पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी अध्यक्ष बनने की खबर ने भारत में सियासी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इस घटना को भारत की कूटनीतिक हार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की विदेश नीति पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस ने दावा किया कि पाकिस्तान, जिसका आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत में अस्थिरता फैलाने का इतिहास रहा है, उसे वैश्विक मंच पर इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीतिक नाकामी को दर्शाता है। ऐसे में अब यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान का UNSC का अस्थायी अध्यक्ष बनने में वाकई भारत की कोई भूमिका थी या भारत उसे रोक सकता था।
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस के कई नेताओं और समर्थकों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर भारत की विदेश नीति को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री को विदेश घूमने से फुर्सत नहीं और विदेश नीति का बैंड बजा हुआ है आतंकी देश पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बन गया। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान को UN की ‘Counter Terror Committee’ का उपाध्यक्ष बनाया गया था। हम झुनझुना बजा रहे हैं क्या?”
कांग्रेस पिछले कुछ वक्त से लगातार भारत की विदेश नीति की आलोचना करती रही है। कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि भारत के पारंपरिक सहयोगी देश, जैसे मालदीव, नेपाल और श्रीलंका, अब भारत से दूरी बना रहे हैं और इससे भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ रहा है। G7 के दौरान प्रधानमंत्री की तस्वीर के बाद सोशल मीडिया पर खूब हंगामा हुआ था।
UNSC में कैसे आया पाकिस्तान?
पाकिस्तान को जुलाई 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया है, जो 1 जुलाई से 31 जुलाई 2025 तक की अवधि के लिए है। यह समझना जरूरी है कि यह अध्यक्षता कैसे और कब दी गई। पाकिस्तान को जनवरी 2025 में UNSC का अस्थायी सदस्य चुना गया था। जून 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के चुनाव में पाकिस्तान को 193 में से 182 वोट मिले थे। यह पाकिस्तान का आठवां कार्यकाल है, क्योंकि वह इससे पहले 2012-13, 2003-04, 1993-94, 1983-84, 1976-77, 1968-69 और 1952-53 में भी UNSC का अस्थायी सदस्य रह चुका है।
पाकिस्तान कैसे बना UNSC का अध्यक्ष?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अध्यक्ष हर महीने बदलता है और यह कोई राजनीति या दबाव का खेल नहीं है। बल्कि यह एक पूरी तरह से तय और निष्पक्ष प्रक्रिया है। इसे रोटेशन सिस्टम कहते हैं, जो UNSC के प्रक्रिया के अंतरिम नियम (Provisional Rules of Procedure) के नियम 18 के तहत चलता है। इसमें कहा गया है, “नियम 18 सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा उनके नाम के अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में बारी-बारी से की जाएगी। प्रत्येक अध्यक्ष एक कैलेंडर महीने के लिए पद पर रहेगा।”

इस प्रक्रिया में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य (5 स्थायी और 10 अस्थायी) अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में एक-एक करके हर महीने अध्यक्ष बनते हैं। इस बार, यानी जुलाई 2025 में पाकिस्तान की बारी आई। Pakistan नाम ‘P’ से शुरू होता है और इस महीने के क्रम में वह सबसे आगे था। यह तयशुदा रोटेशन सिस्टम है, इसमें न कोई चुनाव होता है, न नामांकन, न ही किसी देश को अपने लिए लॉबिंग करनी पड़ती है। इसका किसी देश की छवि, उसकी नीतियों या वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति से कोई लेना-देना नहीं होता।
2025 में कौनसे देश कर चुके और कौन करेंगे UNSC की अध्यक्षता?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अध्यक्षता हर महीने एक नए सदस्य देश को दी जाती है, जो अंग्रेज़ी वर्णमाला के क्रम के आधार पर तय होती है। वर्ष 2025 में जनवरी महीने के लिए अल्जीरिया ने परिषद की अध्यक्षता संभाली, इसके बाद फरवरी में चीन, मार्च में डेनमार्क, अप्रैल में फ्रांस, मई में ग्रीस और जून में गयाना अध्यक्ष बने। जुलाई 2025 के लिए पाकिस्तान को अध्यक्ष चुना गया है। इसके बाद अगस्त में पनामा, सितंबर में दक्षिण कोरिया (Republic of Korea), अक्टूबर में रूस (Russian Federation), नवंबर में सिएरा लियोन और दिसंबर में स्लोवेनिया UNSC की अध्यक्षता करेंगे।
UNSC अध्यक्ष क्या करता है?
यह एक प्रशासनिक ज़िम्मेदारी है। Provisional Rules of Procedure के नियम 19 में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष उसकी बैठकों की अध्यक्षता करेगा और सुरक्षा परिषद के अधिकार के तहत, संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में उसकी ओर से प्रतिनिधित्व करेगा। The UN Security Council Handbook में बताया गया है कि UNSC का अध्यक्ष महीने भर बैठकों की अध्यक्षता करता है, आवश्यक होने पर बैठकें बुलाता है, अंतरिम एजेंडे को मंज़ूरी देता है, परिषद की बैठकों के अभिलेखों पर शब्दशः हस्ताक्षर करता है और यदि कोई प्रतिनिधि आदेश का मुद्दा उठाता है, तो वह अपना निर्णय बताता है और यदि उसे चुनौती दी जाती है, तो मामले को परिषद के समक्ष प्रस्तुत करता है। अनौपचारिक बैठकों में अध्यक्ष की भूमिका समान होती है। इसके अतिरिक्त, परिषद अध्यक्ष प्रेस या प्रेस तत्वों के समक्ष कोई भी वक्तव्य प्रस्तुत करता है।
मोटे तौर पर समझें तो अध्यक्ष महीने भर सुरक्षा परिषद की मीटिंग्स को कुशलतापूर्वक संचालित करता है, एजेंडा तय करता है, और बातचीत को एक व्यवस्थित दिशा में ले जाने का काम करता है। लेकिन उसके पास कोई विशेष या अतिरिक्त शक्तियां नहीं होतीं बल्कि वह फैसले नहीं लेता सिर्फ प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाता है। इसलिए अगर आप यह सोच रहे हैं कि पाकिस्तान का UNSC अध्यक्ष बनना कोई बड़ी कूटनीतिक जीत है या इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत हो गई, तो ऐसा कुछ नहीं है। यह बस एक नियम के तहत मिली बारी है।