुलिस विभाग के एक सूत्र के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि मेडिकल जांच में मनोजीत के शरीर पर ताजे नाखूनों के खरोंच के निशान पाए गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि पीड़िता ने हमले के दौरान खुद को बचाने की कोशिश की थी। पुलिस ने दावा किया है, “मनोजीत के शरीर पर खरोंच के ताजे निशान पाए गए हैं। इस तरह की चोटें तब लगती हैं जब कोई संघर्ष करता है या विरोध करता है।” वहीं, पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट ने भी उसकी गवाही की पुष्टि की गई है। सीसीटीवी फुटेज में भी यह साफ देखा गया है कि कैसे आरोपी उसे कॉलेज परिसर के अंदर घसीटते हुए ले जा रहे थे।
क्या किसी बलात्कार पीड़िता के बयान को इस तरह से शक की निगाह से देखना और उसे ही कठघरे में खड़ा करना वकील की नैतिक जिम्मेदारी है? क्या यह पीड़िता के साथ न्याय की भावना के खिलाफ नहीं है? आरोपी के वकील का ‘लव बाइट’ वाला बयान न केवल भ्रामक है बल्कि यह न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने और जनमत को गुमराह करने की कोशिश भी प्रतीत होती है। यह पीड़िता की गरिमा का भी अपमान है। न्याय की प्रक्रिया में सभी पक्षों को सुना जाना चाहिए लेकिन किसी बलात्कार के मामले को ‘रोमांटिक’ मोड़ देकर कमजोर करने की कोशिश बेहद खतरनाक है।