स्वतंत्रता के बाद से देश में कई आंदोलन हुए। इसी कड़ी में तीन ऐसी यात्राएं हैं, जिन्होंने देश की तस्वीर तो बदली ही, ऐसी सरकार भी दी, जो भारत को फिर से विश्वगुरु और सोने की चिड़िया बनाने की ओर अग्रसर है। तीनों यात्राओं में एक बात समान हैं, वह यह कि तीनों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ही आयोजित कीं। दो यात्राओं में तो वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद महत्वपूर्ण भूमिका में रहे।
लेकिन, तीनों यात्राओं ने देश के लोगों में एक अलग ही जज्बा पैदा किया। इस कारण आज भी इन्हें सिद्दत से याद किया जाता है। चाहे वह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बीजेपी (जनसंघ) की कश्मीर यात्रा हो, चाहे लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा हो या नरेंद्र मोदी की श्रीनगर यात्रा, तीनों ने देश की एकता में बहुत बड़ा योगदान दिया। आज वही बीजेपी है, उसी के प्रधानमंत्री हैं और श्रीनगर के लाल चौक पर शान से तिरंगा लहरा रहा है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बीजेपी को दिया नारा
वैसे तो जनसंघ अब बीजेपी अपने स्थापना काल से ही कश्मीर में धारा 370 के खिलाफ रही है। लेकिन, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी वैसे व्यक्ति थे, जिन्होंने कश्मीर को भारत में पूर्णत: शामिल करने के लिए अपन बलिदान दे दिया। हालांकि, उनकी मौत कश्मीर में ही संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। लेकिन, उन्होंने बीजेपी को एक नारा दे दिया, जो आगे चलकर बीजेपी से अधिक देश के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुआ। ये नारा था जहां बलिदान हुए मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है। इस नारे ने देशवासियों में एक लहर सी पैदा कर दी। उनका कहना था एक देश, दो निशान और दो विधान नहीं चलेगा। इसी नारे के तहत आगे बढ़ने वाली बीजेपी आज देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। भले ही डॉ मुखर्जी आज नहीं हैं, लेकिन अब उनकी मांग पूरी हो चुकी है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाकर उसे पूर्ण रूप से भारत में शामिल कर लिया गया है।
आडवाणी की रथ यात्रा ने दिया राम मंदिर
दूसरी यात्रा थी ज़ब लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या रथयात्रा की, उस समय नरेंद्र मोदी आडवाणी के सारथी थे। आडवाणी की रथ यात्रा से देश भर में लोगों राम मंदिर की स्थापना की लहर चल उठी। लोगों ने प्रसन्नता और गर्मजोशी के साथ यात्रा का स्वागत किया। इस यात्रा ने भारतवासियों में ऐसा जोश भरा कि हर तरफ आंदोलन होने लगे। यात्रा के दौरान आडवाणी की बिहार में गिरफ्तारी भी की गई। लेकिन, परिणाम सुखद रहा। आखिरकार बाबरी मस्जिद ध्वस्त हुई, मंदिर भी बना और अब उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान भी विराज रहे हैं।
तीन बार गोलीबारी, लेकिन झंडा फहराकर ही माने मोदी
तीसरी सबसे जरूरी यात्रा थी नरेंद्र मोदी की, जब वे प्रधानमंत्री नहीं थे। उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा लहराने की ठान ली। इस बार तो नरेंद्र मोदी खुद रैली में तिरंगा उठाये चल रहे थे। वह आतंकवाद का बुरा दौर था। उस समय जम्मू कश्मीर का झंडा भी अलग था। लेकिन, मोदी तो मोदी हैं। जो ठान लिया सो पूरा करके ही मानने वाले थे। सेना की सुरक्षा के बीज बीजेपी कार्यकर्ता श्रीनगर की ओर जा रहे थे। यात्रा के दौरान तीन बार तो गोलियां भी चलीं। लेकिन, नरेंद्र मोदी कहां मानने वाले थे। आखिरकार यात्रा श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर ही संपन्न हुई।
लाल चौक पर शान से लहरा रहा तिरंगा
गौर करने वाली बात यह है कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहली यात्रा ने बीजेपी को मुद्दा दिया और राजनीतिक लक्ष्य भी। वहीं आडवाणी की दूसरी और नरेंद्र मोदी की तीसरी यात्रा ने बीजेपी को लाल किले तक तो पहुंचाया ही, देश को भी एक नयी दिशा दी। आज कश्मीर से धारा 370 हट चुकी है। उसे पूर्ण रूप से भारत में शामिल किया जा चुका है और वहां शान से हमारा तिरंगा भी लहरा रहा है। वहां के लोग भी इससे खुश दिख रहे हैं।
अंत में एक बात और, एक समय था जब बीजेपी को देशभर में केवल तीन प्रतिशत वोट मिले थे और केवल तीन सांसद ही संसद भवन पहुंच सके थे। लेकिन, आज यह कुनबा 240 तक पहुंच चुका है। वोट प्रतिशत भी 3 से 35 प्रतिशत पर जा पहुंचा है। बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। इस पर भी विपक्ष का तुर्रा यह कि हमने बीजेपी को कमजोर कर दिया, ये दर्शाता है कि बीजेपी की हैसियत इससे भी कहीं ज्यादा है। आज वही पार्टी है, उसी के प्रधानमंत्री हैं और देश निरंतर आगे बढ़ रहा है।