TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    बी.एन राउ का संविधान निर्माण में बड़ा योगदान है

    क्या बेनेगल नरसिंह राउ थे संविधान के असली निर्माता ? इतिहास ने उनके योगदान को क्यों भुला दिया ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    बी.एन राउ का संविधान निर्माण में बड़ा योगदान है

    क्या बेनेगल नरसिंह राउ थे संविधान के असली निर्माता ? इतिहास ने उनके योगदान को क्यों भुला दिया ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

हैदराबाद में सेना भेजने को लेकर नेहरू डिफेंस काउंसिल की बैठक में सरदार पटेल और उनके सचिव वी.पी मेनन पर बुरी तरह भड़क गए थे, जिसके बाद पटेल भी बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गए थे

Sambhrant Mishra द्वारा Sambhrant Mishra
16 September 2025
in इतिहास, भारत
ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

हैदराबाद हवाईअड्डे पर सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते निजाम

Share on FacebookShare on X

82,698 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की हैदराबाद रियासत की गिनती हमेशा से भारत के प्रमुख और अमीर रियासतों में की जाती थी। इसका क्षेत्रफल ब्रिटेन और स्कॉटलैंड के क्षेत्र से भी अधिक था और आबादी (एक करोड़ 60 लाख) यूरोप के कई देशों से अधिक थी। मजे की बात ये थी कि इसमें से 10 प्रतिशत ज़मीन के सीधे मालिक निजाम थे, जबकि 30 प्रतिशत अन्य ज़मीन पर वो अपने कारकुनों, जागीरदारों के ज़रिए कंट्रोल करता था। शायद इसके विशेष दर्जे की वजह से ही उसे आज़ादी के बाद भारत में शामिल होने या न होने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था।

लेकिन हैदराबाद के निजाम की जिन्ना से करीबियां किसी से छिपी नहीं थीं और वो भारत के भीतर एक आज़ाद देश की तरह रह कर ब्रिटिश क्राउन के अंदर एक डोमिनियन स्टेटस बनाए रखना चाहते थे। जिन्ना और निजाम की साठगांठ थी कि आज़ाद हैदराबाद एक तरह के दक्षिण पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान पहले ही बँट चुका था) के तौर पर काम करेगा।समुद्री रास्ते से संपर्क बनाए रखने के लिए निजाम गोवा में बंदरगाह बनाने के लिए पुर्तगाल की सरकार से बातचीत कर रहे थे।यही नहीं वो यूरोप में अपने लोग भेजकर हथियार खरीदने की जुगत में भी लगे थे कि ताकि अपनी सेना को और मज़बूत बनाया जा सके।

संबंधितपोस्ट

पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

और लोड करें

स्वायत्त हैदराबाद को भारत के लिए कैंसर मानते थे सरदार पटेल

ज़ाहिर है कि ये भारत के लिए अच्छी स्थिति नहीं थी और सरदार पटेल इसे अच्छी तरह समझते थे। उस समय भारत के गृह सचिव रहे एच वीआर आयंगर ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”सरदार पटेल का शुरू से ही मानना था कि भारत के दिल में एक ऐसे क्षेत्र हैदराबाद का होना, जिसकी निष्ठा देश की सीमाओं के बाहर हो. भारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा था.’

आयंगर बताते हैं कि पटेल चाहते थे कि निज़ाम का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए। हालाँकि नेहरू और माउंटबेटन की राय कुछ और थी और इसलिए निजाम अपनी जगह टिके रहे।

दरअसल नेहरू पर हैदराबाद और निजाम को लेकर कश्मीर की ही तरह सॉफ्ट रुख़ अपनाने का आरोप लगता रहा है। नेहरू पटेल को एक तरह से चेतावनी देते रहे कि हैदराबाद में बड़ी संख्या में मुस्लिम अल्पसंख्यक रहते हैं। ऐसे में निजाम की कुर्सी गई तो वो भड़क सकते हैं और इसका खामियाजा पूरे भारत को भुगतना पड़ सकता है।
हालांकि पटेल साफ़ कहते थे कि निजाम के राज में हैदराबाद ‘भारत के पेट में कैंसर‘ की तरह था जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था।

‘हैदराबाद’ को भी ‘कश्मीर’ बनाना चाहते थे नेहरू!

आख़िरकार जब निजाम पूरी तरह से भारत के विरोध में उतर आया और उसकी मिलीशिया आर्मी (रजाकारों) ने हिंदुओं पर हमले शुरू कर दिए, तब भारत सरकार पर भी हैदराबाद में कार्रवाई का दबाव बढ़ गया।

सरदार पटेल ने मन बना लिया कि वो हैदराबाद में सेना भेजेंगे और उसे जूनागढ़ की तरह ही भारत का अभिन्न हिस्सा बनाएंगे।
लेकिन नेहरू हैदराबाद में सेना भेजने के पक्ष में नहीं थे। पटेल पर जीवनी लिखने वाले राजमोहन गांधी लिखते हैं, ”नेहरू को लगता था कि अगर हैदराबाद में सेना भेजी गई तो इससे कश्मीर में भारतीय सैनिक ऑपरेशन को नुक़सान पहुँच सकता है (कश्मीर में पहले ही पाक समर्थित कबीलाइयों से युद्ध चल रहा था)।’’
पुराने रिकॉर्ड्स और लोगों के संस्मरण बताते हैं कि नेहरू और सरदार पटेल उस वक्त हैदराबाद को लेकर पूरी तरह आमने–सामने आ चुके थे।
इसे लेकर सबसे विस्तृत जानकारी डॉ. के.एम मुंशी की लिखी किताब में मिलती है। के.एम. मुंशी हैदराबाद पर सैन्य एक्शन से पहले भारत सरकार के एजेंट जनरल थे। बाद में उन्होने Pilgrimage to Freedom के नाम से एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में हैदराबाद और हैदराबाद के भारत में विलय पर एक अध्याय है। इस पुस्तक में हैदराबाद और हैदराबाद के भारत में विलय पर एक अध्याय है।

उसमें वो लिखते हैं

“भारतीय राजाओं में सबसे महत्वाकांक्षी निज़ाम–ए–हैदराबाद थे। उन्होंने 12 जून 1947 को घोषणा की कि ‘निकट भविष्य में अंग्रेज़ों की paramount power (सर्वोच्च सत्ता) के समाप्त होने का मतलब होगा कि मैं फिर से स्वतंत्र संप्रभु शासक का दर्ज़ा हासिल करूँगा।’ उन्होंने बेरार प्रांत की वापसी की माँग की, जो कभी उनके राज्य का हिस्सा रहा था, और गोवा का बंदरगाह हासिल करने के लिए पुर्तगाल से बातचीत शुरू की ताकि अपने राज्य के लिए समुद्र तक पहुँच बना सकें।“

निज़ाम का सपना था कि वे ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में “तीसरा डोमिनियन” बनें, हालांकि 29 नवंबर 1947 को लंबी बातचीत के बाद हैदराबाद और भारत के बीच एक साल का स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट हुआ। उस समय सरदार ने संविधान सभा में बयान दिया कि इस दौरान स्थायी विलय का रास्ता साफ़ हो जाएगा।

सरदार ने मुझसे (डॉ. के.एम. मुंशी) कहा कि मुझे भारत सरकार का एजेंट–जनरल बनकर हैदराबाद जाना चाहिए, क्योंकि इस समझौते के तहत दोनों पक्षों को एजेंट–जनरल नियुक्त करना था। मैंने महात्मा गांधी से परामर्श किया, उन्होंने इसकी स्वीकृति दी। मैंने यह काम स्वीकार किया लेकिन कोई वेतन नहीं लिया।

जब हैदराबाद में सेना भेजने को लेकर पटेल पर भड़क उठे नेहरू

आगे मुंशी लिखते हैं:

हैदराबाद में मेरी स्थिति बेहद मुश्किल थी क्योंकि दिल्ली की सत्ता सँभाल रहे लोगों की नीतियों में विरोधाभास था। सरदार और वी.पी. मेनन मेरी मदद से हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय कराना चाहते थे, जैसे अन्य रियासतों का हुआ। लेकिन गवर्नर जनरल माउंटबेटन निज़ाम के प्रधानमंत्री लैयक अली से बातचीत कर रहे थे।वो हैदराबाद को भारत के अंदर ऑटोनामी देने को तैयार थे, बशर्ते निज़ाम दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर दें।

मुंशी लिखते हैं कि जवाहरलाल नेहरू का हैदराबाद पर रुख़ थोड़ा नर्म था और वो हैदराबाद के पूर्ण विलय को लेकर सरदार पटेल की नीति से सहमत नहीं थे। एक समय तो यह सुझाव भी दिया गया कि मुझे एजेंट–जनरल से हटा दिया जाए, लेकिन सरदार ने यह अस्वीकार कर दिया। मुंशी कहते हैं कि “कई बार प्रधानमंत्री (नेहरू) के मुझ पर अविश्वास की वजह से मुझे बहुत अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। हर बार जब मैंने इत्तेहादियों के अत्याचार की रिपोर्ट दी, मुझसे स्वतंत्र सबूत माँगे गए। अगर सरदार का विश्वास न होता, तो मैं यह काम छोड़ चुका होता।”

जैसे–जैसे निज़ाम और उनके सलाहकार हठधर्मी रवैया अपनाते गए, हालात टकराव की ओर बढ़ने लगे। सरदार ने उचित समझा कि निज़ाम की सरकार को साफ़ चेतावनी दी जाए कि भारत सरकार का धैर्य अब टूट रहा है। इसके लिए वी.पी. मेनन के माध्यम से संदेश भेजा गया।

लेकिन जब नेहरू को यह पता चला तो वे बेहद नाराज़ हुए। सेना को हैदराबाद भेजने के ठीक एक दिन पहले उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में रक्षा समिति की विशेष बैठक बुलाई, जिसमें तीनों सेना प्रमुखों को बुलाया ही नहीं गया। बैठक में नेहरू, सरदार, मौलाना आज़ाद, तत्कालीन रक्षा और वित्त मंत्री, राज्य सचिव वी.पी. मेनन और रक्षा सचिव एच.एम. पटेल मौजूद थे।

बैठक शुरू होते ही नेहरू भड़क गए और बुरी तरह नाराज़ होते हुए ‘सरदार’ पर हैदराबाद को लेकर उनके रुख़ के लिए हमला बोला। उन्होंने वी.पी. मेनन को भी जमकर फटकार लगाई और अंत में कहा कि अब से हैदराबाद से जुड़ा हर मामला वे ख़ुद देखेंगे। उनका ये रवैया और टाइमिंग देखकर बैठक में मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। हालांकि पूरी बहस के दौरान सरदार कुछ नहीं बोले– वो बीच बैठक से उठे और चुपचाप बाहर चले गए। वी.पी. मेनन भी उनके पीछे पीछे बाहर चले गए। वो  बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई।

जब पटेल ने कहा– नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

के .एम. मुंशी अपनी किताब में आगे लिखते हैं कि

वी.पी. मेनन ने नेहरू के सामने विरोध जताया और उनसे कहा कि अगर यही हाल है तो उनके स्टेट डिपार्टमेंट (तत्कालीन गृह मंत्रालय ) में काम करने का कोई मतलब नहीं। तब नेहरू को लगा कि उन्होंने सीमा लांघ दी है। उन्होंने मेनन से माफ़ी माँगी और हैदराबाद को कैसे डील किया जाए– ये पटेल पर ही छोड़ने का आश्वासन दिया?

बाद में पटेल ने तय कार्यक्रम के अनुसार ही हैदराबाद में सेना की कार्रवाई को हरी झंडी दी। बाद में दोनों के बीच इस विषय पर फिर कोई चर्चा नहीं हुई।

उस समय के रिफ़ॉर्म्स कमिश्नर वीपी मेनन ने भी इसका जिक्र किया है। मेनन ने एक इंटरव्यू में बताया कि  ”नेहरू ने बैठक की शुरुआत में ही मुझपर हमला बोला… असल में वो मेरे बहाने सरदार पटेल को निशाना बना रहे थे। पटेल थोड़ी देर तो चुप रहे लेकिन जब नेहरू ज़्यादा कटु हो गए तो वो बैठक से वॉक आउट कर गए। मैं भी उनके पीछे–पीछे बाहर आया क्योंकि मेरे मंत्री की अनुपस्थिति में वहाँ मेरे रहने का कोई तुक नहीं था।”

“इसके बाद राजा जी ने मुझसे संपर्क करके सरदार को मनाने के लिए कहा। फिर मैं और राजा जी सरदार पटेल के पास गए। वो बिस्तर पर लेटे हुए थे. उनका ब्लड प्रेशर बहुत हाई था। सरदार गुस्से में चिल्लाए– नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है।

हालांकि राजा जी ने किसी तरह सरदार पटेल को डिफ़ेंस कमेटी की बैठक में दोबारा शामिल होने के लिए मना लिया।

हालांकि नेहरू यहीं नहीं रुके। एचवी आर आयंगर अपने संस्मरण में लिखते हैं कि 13 सितंबर, 1948 को जब भारतीय सेना मेजर जनरल जेएन चौधरी के नेतृत्व में हैदराबाद में घुसने ही वाली थी कि नेहरू ने आधी रात को सरदार पटेल को फ़ोन कर जगा दिया।

नेहरू ने कहा, ”जनरल बूचर ने मुझे फ़ोन कर इस हमले को रुकवाने का अनुरोध किया है। मुझे क्या करना चाहिए?”

पटेल ने जवाब दिया था, ”आप सोने जाइए। मैं भी यही करने जा रहा हूँ।’

यानी माउंटबेटन और भारतीय सेना के तत्कालीन ब्रितानी मुखिया अंत तक हैदराबाद पर भारतीय सैन्य कार्रवाई को टालने का प्रयास करते रहे और नेहरू भी इसमें पीछे नहीं रहे। हालांकि पटेल ऑपरेशन पोलो को लेकर अड़े रहे और जैसे ही भारतीय सेना हैदराबाद पहुँची, निज़ाम की ताक़त बिखर गई।

ऑपरेशन पोलो के कामयाब होने के बाद डॉ. के.एम. मुंशी ने एजेंट–जनरल के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

अपनी किताब Pilgrimage to Freedom में मुंशी लिखते हैं:

“दिल्ली लौटने पर सरदार ने मुझसे कहा कि मुझे शिष्टाचारवश नेहरू से मिल लेना चाहिए। जब मैं संसद भवन में प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँचा तो नेहरू बाहर आए और ठंडे स्वर में बोले: ‘हैलो मुंशी।’ मैंने जवाब दिया और कहा: ‘अब जब मैं दिल्ली लौट आया हूँ तो आपसे मिलने आया हूँ।’ वे लगभग मुड़े और जाने लगे, फिर अचानक रुके, हाथ मिलाया और चले गए।“

मुंशी लिखते हैं:
“
मैंने सरदार से कहा कि नेहरू से मिलने की उनकी सलाह मानकर मुझे खेद है।”

सरदार हँसते हुए बोले:
“
कुछ लोग नाराज़ हैं कि तुमने इत्तेहाद की ताक़त खत्म करने में मदद की। कुछ नाराज़ हैं कि तुमने निज़ाम को तुरंत हटाने नहीं दिया। कुछ लोग मुझसे नाराज़गी नहीं जता सकते, इसलिए तुम्हें निशाना बना रहे हैं“

वी.पी. मेनन ने भी अपनी किताब The Integration of States में कासिम रिज़वी के भाषण का एक अंश लिखा है, जिसमें उसने कहा था कि अगर भारतीय सेनाएं हैदराबाद आईं तो उसे सिर्फ़ सवा करोड़ हिंदुओं की हड्डियाँ और राख ही मिलेंगी–

लेकिन महज 108 घंटे की कार्रवाई में ही निजाम घुटनों पर आ गए। 17 सितंबर को लैयक अली और उनकी कैबिनेट ने इस्तीफ़ा दे दिया और निज़ाम ने अपनी सेना को भारतीय सशस्त्र बलों के सामने आत्मसमर्पण का आदेश दिया।

यही नहीं जैसा कि नेहरू का इस एक्शन की प्रतिक्रिया के तौर पर सांप्रदायिक हिंसा भड़कने का जो डर था, वो भी निराधार साबित हुआ। क्योंकि “ निजाम को हटाने के बावजूद पूरे देश में कहीं भी कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई।”

हैदराबाद के भारत में विलय के बाद जब फ़रवरी 1949 को जब सरदार पटेल हैदराबाद पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने के लिए निज़ाम हैदराबाद वहाँ पहले से ही मौजूद थे। पटेल जैसे ही विमान से उतरे, निजाम उनके सामने पहुंचे और सिर झुका कर अपने दोनों हाथ जोड़ लिए। जवाब में पटेल ने भी मुस्कुरा कर उनके अभिवादन का जवाब दिया और इस तरह हैदराबाद हमेशा के लिए भारत संघ का हिस्सा बन गया।

Tags: ऑपरेशन पोलोजवाहरलाल नेहरूजिन्नापाकिस्तानमाउंटबेटनसरदार पटेलहैदराबाद
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

अगली पोस्ट

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

संबंधित पोस्ट

भारतीय दर्शन और संविधान
इतिहास

भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

2 December 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा में नागरिकता (Citizenship) का विचार आधुनिक “राज्य–नागरिक” (State–Citizen) ढाँचे से भले अलग रहा हो, पर इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और बहुआयामी...

तालोम रुकबो
इतिहास

अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

1 December 2025

कुछ ऐसे राष्ट्रनायक हुए हैं, जिनके योगदान को सामने लाने में इतिहास ने हमेशा कोताही बरती है। अरुणाचल प्रदेश के तालोम रुकबो भी उन्ही में...

राजा महेंद्र प्रताप सिंह
इतिहास

राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

1 December 2025

"हमारी आज़ादी के आंदोलन में कई महान व्यक्तित्वों ने अपना सबकुछ खपा दिया. लेकिन यह देश का दुर्भाग्य रहा है कि आज़ादी के बाद ऐसे...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited