जब सब लोग दुःख में डूबे हों, आंसू बहा रहे हों और दिल टूटे हों, तो इंसान से उम्मीद होती है कि वह शोक जताए, संवेदना दिखाए और गंभीर रहे। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई बार ऐसे दुखी मौके पर अजीब और गलत समय पर मुस्कुराते हुए नजर आए हैं। यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि एक आदत बनती जा रही है, जो या तो बेरुखी दिखाती है या किसी मानसिक परेशानी की निशानी हो सकती है। जब परिवार अपने करीबियों के चले जाने का दुःख मना रहे होते हैं, तब राहुल गांधी मुस्कुराते हुए दिखते हैं। हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में भी राहुल गांधी को लाइव कैमरे पर मुस्कुराते हुए देखा गया। यह बचकानी हरकत है या कुछ और, जो भी हो, यह व्यवहार बहुत ही चिंताजनक और असंवेदनशील है।
अंतिम संस्कार और शोक कार्यक्रमों में राहुल गांधी का गलत समय पर मुस्कुराने का साल-दर-साल इतिहास
- 2016 – जयललिता का अंतिम संस्कार
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के राज्य अंतिम संस्कार में राहुल गांधी को मुस्कुराते और हंसते हुए देखा गया था। सोशल मीडिया पर यह तस्वीरें वायरल हुईं और उनकी शिष्टाचार पर सवाल उठे। - 2017 – धरम सिंह और कमर उल इस्लाम
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री धरम सिंह और पूर्व मंत्री कमर उल इस्लाम के शोक संतप्त परिवारों से मिलने गए राहुल गांधी को धरम सिंह की पत्नी के सामने मुस्कुराते हुए देखा गया था, जबकि वह गहरे दुःख में थीं। - 2018 – अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार के दौरान भी राहुल गांधी मुस्कुराते कैमरे में कैद हो गए। इस गंभीर मौके पर उनकी यह मुद्रा सवालों को जन्म दे गई। - 2018 – करुणानिधि का अस्पताल दौरा
चेन्नई में डॉ. करुणानिधि से मिलने गए राहुल गांधी को उनके परिवार से मिलते हुए बड़ी मुस्कान के साथ देखा गया, जिससे कई लोगों ने सवाल उठाए। - 2023 – शरद यादव का अंतिम संस्कार
वरिष्ठ नेता शरद यादव के अंतिम संस्कार में भी राहुल गांधी की मुस्कुराहट चर्चा में रही और आलोचना बढ़ी कि वे दुखद मौकों को गंभीरता से नहीं लेते। - 2024 – डॉ. मनमोहन सिंह के शोक संदेश के दौरान
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राहुल गांधी को उनकी शोक यात्रा के दौरान अजीब मुस्कुराते हुए देखा गया, जिससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैरान रह गए। - 2025 – शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी को लाइव कैमरे पर मुस्कुराते हुए पकड़ा गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उनके साथ मुस्कुरा रहे थे। लेकिन राजनीतिक नेता को विदा करने के इस मौके पर यह हरकत बहुत असंवेदनशील मानी गई।
मुस्कान के सिलसिले और जनता की नाराजगी
अगर ये घटनाएं अकेले हों, तो उन्हें गलतफहमी या एक बार की भूल माना जा सकता है। लेकिन जब ये बार-बार होती हैं, तो यह एक चिंताजनक पैटर्न बन जाता है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये निजी पल नहीं, बल्कि सार्वजनिक कार्यक्रम हैं जहाँ मीडिया और शोकाकुल परिवार मौजूद रहते हैं। इस बार-बार की हरकत से लगता है कि राहुल गांधी या तो भावनात्मक रूप से लोगों से कटे हुए हैं या अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते। सोशल मीडिया पर उन्हें ‘पप्पू’ कहकर उनका मजाक उड़ाया जाता है।
अगर यह कोई बीमारी नहीं है, तो यह कहीं अधिक खराब स्थिति है: भावनात्मक शून्यता, जो किसी नेता में नहीं होनी चाहिए।
क्या राहुल गांधी को अपने व्यवहार पर सोचने या इलाज की जरूरत है?
नेता की पहचान केवल उसकी नीतियों या भाषणों से नहीं बनती, बल्कि उसके ऐसे भावुक और कठिन समय में व्यवहार से भी बनती है। राहुल गांधी की लगातार मुस्कुराने की आदत एक गलत संदेश देती है कि वे जनता की भावनाओं से दूर हैं। चाहे यह कोई स्वास्थ्य समस्या हो या व्यवहार की कमी, अब वक्त आ गया है कि राहुल गांधी इस व्यवहार को बदलें और जरूरत पड़े तो पेशेवर मदद लें। क्योंकि दूसरों के आंसूओं के बीच हंसना केवल अनुचित ही नहीं, बल्कि अमानवीय भी है।