मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना कस्बे में रविवार सुबह करीब 10 बजे एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। दिल्ली से रक्षाबंधन मनाने आए 23 वर्षीय हिंदू युवक मोनू को मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने चोर समझकर बेरहमी से पीट दिया। बिना किसी सबूत के 50-60 लोगों ने उस पर लात-घूंसे और डंडों से हमला किया। हमले से उसका पूरा शरीर नीला पड़ गया।
लोगों में से कुछ ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन तब तक मोनू की हालत गंभीर हो चुकी थी। किसी तरह वह घर पहुंचा, लेकिन हालत बिगड़ती गई और रात में उसकी मौत हो गई।
परिवार का न्याय के लिए भावुक अपील
मोनू के परिवार में उसका बड़ा भाई कल्लू, जो एक दिहाड़ी मजदूर है, और भाभी हैं। पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। मीडिया से बात करते हुए कल्लू ने कहा: “मेरे भाई को मार डाला गया। उसे करबला रोड पर टिल्लू के घर के पास पीटा गया। उसका पूरा शरीर सूज गया था, नीला पड़ गया था। मैं गरीब आदमी हूं, कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काट सकता। मेरी बस एक ही मांग है, मेरे भाई को न्याय मिले और हत्यारों को सजा हो।”
परिवार को डर है कि जैसे बाकी मामलों में हिंदू पीड़ितों को न्याय नहीं मिला, वैसे ही यह मामला भी दबा दिया जाएगा।
पुलिस की कार्रवाई
एसपी रूरल आदित्य बंसल ने पुलिस के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने माना कि दो समुदायों की संलिप्तता के कारण इलाके में तनाव है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और वायरल वीडियो की पुष्टि की है जिसमें मोनू को भीड़ पीट रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और जांच जारी है।
उदारवादी तबके की चुप्पी और मीडिया की दोहरी मानसिकता
2019 में झारखंड में जब तबरेज अंसारी नाम के मुस्लिम युवक को चोरी के शक में पीटकर मार दिया गया था, तब बहुत बड़ा हंगामा हुआ था। मीडिया, फिल्मी सितारे और कुछ ‘लिबरल’ लोग इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले गए थे। तब भारत को कहा गया था कि यह एक ऐसा देश बन गया है जहाँ लोग एक-दूसरे की बात या धर्म को सहन नहीं करते। कई दिनों तक यह मुद्दा मीडिया और सोशल मीडिया पर छाया रहा, और लोग लगातार इस पर चर्चा करते रहे।
लेकिन अब जब एक हिंदू युवक मोनू को मुस्लिम भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, तो वही लोग चुप हैं। न कोई खबर को उठाता है, न सोशल मीडिया पर कोई बड़ा ट्रेंड चलता है, और न ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कोई चर्चा होती है।
यह चुप्पी दिखाती है कि कुछ लोग सिर्फ एक तरफ की घटनाओं पर आवाज़ उठाते हैं। अगर पीड़ित हिंदू हो, तो वो मौन हो जाते हैं। यह रवैया न केवल पक्षपात (bias) है, बल्कि समाज के लिए खतरनाक भी है, क्योंकि इससे एक वर्ग के खिलाफ हो रही हिंसा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
न्याय जरूरी है
मोनू की हत्या सिर्फ एक जुर्म नहीं है, बल्कि यह हमारे देश के न्याय और बराबरी के सिद्धांत पर हमला है। मीडिया की चुप्पी, नेताओं का किसी खास समुदाय को खुश करने का रवैया, और एकतरफा सोच से ऐसे हिंसक लोगों को हिम्मत मिलती है, जो सोचते हैं कि वे बच जाएंगे।
भारत में कानून सबसे ऊपर है, न कि भीड़ या धर्म के नाम पर बनाया गया कोई अलग नियम। इस बर्बर हत्या में जो भी लोग शामिल हैं, उन्हें तुरंत पकड़ा जाना चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मोनू को इंसाफ़ दिलाना सिर्फ उसी के लिए नहीं, बल्कि यह दिखाने के लिए ज़रूरी है कि हिंदुओं की जान की भी अहमियत है और भारत में भीड़ द्वारा किया गया कोई भी अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”