कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को दिल्ली के 81 लोधी एस्टेट में एक नया सरकारी बंगला मिला है। इससे उनकी पांच साल बाद लुटियंस दिल्ली में वापसी हुई है। यह बंगला उन्हें तब मिला है जब वे हाल ही में केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद चुनी गई हैं। इसके साथ ही अब वे फिर से दिल्ली के हाई-सिक्योरिटी वाले राजनीतिक क्षेत्र में रहने लगी हैं।
यह टाइप-6बी श्रेणी का बंगला है, जिसे 2023 में एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के शरद पवार गुट ने अपने दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल किया था। अब इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत निदेशालय संपदा ने प्रियंका गांधी को आवंटित किया है।
लंबे समय से चल रहा मुद्दा
दिल्ली में सरकारी आवास में प्रियंका गांधी की वापसी एक पुराने आवास विवाद के बाद हुई है, जो जुलाई 2020 में शुरू हुआ था। तब उन्हें उनके पुराने घर 35 लोधी एस्टेट को खाली करने का नोटिस मिला था। सरकार ने इसकी वजह ये बताई थी कि उनकी SPG सुरक्षा हटा ली गई है, और अब जो Z+ सुरक्षा उन्हें मिली है, वह उन्हें अपने आप सरकारी घर पाने का हक नहीं देती।
इस फैसले के साथ उनका करीब 20 साल पुराना लोधी एस्टेट में रहना खत्म हो गया था। उस वक्त कांग्रेस पार्टी ने इस कदम को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” कहा था।
अस्थायी निवास और मरम्मत कार्य
35 लोधी एस्टेट खाली करने के बाद प्रियंका गांधी हुमायूं रोड पर स्थित एक निजी मकान, G-80 सुजान सिंह पार्क में रह रही थीं। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, उनके नए सरकारी बंगले 81 लोधी एस्टेट में इस समय मरम्मत का काम चल रहा है। हालांकि, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने अभी तक यह नहीं बताया है कि हाल ही में वहां कोई खास नवीनीकरण हुआ है या नहीं।
रिकॉर्ड के अनुसार, इस बंगले की आखिरी बार मरम्मत साल 2018 में हुई थी, जो कि केंद्र सरकार की सरकारी इमारतों के नियमित रखरखाव का हिस्सा थी।
सुले की सद्भावना ने रास्ता आसान किया
इस बदलाव में एनसीपी-शरद पवार गुट की नेता सुप्रिया सुले की बड़ी भूमिका रही, जो पहले इस बंगले को अपने कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल कर रही थीं। सुले के एक करीबी शख्स ने बताया कि उन्होंने करीब दो महीने पहले यह बंगला “सद्भावना” दिखाते हुए खाली कर दिया, ताकि इसे प्रियंका गांधी को दिया जा सके।
एचटी से बातचीत में उस सूत्र ने कहा, “अगर सुले यह बंगला खाली नहीं करतीं, तो प्रियंका गांधी को एक छोटा फ्लैट मिलता और सुरक्षा के इंतजाम के लिए उन्हें खुद ज्यादा खर्च करना पड़ता।” यह दिखाता है कि नए सांसदों के लिए सरकारी आवास और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कितनी जटिलताएं होती हैं।
सत्ता के केंद्र में वापसी
81 लोधी एस्टेट का आवंटन सिर्फ एक नया घर मिलने का मामला नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि प्रियंका गांधी अब राष्ट्रीय राजनीति में और सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव में वायनाड से जीत के बाद, जो पहले उनके भाई राहुल गांधी का क्षेत्र था।
लुटियंस दिल्ली जैसे अहम इलाके में लौटना यह साफ करता है कि अब वह एक पूर्णकालिक सांसद के तौर पर काम करेंगी और संसद के साथ-साथ पार्टी की रणनीति में भी ज्यादा हिस्सा लेंगी। ऐसे समय में जब कांग्रेस देशभर में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, यह कदम सही समय पर और प्रतीकात्मक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।