बिहार में इस वर्ष के आखिर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और वोटों के लिए अलग-अलग राजनीतिक दल अपनी हर चाल चलने की कोशिश कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले की ही बात है जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर पहुंचे उनके एक प्रशंसक ने उन्हें डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर देनी चाही थी तो उन्होंने उसे छुआ तक नहीं था और वो तस्वीर उनके पैरों के पास ही रखी रही। बीजेपी और NDA के दलों ने जब इस मुद्दो को खूब ज़ोर-शोर से उठाया तो RJD को अपना वोट बैंक खिसकते की चिंता सताने लगी। इसलिए अब RJD डैमेट कंट्रोल की कोशिश में लगी हुई है और वो भी AI के ज़रिए।
तेजस्वी यादव का AI वाला वीडियो वायरल
आंबेडकर को लेकर मचे बवाल के बीच बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और RJD के नेता तेजस्वी यादव का डॉ. आंबेडकर के साथ एक AI वीडियो वायरल हो रहा है। AI द्वारा बनाया गया यह वीडियो तेजस्वी यादव के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया है। इस वीडियो के साथ X पर लिखा गया है, “बाबा साहेब के आशीर्वाद से बनेगी गरीबों की सरकार!” इस वीडियो के बैक ग्राउंड में ‘क्रांति का नारा है जय भीम’ गाना बज रहा है और तेजस्वी यादव कभी आंबेडकर के साथ कोई यात्रा निकाल रहे हैं और कभी उन्हें प्रणाम करते नज़र आ रहे हैं। इन्हीं तेजस्वी यादव ने जब लालू यादव के वीडियो पर बीजेपी ने माफी की मांग की थी तो तेजस्वी ने इसे बात का बतंगड़ बनाने वाला विषय बता दिया था।
लोगों के निशाने पर आए तेजस्वी
इस AI वीडियो के बाद तेजस्वी यादव लोगों के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें पुराने वीडियो की याद दिलाते हुए सवाल पूछ रहे हैं। सुधीर नाम के एक यूज़र ने X पर लिखा, “AI से लोगों को मूर्ख बनाओ पर असलियत में बाबा साहब आंबेडकर जी का अपमान बिहार के बहुजन समाज भलीभांति समझते है। मूर्ख हमेशा अपने को चतुर समझते है और यही हाल चाराघोटाले के मालिक और उनके परिवारवाद सोंच का है।” एक अन्य यूज़र ने लिखा, “बाप करे बाबा साहेब का अपमान, बेटा बनाए AI से वीडियो महान।” अनुपम सिंह नामक एक यूज़र ने लिखा, “पहले पैर से कुचलो फिर बिना माफी मांगे समर्थकों को अपने पक्ष में खींचने की कोशिश करो।”
BJP लगातार उठा रही है आंबेडकर के अपमान का मुद्दा
बीजेपी आंबेडकर के अपमान के मुद्दे को लेकर आक्रामक है और ज़ोर शोर से इस विषय को उठाया जा रहा है। 2 जुलाई को बिहार में बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई थी और इस बैठक में भी यह मुद्दा छाया रहा। इस बैठक में तीन प्रस्ताव पास हुए जिनमें से एक डॉ. आंबेडकर के अपमान को लेकर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लाया गया निंदा प्रस्ताव भी था। इससे कुछ दिनों पहले ही बीजेपी ने बिहार में लालू यादव के अपमान को लेकर पोस्टर लगवाए थे और लालू व तेजस्वी यादव से इस मामले पर माफी की मांग की थी।
पीएम मोदी भी उठा चुके हैं सवाल
बाद केवल बीजेपी के स्थानीय नेताओं के सवाल उठाने तक सीमित नहीं है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विषय को उठा चुके हैं। पीएम मोदी ने कुछ दिनों पहले सिवान में अपने संबोधन में एक और जहां लालू यादव के मुख्यमंत्री काल में बिहार की बदहाली का मुद्दा उठाया तो वहीं आंबेडकर के अपमान के नाम पर RJD पर तीखे प्रहार किए। पीएम मोदी ने कहा, “अपने-अपने परिवारों के हित के लिए ये देश के, बिहार के करोड़ों परिवारों का अहित करने से भी नहीं चूकते हैं। खुद बाबा साहेब अंबेडकर भी इस प्रकार की राजनीति के बिल्कुल खिलाफ थे। इसलिए ये लोग कदम-कदम पर बाबा साहेब का अपमान करते हैं।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “अभी पूरे देश ने देखा है कि RJD वालों ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ क्या व्यवहार किया हैं। मैं देख रहा था, बिहार में पोस्टर लगे हैं कि बाबा साहेब के अपमान पर माफी मांगो, लेकिन मैं जानता हूं, ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इन लोगों के मन में दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े के प्रति कोई सम्मान नहीं है। आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर को पैरों में रखती है, जबकि मोदी बाबा साहेब अंबेडकर को अपने दिल में रखता है। बाबा साहेब का अपमान करके ये लोग खुद को बाबा साहेब से भी बड़ा दिखाना चाहते हैं।” पीएम मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि बिहार के लोग बाबा साहेब का ये अपमान कभी नहीं भूलेंगे।
बिहार चुनाव में कितने अहम हैं दलित
बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारी ज़ोरों पर है और सभी प्रमुख दल दलित मतदाताओं के 19% हिस्से को साधने में जुटे हैं। राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं, जो साफ तौर पर दिखाता है कि दलित वोट बैंक चुनावी समीकरणों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। ऐसे में अब डॉ. आंबेडकर के अपमान का मुद्दा राजनीतिक बहस के केंद्र में है और बीजेपी इसे पूरे ज़ोर शोर से उठा रही है।
इस पूरे विवाद की शुरुआत दिसंबर 2024 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंबेडकर की विरासत पर बोलते हुए कहा था कि “आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फ़ैशन बन गया है।” अमित शाह का यह बयान विपक्षी दलों पर हमला था, जिसमें उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचारों को अमल में लाए बिना सिर्फ उनके नाम का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, कांग्रेस, आरजेडी जैसे विपक्षी दलों ने इस बयान को आंबेडकर का ‘अपमान’ करार दिया और बीजेपी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पटना समेत देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों ने इस मुद्दे को और हवा दी, जिससे यह चुनावी बहस में प्रमुख स्थान लेने लगा।
बिहार की राजनीति में दलितों को साधने की कोशिशें कोई नई बात नहीं हैं लेकिन इस बार की चुनावी तैयारी में यह स्पर्धा और तेज हो गई है। कांग्रेस ने हाल ही में एक दलित नेता राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर साफ संकेत दे दिया कि वह दलितों के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करना चाहती है। वहीं, RJD भी लंबे समय से दलित अधिकारों और मुद्दों को लेकर मुखर रही है। 2025 में आंबेडकर जयंती के मौके पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें दलितों की भागीदारी और प्रतीकात्मकता पर खास ज़ोर दिया गया। इन आयोजनों से यह बात साफ हुई कि चुनाव के माहौल में हर दल अपने आप को आंबेडकरवादी दिखाना चाहता है।
बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अब इस मुद्दे को विधानसभा क्षेत्र स्तर तक ले जाने की तैयारी में है। ज़मीनी स्तर पर दलित समुदाय के बीच जाकर यह बताया जाएगा कि कैसे लालू यादव और उनकी पार्टी ने बाबा साहेब का अपमान किया है। पार्टी का मानना है कि दलित समुदाय के एक बड़े हिस्से में आरजेडी की इस कथित टिप्पणी को लेकर नाराज़गी है, और बीजेपी की रणनीति यही है कि इस नाराज़गी को वोट में तब्दील किया जाए। ऐसे में यह सवाल बहुत अहम हो जाता है कि क्या आरजेडी AI के वीडियोज़ के ज़रिए डॉ. आंबेडकर के अपमान के मुद्दे से लोगों का ध्यान हटा पाएगी या बीजेपी इस विषय को केंद्र में रखकर चुनावी फायदा करने में कामयाब होगी।