भारतीय कलाकार अब सिर्फ हमारे देश तक सीमित नहीं रहे, उनकी कला अब दुनिया के बड़े मंचों पर भी छा रही है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में आर्ट मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और खास बात यह है कि आज के युवा इसे केवल सजावट की चीज़ नहीं मानते, बल्कि इसे अपने सामाजिक और सांस्कृतिक स्टेटस का हिस्सा भी समझते हैं। रोजमर्रा की चीज़ों को खूबसूरत और अनोखी कला में बदलने की उनकी कला ने भारतीय कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
रोजमर्रा की चीज़ों से अद्भुत कला
दिल्ली के एक बाग में भगवान बुद्ध की एक बड़ी मूर्ति है, जो इस बात का उदाहरण है कि कैसे आम चाजों को कैसे कला में बदला जा सकता है। उस मूर्ति की खास बात यह है कि जब आप पहली बार उस मूर्ति को देखेंगे तो वह काफी शांत नज़र आएगी लेकिन जब आप करीब जाकर मूर्ति देखेंगे तो उसकी आंखे काफी चौकाने वाली है। इस मूर्ति को कलाकार सुबोध गुप्ता ने बर्तनों, कड़ाहियों और रसोई के दूसरे सामान से बनाया है। यह सिर्फ एक मामूली मूर्ति नहीं, बल्कि कल्पना और रोजमर्रा की जिंदगी का एक अनोखा मेल है।
भारतीय कला का तेजी से बढ़ता बाजार
देश के बड़े शहरों में ऑक्शन हाउस, गैलरियां और कलेक्टर्स लगातार कह रहे हैं, “भारतीय कला का समय आ गया है।” ऑनलाइन आर्ट मार्केट ‘आर्टसी’ की रिपोर्ट भी यही बताती है कि 2024 में भारतीय कलाकारों की मांग सबसे तेजी से बढ़ी। उदाहरण के लिए, मार्च में एम.एफ. हुसैन की एक पेंटिंग 122 करोड़ रुपये में बिकी, जो आधुनिक भारतीय कलाकार के लिए अब तक का रिकॉर्ड है।
30 सितंबर को सीताबाई एफ.एन. सूजा की कुछ शानदार कृतियों का नीलाम करेंगे। उनके काम जैसे ‘हाउसेज इन हैम्पस्टेड’ और ‘एम्परर’ की कीमतें 18 करोड़ से लेकर 95 करोड़ रुपये तक आंकी गई हैं।
भारतीय कलाकारों की कला की मांग अब सिर्फ देश तक सीमित नहीं रही। सोहराब हुरा की प्रदर्शनी न्यूयॉर्क में लगी, वहीं अर्पिता सिंह की एकल प्रदर्शनी लंदन के सैर्पेंटाइन गैलरी में आयोजित हुई। यह साफ तौर पर दिखाता है कि भारतीय कला का आकर्षण अब पूरी दुनिया में फैल चुका है।
नई पीढ़ी और कंपनियों का आर्ट में बढ़ता आकर्षण
देश में दिल्ली, कोच्चि और मुंबई जैसे शहरों में आर्ट फेयर तेजी से बढ़ रहे हैं। खासतौर पर 30-40 साल की उम्र वाले नए खरीदार अब कला को सिर्फ निवेश के लिए नहीं, बल्कि अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानते हैं। मार्तंड खोसला की जटिल मूर्तियां अब इंटीरियर डिजाइनर्स की पसंद बन गई हैं, और मुंबई के मेकर मैक्सिटी जैसे कॉर्पोरेट ऑफिस भी अब कला से सजने लगे हैं।
भारतीय कलाकारों ने अपनी मेहनत और खास प्रतिभा से न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी कला का मान बढ़ाया है। रोजमर्रा की चीज़ों को अलग और खास कला में बदलने का उनका हुनर, नए खरीदारों की बढ़ती रुचि और दुनिया भर में उनकी पहचान यह सब दिखाता है कि भारतीय कला अब पूरी दुनिया में चमक रही है।
सुबोध गुप्ता, एफ.एन. सूजा, मार्तंड खोसला, सोहराब हुरा और अर्पिता सिंह जैसे कलाकारों ने यह साबित कर दिया है कि भारत का कला जगत अब सिर्फ देश में नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ रहा है।