2026 तमिलनाडु विधानसभा चुनाव की आहट के बीच, एआईएडीएमके के महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (EPS) ने अपने परंपरागत गढ़ मेट्टुपलायम से राज्यव्यापी चुनावी अभियान की शुरुआत की। 2019 के बाद लगातार हार का सामना कर रही पार्टी को पुनर्जीवित करने की दिशा में यह रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
BJP-एआईएडीएमके गठबंधन को बढ़ावा, विपक्षी एकता का संकेत
NDTV को दिए साक्षात्कार में EPS ने साफ कहा: “अगले आठ महीनों में हमारा BJP के साथ गठबंधन काफी बढ़ेगा। कई पार्टियाँ हमारे गठबंधन में आएँगी और यह AIADMK के नेतृत्व में होगी। यह एक मजबूत गठबंधन होगा।”
उनके इन शब्दों से साफ पता चलता है कि बीजेपी और एआईएडीएमके का गठबंधन कहीं न कहीं तमिलनाडु में विपक्षी ताकतों को संगठित करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
DMK पर प्रहार: ‘वेलफेयर मिथक’ और ‘भाषा की दोहरी नीति’
EPS ने DMK सरकार व मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की योजना और बयानबाजी पर भी तीखा प्रहार किया:
- उन्होंने DMK के वेलफेयर स्कीम्स को ‘मिथक’ बताया और आरोप लगाया कि महिलाओं को मिलने वाली आय-सहायता, एआईएडीएमके की पूछताछ के बाद शुरू की गई थी और संख्या बहुत कम की गई थी।
- DMK की तमिल पहचान की दुहाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस जैसे भाषा-प्रभाव वाली पार्टी से गठबंधन करना उनके दिग्गज चेहरों की दोहरी सोच उजागर करता है।
साथ ही, EPS ने कहा कि स्टालिन को उसके अपने दल पर भरोसा नहीं है, जबकि AIADMK का आधार मजबूत है और राज्यव्यापी नेटवर्क उसके पास स्थिरता की पहचान है।
जन भावना से जुड़ाव: ‘लोग AIADMK चाहते हैं वापस’
EPS ने जनादेश से संवाद को अहम बताया: “यह यात्रा लोगों से मिलने के लिए है। मैं खुद जनता के बीच जाऊँगा।” उन्होंने कहा कि विशाल भीड़ यह संदेश दे रही है कि लोग DMK से नाखुश हैं और बदलाव चाहते हैं। उनके अनुसार, युवाओं और आम जनता में समर्थन बढ़ रहा है और यह दिखाता है कि AIADMK जल्द वापस ताक़तवर रूप से सत्ता में लौटने को तैयार है।
अपनी अंदरूनी राजनीति को मजबूत करते हुए EPS ने OPS गुट को पीछे कर पार्टी का नियंत्रण और संगठनात्मक ढांचा पुनः सुदृढ़ बनाया है। उनका यह अभियान केवल DMK को चुनौती नहीं, बल्कि AIADMK की आत्मनिर्भरता व जमीनी पकड़ का सबूत भी है।
अभिनेता विजय की राजनीति पर EPS ने रखी साधारण प्रतिक्रिया
जब तमिल सिनेमा के सुपरस्टार विजय की राजनीतिक एंट्री पर पूछा गया, EPS ने कहा: “अगर वह पार्टी शुरू करना चाहते हैं और जनता की सेवा करना चाहते हैं, तो यह उनकी इच्छा है। उन्होंने अभी शुरुआत ही की है, उन्हें कितना प्रभाव मिलेगा, यह बाद में पता चलेगा।” इस जवाब से स्पष्ट है कि EPS विजय के लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं कर रहे, लेकिन अभी वे AIADMK का नेतृत्व अडिग मान रहे हैं।
आगाज़ हुआ चुनावी महीना: गठबंधन और फिर ‘भीड़ विरोध’
EPS का यह राज्यव्यापी रोडशो, BJP-अलायंस के विस्तार का संकेत और DMK सरकार की आलोचना, आगामी 2026 विधानसभा चुनाव के बिगुल के रूप में देखी जा रही है। इसके माध्यम से उन्होंने AIADMK को ‘काबिल, अनुभवी, और स्थिर विकल्प’ के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
हालांकि DMK को सत्ता तथा कई सहयोगियों का लाभ अभी हासिल है, लेकिन EPS की पहल और गठबंधन प्रयास यह बताते हैं कि AIADMK भी बिना शोर मचाए तैयार है मुकाबले के लिए। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएंगे, तमिलनाडु की राजनीति में इसका असर और स्पष्ट दिखाई देगा।