जयशंकर का स्पष्ट संदेश: H1B नीतियों के बावजूद भारत तैयार और दूरदर्शी

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक स्पष्ट और दूरदर्शी संदेश दिया, जो बिना किसी का नाम लिए, अमेरिका के कठोर H1B वीजा रुख पर कड़ा संकेत था।

जयशंकर का स्पष्ट संदेश: H1B नीतियों के बावजूद भारत तैयार और दूरदर्शी

जयशंकर ने कहा कि दुनिया अब वैश्विक कार्यबल के बिना स्थिर और समृद्ध नहीं रह सकती।

विश्व राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिदृश्य में हाल के वर्षों में कई बड़े बदलाव हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां, विशेषकर आव्रजन और व्यापार से जुड़ी नीतियों ने वैश्विक पेशेवरों के लिए चुनौतियां पैदा कर दी हैं। इन परिस्थितियों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक स्पष्ट और दूरदर्शी संदेश दिया, जो बिना किसी का नाम लिए, अमेरिका के कठोर H1B वीजा रुख पर कड़ा संकेत था।

जयशंकर ने कहा कि दुनिया अब वैश्विक कार्यबल के बिना स्थिर और समृद्ध नहीं रह सकती। तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार ने ऐसे पेशेवरों की मांग बढ़ा दी है, जिन्हें किसी एक देश की राष्ट्रीय जनसंख्या पूरी नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस वास्तविकता से कोई नहीं बच सकता और इसका सामना करना अनिवार्य है।

उनकी टिप्पणी विशेष रूप से उन भारतीय पेशेवरों के लिए प्रासंगिक है जो H1B वीजा के माध्यम से अमेरिका में काम कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में H1B वीजा पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क लगाया, जो भारतीय आईटी और अन्य विशेषज्ञों के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है। अमेरिका के इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत सहित कई देशों के लिए चुनौती पैदा की है, लेकिन जयशंकर ने इसे अवसर और रणनीति दोनों के दृष्टिकोण से देखा।

विदेश मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि वैश्विक कार्यबल के लिए समकालीन, कुशल और स्वीकार्य मॉडल की आवश्यकता है। इसे विकेन्द्रित वैश्विक कार्यस्थलों में तैनात किया जा सकता है, ताकि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनी रहे और पेशेवर क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग हो। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार में नए और कभी-कभी अप्रत्याशित निर्णय लिए जा सकते हैं, जिनमें नई साझेदारियों और क्षेत्रों की खोज अनिवार्य होगी।

जयशंकर ने यह भी कहा कि तकनीकी प्रगति, डिजिटल नेटवर्क और बेहतर अवसंरचना ने आज व्यापार को पहले से कहीं अधिक आसान और सुगम बना दिया है। भौतिक सीमाएं अब चुनौती नहीं हैं, और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में देशों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे साझा जिम्मेदारी और पेशेवर कौशल का न्यायसंगत उपयोग करें।

उनके बयान ने यह स्पष्ट किया कि भारत इस वैश्विक बदलाव का सक्रिय हिस्सा बनेगा। देश अपनी राष्ट्रीय प्रतिभा और पेशेवर क्षमताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए तैयार है। साथ ही, भारत वैश्विक व्यापार और सहयोग में संतुलन बनाए रखने की दिशा में सजग रहेगा।

इस अवसर पर जयशंकर का संदेश न केवल अमेरिका के लिए चेतावनी था, बल्कि यह वैश्विक समुदाय को भी यह याद दिलाने वाला था कि पेशेवर और कौशल आधारित वैश्विक सहयोग अब निहायत जरूरी हो गया है। भारत इस बदलती दुनिया में अपने नागरिकों और पेशेवरों के हितों की रक्षा करेगा। इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक प्रगति में सक्रिय भूमिका निभाएगा।

इस प्रकार, संयुक्त राष्ट्र महासभा में जयशंकर के शब्दों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वैश्विक कार्यबल और पेशेवर कौशल की मांग के प्रति भारत सजग और दूरदर्शी है। H1B वीजा और अन्य राष्ट्रीय नीतियां केवल चुनौतियां नहीं, बल्कि भारत के लिए रणनीतिक अवसर भी हैं। देश अपनी स्वदेशी प्रतिभा और रणनीति के माध्यम से इन बदलावों का सामना करने के लिए तैयार है और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करेगा।

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