पाकिस्तान के आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का खतरा अब वज़ीरिस्तान और अफगान सीमा की बीहड़ घाटियों तक सीमित नहीं रहा। इसने अब दक्षिण एशिया के पूर्वी हिस्से बांग्लादेश में भी अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। जुलाई में बांग्लादेश की आतंकवाद विरोधी एजेंसियों ने दो अलग-अलग अभियानों में दो ऐसे संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिनके टीटीपी से सीधे संबंध बताए जा रहे हैं। आरोप पत्र में स्पष्ट रूप से ‘जिहाद की तैयारी’ जैसी शब्दावली का प्रयोग हुआ है, जो इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी आतंकी नेटवर्क अब बांग्लादेशी युवाओं को भी कट्टरपंथ की राह पर ले जा रहा है।
सावर से पहली गिरफ्तारी: TTP की विचारधारा से प्रेरित आरोपी
2 जुलाई को ढाका के पास सावर क्षेत्र में एक दुकान से 33 वर्षीय मोहम्मद फोয়সाल को आतंकवाद निरोधक इकाई (ATU) ने गिरफ़्तार किया। खुफिया जानकारी के आधार पर कई हफ्तों की निगरानी के बाद यह कार्रवाई की गई। पूछताछ में फोयसाल ने स्वीकार किया कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की विचारधारा से प्रेरित था और अक्टूबर 2024 में पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान गया था। उसके साथ 23 वर्षीय अहमद जुबैर भी था, जो अब पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान में सेना की कार्रवाई में मारा गया है।
यह चौंकाने वाला खुलासा इस ओर इशारा करता है कि बांग्लादेशी युवाओं को टीटीपी अपने नेटवर्क में भर्ती कर रहा है और वे पाकिस्तान-अफगानिस्तान के युद्ध क्षेत्रों तक भी पहुंच रहे हैं। 5 जुलाई को फोयसाल और 5 अन्य के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें उन पर ऑनलाइन माध्यम से युवाओं की भर्ती करने, प्रचार फैलाने और जिहाद के लिए मानसिक एवं भौतिक तैयारी कराने का आरोप है।
इंजीनियर द्वारा संचालित नेटवर्क और जिहादी प्रशिक्षण का खुलासा
फोयसाल की स्वीकारोक्ति ने एक अहम नाम को उजागर किया है, इंजीनियर इमरान हैदर, जिसे बांग्लादेश में टीटीपी के सक्रिय स्लीपर सेल का प्रमुख माना जा रहा है। इस नेटवर्क में रज़ाउल करीम अबरार, आसिफ अदनान, जकारिया मसीह और एमडी सनाफ हसन जैसे नाम भी सामने आए हैं, जो ऑनलाइन कट्टरपंथीकरण से लेकर शारीरिक प्रशिक्षण तक युवाओं को जिहाद के लिए तैयार करने का काम कर रहे थे। ‘जिहाद की तैयारी’ जैसी स्पष्ट शब्दावली का इस्तेमाल आधिकारिक आरोपपत्र में किया गया है, जो खतरे की गंभीरता को रेखांकित करता है। ये आरोपी केवल विचारधारा के समर्थक नहीं, बल्कि सक्रिय आतंकी सेल खड़ा करने की साजिश रच रहे थे।
नारायणगंज से दूसरी गिरफ्तारी
14 जुलाई को रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने नारायणगंज से 48 वर्षीय शमीन महफूज़ को गिरफ्तार किया और उसे ATU को सौंप दिया। हालांकि, शमीन को फोयसाल केस में सीधे नामजद नहीं किया गया है, लेकिन पूछताछ में उसके भी टीटीपी से जुड़े होने की आशंका जताई गई है। शमीन बांग्लादेश के कट्टरपंथी परिदृश्य में एक जाना-पहचाना नाम है। वह पहले जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और जमातुल अंसार फिल हिंदाल शरकिया जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ा रहा है। वह कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (KNF) जैसे अलगाववादी गुटों से भी संपर्क में था और चित्तागोंग हिल ट्रैक्ट्स में आतंकी कैंप चलाने की योजना बना रहा था। अक्टूबर 2024 में जमानत पर रिहा होने के बावजूद वह फिर से सक्रिय हो गया था, जो दर्शाता है कि एक बार कानूनी पकड़ से छूटने के बाद ये आतंकी कितनी आसानी से दोबारा सक्रिय हो जाते हैं।
वज़ीरिस्तान से ढाका तक: TTP का बढ़ता आतंकी जाल
2007 में बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) कई चरमपंथी संगठनों का साझा मंच है, जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सक्रिय हैं। स्कूलों, मस्जिदों और यहां तक कि पाकिस्तानी सेना पर भी हमले करने के लिए कुख्यात यह संगठन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठन है। अब इसके निशाने पर केवल पाकिस्तान या अफगानिस्तान ही नहीं, बल्कि पूरा दक्षिण एशिया आता दिख रहा है। कुछ हफ्ते पहले मलेशिया में 36 बांग्लादेशी नागरिकों को आतंकी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अब बांग्लादेश में हुई गिरफ्तारियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि टीटीपी की जिहादी विचारधारा न केवल ऑनलाइन फैल रही है, बल्कि सक्रिय भर्ती, प्रशिक्षण और स्लीपर सेल्स तैयार करने के स्तर तक पहुंच चुकी है। टीटीपी के इतिहास में 2014 का पेशावर स्कूल नरसंहार और पाक सेना पर घातक हमले जैसे जघन्य कृत्य दर्ज हैं। अफगान-पाक सीमा हमेशा इसका सुरक्षित अड्डा रहा है, लेकिन अब बांग्लादेश को भी यह अपने खूनी खेल में खींच रहा है।
दक्षिण एशिया में आतंक का नया मोर्चा
सावर और नारायणगंज से गिरफ्तार इन दो संदिग्धों ने पूरे क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। जैसे-जैसे दक्षिण एशिया में तालिबानीकरण की प्रक्रिया गहराती जा रही है, यह साफ हो रहा है कि जो विचारधाराएं कभी सीमित क्षेत्र में थीं, वे अब पूरे उपमहाद्वीप में प्रसार की राह पर हैं। पाकिस्तानी आधारित भर्तीकर्ताओं की सक्रियता और ऑनलाइन कट्टरपंथीकरण के ज़रिए युवाओं को जोड़ने की रणनीति अब एक नई लहर का संकेत है कि एक ऐसी लहर, जिसे रोका नहीं गया तो बांग्लादेश में एक नया वज़ीरिस्तान बनते देर नहीं लगेगी। बांग्लादेश की ATU ने समय पर कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी निभाई है। अब यह ज़रूरी है कि पूरे दक्षिण एशिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस उभरते खतरे को गंभीरता से लें और समूहबद्ध रणनीति बनाकर इसे जड़ से खत्म करें।
भारत को घेरने की रच रहा साज़िश?
इन घटनाओं से यह सवाल गहराता जा रहा है कि क्या पाकिस्तान स्थित TTP भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है? बांग्लादेश की सीमा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से लगती है और वहां पहले से ही अलगाववादी तत्व सक्रिय रहे हैं। शमीन महफूज़ जैसे आतंकी अगर KNF जैसे संगठनों से संपर्क में हैं और हथियार प्रशिक्षण दे रहे हैं, तो यह सीधा संकेत है कि भारत की पूर्वी सीमा पर एक नया आतंक का फ्रंट खड़ा करने की कोशिश हो रही है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह अलार्मिंग है क्योंकि यह नया खतरा ना केवल सीमाओं से जुड़ा है, बल्कि भारत के भीतर छुपे नेटवर्क को भी हवा दे सकता है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अब एक बहुस्तरीय, बहुराष्ट्रीय नेटवर्क बनता जा रहा है और इसमें बांग्लादेश, म्यांमार, और अन्य दक्षिण एशियाई देशों का उपयोग भारत को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है।