बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का गढ़ माने जाने वाले गोपालगंज में बुधवार को रैली के दौरान हिंसा भड़क उठी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गोपालगंज में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) की रैली के दौरान जबरदस्त हिंसा भड़क उठी। इस दौरान सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी कर दी। रात होते-होते, चार युवाओं की जान चली गई, दर्जनों घायल हो गए और सड़कें घायलों की चीखों, गोलियों की गड़गड़ाहट और सैन्य कर्फ्यू वाले शहर के दमघोंटू सन्नाटे से गूंज उठीं। मृतकों में एक 25 साल का हिंदू युवक भी शामिल है, जिसके सीने पर गोली मारी गई।
बांग्लादेश के संस्थापक का है गृहनगर
जानकारी हो कि गोपालगंज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का गृहनगर भी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार को एनसीपी नेताओं ने गोपालगंज में रैली बुलाई थी। इस दौरान शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों ने विरोध किया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। इस दौरान उग्र भीड़ को रोकने के लिए वहां की सेना ने गोलियां चलाईं। गोपालगंज जनरल अस्पताल के अधीक्षक जिबितेश बिस्वास ने बताया कि अस्पताल में चार लोगों को मृत अवस्था में लाया गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें गोली लगी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लाठियों और डंडो से लैस लोगों के एक समूह ने एनसीपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को घेर लिया और उन पर हमला कर दिया। उन्होंने एनसीपी सदस्यों को घेर लिया और पुलिस वाहनों को भी चारों तरफ से रोक दिया।
अवामी लीग पर लगाया हमले का आरोप
बाद में एनसपीपी के चीफ कोऑर्डिनेटर नसीरुद्दीन पटवारी ने पत्रकारों से कहा कि अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यह हमला किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और सेना घटनास्थल पर मौजूद थी। इसके बाद भी हमलावरों को नहीं रोका गया। इससे पहले दोपहर करीब 1.45 बजे लगभग दो से तीन सौ स्थानीय अवामी लीग समर्थक लाठियों और डंडों के साथ एनसीपी रैली स्थल पर पहुंचे। जब हमला शुरू हुआ, तो ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी वहां से हटकर पास के अदालत परिसर में चले गए। कार्यक्रम स्थल पर मौजूद एनसीपी नेता और कार्यकर्ता भी तुरंत मौके से चले गए।
मोहम्मद यूनुस ने भी आवामी लीग को ही ठहराया जिम्मेदार
इधर, एक बांग्लादेशी अखबार ने एक पत्रकार के हवाले से बताया कि आम लोगों और यहां तक पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी ने भी एनसीपी को रोकने के लिए स्थानीय अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं से हाथ मिला लिया। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हिंसा के लिए सीधे तौर पर अवामी लीग को जिम्मेदार ठहराया। मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने कहा कि इस जघन्य कृत्य को करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
गोपालगंज में लगाया गया कर्फ्यू
बाद में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की टुकड़ियों को सेना की मदद के लिए तैनात किया गया। बताया गया है कि सेना ने लोगों पर गोलियां चलाईं, जिसमें चार लोगों की मौत हुई। इस बीच गोपालगंज में बुधवार देर रात 8 बजे से 22 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया है और चेतावनी दी गई है कि हमले के पीछे जो लोग हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।
एनसीपी नेताओं की धमकी
इधर, हिंसा और मौत के बाद भी एनसीपी के नेताओं ने रैली स्थल पर पहुंचकर रैली की। नाहिद इस्लाम और हसनत अब्दुल्लाह जैसे नेताओं ने खुले तौर पर मुजीब की विरासत कहे जाने वाले प्रतीकों को ध्वस्त करने की कसम खाई। इस्लाम ने यह भी कहा कि अगर उनकी रैली पर हमले के मामले में न्याय करने में देरी हुई, तो एनसीपी खुद गोपालगंज को ‘मुजीबवाद से आजाद कराने’ के लिए वापस आएगी। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि एनसीपी नेता टैंकों के अंदर बैठकर रैली स्थल तक पहुंचे।
इनकी हुई मौत
बांग्लादेश में शाम तक, मृतकों की संख्या चार हो गई थी। गोपालगंज के सामान्य अस्पताल में मृतकों के नामों की जानकारी दी गई है। इनमें हिन्दू युवक दीप्तो साहा (25) छात्र नेता थे। वह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे थे। वह अपने समुदाय में स्थानीय बच्चों को ट्यूशन देने और रक्तदान अभियान चलाने के लिए जाने जाते थे। उनके सीने में गोली लगी है। दूसरा मृतक रमजान काजी था, जो प्रथम वर्ष का छात्र था। उसकी भी मौके पर ही मौत हो गई। तीसरे मृतक की पहचान सोहेल मोल्ला (41) के रूप में की गई है, जो तीन बच्चों का पिता और स्थानीय किराना दुकान का मालिक था। हालांकि, चौथे मृतक की अब तक पहचान नहीं हो पाई है।