अंग्रेज़ और न्यायपूर्ण शासन ? गुलामी की मानसिकता में जीने वालों को अब अपनी आंखों से औपनिवेशिक पट्टी हटा लेनी चाहिए
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    बलिदान-दिवस 2025  : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    बलिदान-दिवस 2025 : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का संकेत: नितिन नवीन की नियुक्ति क्या कहती है?

    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का संकेत: नितिन नवीन की नियुक्ति क्या कहती है?

    vijay diwas

    Vijay Diwas 2025 : 16 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है विजय दिवस, जानें पूरा इतिहास

    जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’

    जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बलिदान-दिवस 2025  : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    बलिदान-दिवस 2025 : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    पाकिस्तान, बांग्लादेश, 1971 युद्ध, विजय दिवस

    बाँध कर नदी में खड़ा कराते, बहती थी गोलियों से भूनी हुई लाशें… भारत ने न बचाया होता तो बांग्लादेश कैसे मनाता ‘विजय दिवस’?

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    बलिदान-दिवस 2025  : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    बलिदान-दिवस 2025 : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का संकेत: नितिन नवीन की नियुक्ति क्या कहती है?

    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का संकेत: नितिन नवीन की नियुक्ति क्या कहती है?

    vijay diwas

    Vijay Diwas 2025 : 16 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है विजय दिवस, जानें पूरा इतिहास

    जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’

    जनसंख्या के बदलते संतुलन पर असहज विमर्श प्रस्तुत करती पुस्तक ‘सेकुलरवाद और बदलती जनगणना के आंकड़े’

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बलिदान-दिवस 2025  : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    बलिदान-दिवस 2025 : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

    पाकिस्तान, बांग्लादेश, 1971 युद्ध, विजय दिवस

    बाँध कर नदी में खड़ा कराते, बहती थी गोलियों से भूनी हुई लाशें… भारत ने न बचाया होता तो बांग्लादेश कैसे मनाता ‘विजय दिवस’?

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

अंग्रेज़ और न्यायपूर्ण शासन ? गुलाम मानसिकता में जीने वालों को अब अपनी आंखों से औपनिवेशिक पट्टी हटा लेनी चाहिए

इतिहासकारों/ प्रबुद्धजनों का एक वर्ग आज भी अंग्रेजों को आधुनिक भारत का निर्माता व उनके शासन को न्यायपूर्ण मानता है, लेकिन वास्तविकता में अंग्रेजों के अत्याचार और अन्याय की जैसी मिसाल भारत में मिलती है, वो दुनिया में शायद ही कहीं और दिखाई देती हो

Prashant Pole द्वारा Prashant Pole
14 August 2025
in इतिहास, चर्चित, ज्ञान, फैक्ट चेक, भारत, मत, समीक्षा
गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

गरीबों और किसानों से जबरन की जाती थी वसूली।

Share on FacebookShare on X

ज्ञात इतिहास में भारत पर आक्रांताओं के रूप में आने वालों में शक, हूण, कुषाण, मुसलमान, डच, पोर्तुगीज, फ्रेंच, अंग्रेज़ आदि प्रमुख हैं। इन में सबसे ज्यादा समय तक भारत के विभिन्न हिस्सों पर शासन किया, विभिन्न मुस्लिम वंशों ने। ये मुस्लिम आक्रांता न सिर्फ क्रूर थे, बल्कि भारतीयों को इन्होने जो यातनाएं दी हैं, उसकी मिसाल कही अन्य मिलना कठिन है। विजयनगर के सम्राट राजा रामराय का सर काटकर उसे बहती नाली के मुहाने पर लगाने वाले यही हैं। छत्रपति संभाजी महाराज की आंखे फोड़कर, उनकी चमड़ी उधेड़कर, उनको बर्बरतापूर्वक मारने वाले भी यही हैं। भाई मतिदास जी को आरी से चीरकर मारने वाले और गुरु तेग बहादुर जी का सर कलम करने वाले भी यही हैं। गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों को दीवार में चुनवाकर मारने वाले भी यही हैं।

इसलिए जब अंग्रेज़, व्यापारी के रूप में आए और शासक बन गए, तो भारतीयों को वह मुस्लिम शासकों की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छे लगे। प्रारंभ में अंग्रेज़ शासकों ने मुस्लिम शासकों जैसी क्रूरता और पाशविकता नहीं दिखाई, इसलिए ‘अंग्रेज़ अच्छे हैं’ यह धारणा बनती गई। उस पर, अंग्रेजों ने जो शिक्षा व्यवस्था बनाई- उससे भी अंग्रेजों का गुणगान होता रहा। ‘भारत जैसे पिछड़े देश को सुधारकर अंग्रेज़ उसका भला ही कर रहे हैं’ – यह धारणा निर्मित की गई। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद भी जो पाठ्यक्रम बनाया गया, उसने इसी धारणा को बल दिया..। किन्तु, अंग्रेज़ क्या वास्तव में भारत को सुधारने का उच्चतम ध्येय लेकर आए थे ? क्या अंग्रेज़ सच्चे लोकतंत्र को मानने वाले, न्याय के पुजारी थे ? क्या अंग्रेज़ न्यायप्रिय थे, शांतिप्रिय थे, सभ्य थे, सुसंस्कृत (कल्चर्ड) थे…? ऐसा उनके बारे में लिखा गया हैं व अनेकों बार कहा गया है।

संबंधितपोस्ट

अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

कितना भरोसेमंद है BBC? नई दिल्ली से तेल अवीव और वॉशिंगटन तक क्यों गिरती जा रही है बीबीसी की साख और विश्वसनीयता ?tfi

दिल्ली धमाका: जम्मू कश्मीर में जमात ए इस्लामी से जुड़े 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी, वाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं तार

और लोड करें

किन्तु सच क्या हैं ? अंग्रेजों का असली चेहरा क्या था?

अंग्रेजों की असलियत उनकी गढ़ी हुई इस छवि के सर्वथा विपरीत थी। सन 1757 में प्लासी के युद्ध में जीत के बाद, अंग्रेजों का बंगाल पर राज करने का रास्ता खुल गया। 1765 के बक्सर युद्ध के बाद अधिकृत रूप से ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल से राजस्व वसूल करने लगी।

अगले चार वर्षों में ही बंगाल में भीषण अकाल पड़ा। उस समय की बंगाल की जनसंख्या का लगभग एक तिहाई हिस्सा, अर्थात एक करोड़ भारतीय इस अकाल में मारे गए। ये मृत्यु भुखमरी और अंग्रेजों की ज़्यादतियों के कारण हुई थीं। अंग्रेजों ने इस अकाल से जनता को बचाने या बाहर निकालने के कोई प्रयास नहीं किए, उलटे जो गरीब किसान जीवित थे, उनके साथ बड़ी ही सख्ती से राजस्व की वसूली की गई।

अमेरिका के एक लेखक हैं- माइक डेविस। लेखक के साथ ही वे राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया में क्रिएटिव राइटिंग विभाग में प्रोफेसर डेविस की एक चर्चित पुस्तक हैं – ‘लेट विक्टोरियन होलोकॉस्ट : अल नीनो फेमाइन्स एंड द मेकिंग ऑफ द थर्ड वर्ल्ड’। सन 2001 में प्रकाशित इस पुस्तक में उन्होने भारत में पड़े अकाल के बारे में भी लिखा है। वे लिखते हैं, “सन 1770 से 1890 के बीच के 120 वर्षों में भारत में 31 बड़े अकाल पड़े। और उसके पहले, पूरे 2 हजार वर्षों में आए बड़े अकालों की संख्या मात्र 17 है।

अर्थात अंग्रेजों ने अकाल से लड़ने के लिए प्रबंध तो नहीं ही किए थे, उलटे भारतीयों की उन परंपरागत पद्धतियों को भी नष्ट कर दिया, जो प्रकृति पर आधारित थीं और अकाल जैसी आपदाओं से बचाने का काम करती थीं। यही नहीं ऐसी विषम परिस्थिति में भी अंग्रेजों की क्रूरता सामने आ रही थी। गरीबों से, किसानों से बड़ी ही बेरहमी के साथ राजस्व वसूला जा रहा था।

माइक डेविस के अनुसार 1876-1878, इन तीन वर्षों में बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी में पड़े अकाल में 60 से 80 लाख भारतीयों की मौत हुई थी। कुछ ही वर्षों बाद, 1896 – 1897 में फिर बॉम्बे, मद्रास प्रेसीडेंसी के साथ संयुक्त प्रांत और बंगाल में भी अकाल पड़ा और उसमें भी 50 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। यही कहानी 1899 – 1900 के बॉम्बे प्रेसीडेंसी और सी पी – बेरार के अकाल में दोहराई गई।

संक्षेप में, अंग्रेजी शासन में अकाल पड़ने का ये क्रम निरंतर चलता रहा, किन्तु अंग्रेजों ने भारत को लेकर अपनी पाशविक नीति में कोई बदलाव नहीं किया। ईस्ट इंडिया कंपनी से शासन की बागडोर सीधे रानी विक्टोरिया के हाथों में आ गई, लेकिन अंग्रेजों की क्रूरता कम होने के बजाए, बढ़ती ही गई।

1943 के आने तक परिदृश्य काफी बदल चुका था। द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था। 30 लाख के करीब भारतीय सैनिक, अंग्रेजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया के विभिन्न स्थानों पर उनके दुश्मनों से लड़ रहे थे। ठीक इसी वर्ष बंगाल एक बार फिर भीषण अकाल से जूझ रहा था। लोग दाने – दाने को मोहताज हो रहे थे। उन दिनों विंस्टन चर्चिल इंग्लैंड के प्रधानमंत्री थे। उन्होने बंगाल का बचा खुचा अनाज, जहाजों में भर-भर कर युगोस्लाविया पहुंचा दिया- जहां उनके सैनिकों को युद्ध में टिके रहने के लिए रसद की ज़रूरत थी। ब्रिटिश वॉर मशीनरी भारतीयों का उपजाया अनाज खाकर जंग लड़ती रही, लेकिन जिन्होने इस अन्न को पैदा किया था, वो भूखे मरने के लिए छोड़ दिए गए थे। बंगाल के इस अकाल में 30 लाख से ज्यादा भारतीयों की मृत्यु हुई थी, और जब चर्चिल से इस पूछा गया तो उसने कहा था, “मैं भारतीयों से घृणा करता हूं, वे जानवरों जैसे लोग हैं, जिनका धर्म भी पशुओं जैसा ही हैं। अकाल उनकी अपनी गलती थी, क्योंकि वे खरगोशों की तरह जनसंख्या बढ़ाने का काम करते रहे।”

इंग्लैंड में पार्लियामेंट के सदस्य रहे, इतिहासकार विलियम टॉरेन (William Torren) ने एक पुस्तक लिखी हैं, ‘एम्पायर इन एशिया’ (Empire in Asia)। इस पुस्तक में अवध के नवाब शुजाऊद्दौला के मरने के बाद (अर्थात सन 1775 के बाद), अंग्रेजों ने उसकी बेगमों को कितनी पाशविकता से लूटा- उसका विस्तृत चित्रण है (पृष्ठ 126 – 128)। मजेदार बात यह कि शुजाऊद्दौला ने अपनी इन बेगमों की व्यवस्था, बड़े ही विश्वास के साथ अंग्रेजों पर सौंपी थी। इसलिए इस लूट / डकैती को संवैधानिक चोला पहनाने के लिए अंग्रेजों ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश- सर एलाइजाह इंपे को भी इसमे शामिल कर लिया। इन न्यायाधीश महोदय ने, कलकत्ता से आकर फैजाबाद की विधवा बेगमों पर काशी नरेश चेत सिंह के साथ मिलकर, अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का झूठा आरोप लगाया। इसके बाद फैजाबाद के महलों को अंग्रेजों ने घेर लिया। बेगमों से कहा गया, “आप कैदी हैं। अपने तमाम जेवर, सोना, चांदी, जवाहरात हमे दे दीजिये। बेगमों के मना करने पर उनके नौकरों को तड़पा-तड़पाकर मारा गया और बेगमों को भूखा रखा गया, यहां तक कि उन्हें पानी तक पीने की इजाजत नहीं थी।

अपने नौकरों की क्रूरतापूर्ण मृत्यु देखकर, फैजाबाद की बेगमों ने, पिटारों में भर-भर कर रखा हुआ अपना सारा खजाना अंग्रेजों को सौंप दिया। उन दिनों उसकी कीमत एक करोड़ बीस लाख रुपयों से भी ज्यादा आंकी गई थी। पूरे भारत मे, ऐसी सैकड़ों घटनाएँ मिलती हैं, जिनमें अंग्रेजों के द्वारा की गई लूट और डकैती के प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध हैं। ये सारी घटनाएं अंग्रेजों की न्यायप्रियता के कथित प्रचार की धज्जियां उड़ाती हैं।

ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अफसर, हेनरी थॉमस कोलब्रुक (Henry Thomas Colebrook) ने 28 जुलाई, 1788 को इंग्लैंड में रहने वाले अपने पिता को एक पत्र लिखा। ‘भारत में अंग्रेजी राज’ – नाम की पुस्तक लिखने वाले सुंदरलाल जी ने इस पत्र को- अपनी किताब में उद्धृत किया है। कोलब्रुक लिखते हैं, “मिस्टर हेस्टिंग (गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग) ने इस देश को ऐसे कलेक्टर और जजों से भर दिया हैं, जिनके सामने एकमात्र लक्ष्य धन कमाना है। ज्यों ही ये गिद्ध मुल्क के ऊपर छोड़े गए, उन्होने कहीं कोई बहाना बनाकर तो कहीं बिना बहाने के भारत वासियों को लूटना शुरू कर दिया।”

बाद में संस्कृत के विद्वान बने कोलब्रुक आगे लिखते हैं, “वॉरेन हेस्टिंग की कूटनीति और उसके निर्लज्ज विश्वासघात का प्रभाव केवल राजाओं और बड़े लोगों पर ही नहीं पड़ा। जमींदारों की जमींदारियां छीन लेना, बेगमों को लूटना, रूहेलों को निर्वंश कर डालना…. ये सब तो एक बार को भूला भी जा सकता है, पर जो अत्याचार उसने गोरखपुर में किए, वे सदा के लिए ब्रिटिश जाति के नाम पर कलंक रहेंगे।” सुंदरलाल जी ने अपनी पुस्तक में इस विषय पर विस्तार से लिखा है।

गोरखपुर के इन अत्याचारों के विषय में इतिहासकार जेम्स मिल अपनी किताब ‘हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ में लिखता है कि सन 1778 में वॉरेन हेस्टिंग ने, अपने एक अफसर, कर्नल हैनेवे (Col Hannay) को कंपनी की नौकरी से निकालकर अवध के नवाब के यहां भेज दिया। इसके बाद नवाब पर दबाव डालकर, बहराइच और गोरखपुर जिलों का दीवानी और फौजी शासन कर्नल हैनेवे के आधीन करवा दिया गया। जेम्स मिल आगे लिखता हैं, “यह पूरा क्षेत्र, नवाब के शासन में खूब खुशहाल था. किन्तु कर्नल हैनेवे के अत्याचारों के कारण तीन साल के अंदर यह पूरा क्षेत्र वीरान हो गया।”

सैयद नजमूल रज़ा रिजवी ने अपनी पुस्तक ‘Gorakhapur Civil Rebellion in Persian Historiography’ में इस अत्याचार का विस्तार से वर्णन किया है। बाद में इस कर्नल हैनेवे के विरोध में गोरखपुर में बड़ा जनांदोलन खड़ा हुआ, जिसे अंग्रेजों ने ‘विद्रोह’ का नाम दिया और इसे बड़ी नृशंसता से कुचल दिया गया।

गोरखपुर जिले का राजस्व उन दिनों पूरा वसूले जाने पर छह से आठ लाख रुपये वार्षिक होता था। किन्तु कर्नल हैनेवे ने सन 1780 में, बड़ी निर्दयता से इस जिले से 14,56,088 रुपये वसूले। अर्थात प्रतिवर्ष के राजस्व से लगभग दोगुना..! हम अंदाज़ लगा सकते हैं कि ये रुपये किस बर्बरता के साथ और गरीब किसानों को यातनाएं दे कर वसूले गए होंगे।

जमींदारों को इस राजस्व का 20% हिस्सा मिलता था, ताकि इस राशि से वो क्षेत्र में जन सुविधाएं और अपनी व्यवस्थाएं बनाए रख सकें। 6-8 लाख रुपये सालाना की वसूली पर यह रकम लगभग डेढ़ लाख रुपये होती थी। किन्तु कर्नल हैनेवे ने साढ़े चौदह लाख वसूल कर, जमींदारों के हाथों टिकाये मात्र पचास हजार रुपये..!
ये पूरा राजस्व ईस्ट इंडिया कंपनी के खाते में भी नहीं गया। जनलूट की ये राशि इन अधिकारियों ने आपस में मिल बांट के खा ली।

गोरखपुर की यह घटना अपवाद नहीं हैं। पूरे देश में यही चित्र था। पहले बंगाल और सन 1818 के बाद सारे देश में अंग्रेजों का प्रशासन कमोबेश ऐसा ही रहा। इस अन्याय पर कोई सुनवाई नहीं थी और यदि बार-बार न्याय के लिए अर्जी लगाई भी गई, तो सुनवाई का सिर्फ नाटक होता था। ज़ाहिर है सारे अंग्रेज़ अफसर निर्दोष करार दे दिए जाते थे। (क्रमशः)
प्रशांत पोल
(विनाशपर्व पुस्तक से साभार)

प्रशांत पोल सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय चिन्तक, विचारक व लेखक हैं। पेशे से अभियंता (आई. टी. व टेलिकॉम) एवं प्रबंधन सलाहकार प्रशांत पोल की भारत के स्वतंत्रता संघर्ष, पुरातन सभ्यता एवं संस्कृति को लेकर कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

Tags: BritishcolonialismdestructionEast India CompanyIndiaJusticeRuleslaveryअंग्रेजइस्ट इंडिया कंपनीउपनिवेशवादगुलामीन्यायभारतविनाशपर्वशासन
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

अगली पोस्ट

‘विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस’ 2025: भारत में कई ‘मिनी पकिस्तान’ पैदा हो चुके हैं”?

संबंधित पोस्ट

बलिदान-दिवस 2025  : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण
इतिहास

बलिदान-दिवस 2025 : भारत के उन महान वीरों को नमन,जिन्होंने देश के लिए दिए प्राण

17 December 2025

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में काकोरी कांड का विशेष महत्व है। यह पहला अवसर था जब क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजी सरकार के खजाने को लूटकर यह स्पष्ट...

17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत
इतिहास

17 दिसंबर राइट ब्रदर्स दिवस: मानव उड़ान की ऐतिहासिक शुरुआत और विज्ञान की जीत

17 December 2025

हर वर्ष 17 दिसंबर को दुनिया भर में राइट ब्रदर्स दिवस (Wright Brothers Day) मनाया जाता है. यह दिन मानव इतिहास में उस क्रांतिकारी क्षण...

पाकिस्तान, बांग्लादेश, 1971 युद्ध, विजय दिवस
इतिहास

बाँध कर नदी में खड़ा कराते, बहती थी गोलियों से भूनी हुई लाशें… भारत ने न बचाया होता तो बांग्लादेश कैसे मनाता ‘विजय दिवस’?

16 December 2025

16 दिसंबर, यानी 'विजय दिवस' - वो दिन, जब भारत ने पूर्वी पाकिस्तान, यानी बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद करवाया। पाकिस्तानी फ़ौज की क्रूरता से...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited