केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2025 को भारतीय इतिहास में सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 2,258 दिनों तक इस पद पर रहते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि ठीक छह साल पहले इसी तारीख को अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति समाप्त करते हुए अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक कदम उठाया था। इस फैसले ने जम्मू-कश्मीर का संविधानिक स्वरूप बदल दिया और अमित शाह का नाम भारतीय राजनीतिक इतिहास में दर्ज हो गया।
छह साल का बदलाव भरा नेतृत्व
मई 2019 में अमित शाह जब देश के गृह मंत्री बने, तो उनका कार्यकाल कई बड़े फैसलों के लिए जाना जाने लगा। अपने पहले ही साल में, 5 अगस्त 2019 को, उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म किया और राज्य को दो हिस्सों में बाँट दिया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जो अब केंद्र शासित प्रदेश हैं।
यह कदम भाजपा और उसके पहले के संगठन जनसंघ के पुराने विचारों को पूरा करने की दिशा में था। इस सोच को श्यामा प्रसाद मुखर्जी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने लंबे समय तक आगे बढ़ाया था। 2019 में आडवाणी ने इस फैसले को ‘राष्ट्रीय एकता की दिशा में साहसिक कदम’ कहा था। अब, छह साल बाद, अमित शाह ने आडवाणी का ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए पार्टी की विचारधारा को और आगे बढ़ाया है।
गांधीनगर से नॉर्थ ब्लॉक तक
2019 में अमित शाह ने गांधीनगर लोकसभा सीट संभाली, जो कई सालों तक लालकृष्ण आडवाणी के पास थी। इसके बाद से ही शाह भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार बन गए और आंतरिक सुरक्षा, नीतियों को तय करने और कानूनों में बदलाव करने में उनका अहम रोल रहा है।
उनके नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने नक्सलवाद और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जिनका असर साफ दिखा, आतंकवादी घटनाएं काफी कम हो गईं-
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से मौतें 70% से अधिक कम हुईं।
- नक्सलवाद से जुड़े घटनाक्रम कम होकर 5,225 (2009-2014) से घटकर 600 से भी कम (2019-2024) रह गए।
- सुरक्षाबलों के बीच नक्सली हमलों के कारण मौतें 56% तक घट गईं।
इसके अलावा, अमित शाह ने भारत के आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े सुधार भी किए। 2023 में उन्होंने औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलते हुए नए कानून पेश किए:
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS)
- दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
- साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
ये सुधार आधुनिक भारत की जरूरतों के हिसाब से न्याय प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से किए गए।
शाह का देशभक्ति से जुड़ा नजरिया
अमित शाह ने 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का समर्थन किया, जिससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेना आसान हो गया। उन्होंने तीन तलाक खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने और देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने जैसे कई अहम फैसले लिए।
गृह मंत्रालय ने सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ₹8,200 करोड़ से ज्यादा खर्च किए, खासतौर पर तकनीक, निगरानी और डिजिटल जांच के क्षेत्र में।
राजनीतिक यात्रा और विरासत
अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को देशभर में खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में फैलाया। उनकी रणनीति से असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भाजपा को जीत मिली, और उत्तर प्रदेश में 15 साल बाद पार्टी की वापसी संभव हुई।
2019 में गृह मंत्री बनने के बाद, शाह ने अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ बनाई और भाजपा के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल हो गए।
5 अगस्त 2025 को जब अमित शाह ने लाल कृष्ण आडवाणी के 2,256 दिनों के कार्यकाल का रिकॉर्ड तोड़ा, तो यह सिर्फ उनकी निजी सफलता नहीं थी, बल्कि गृह मंत्रालय के इतिहास में एक नए और बदलाव भरे युग की शुरुआत थी। उनके कार्यकाल को भारत की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और राजनीति की दिशा में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जाएगा।