8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना अपना 93वां दिवस मना रही है। आज के दिन हम अपनी वायु सेना की हिम्मत और उनकी बहादुरी को सलाम करते है। यह वही सेना है जो हर पल अपने देश की हिफाजत के लिए तैयार रहती है।
आज के दिन को हर साल पूरे देश में गर्व और पूरे जोश के साथ मनाया जाता है। आसमान में हर ओर वायुसेना के जाबांज पायलट अपने लड़ाकू विमानों से करतब दिखाते है और यह देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। आज के दिन जश्न मनाने के साथ- साथ देश के उन बहादुरों को भी याद किया जाता है जिन्होनें देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है।
भारतीय वायुसेना की गौरवशाली शुरुआत
भारतीय वायुसेना की शुरुआत 8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन के समय हुई थी। उस वक्त इसे “रॉयल इंडियन एयर फोर्स” कहा जाता था। आज़ादी के बाद, जब 1950 में भारत गणराज्य बना, तो इसका नाम बदलकर भारतीय वायुसेना रखा गया।
आज जिस वायुसेना पर पूरा देश गर्व करता है, उसकी नींव रखने का बड़ा श्रेय जाता है एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी को। वे आज़ाद भारत के पहले भारतीय वायुसेना प्रमुख थे और उन्हें प्यार से भारतीय वायुसेना का जनक कहा जाता है।
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना
आज भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। इसके पास अत्याधुनिक फाइटर जेट्स (जैसे रफाल, सुखोई-30MKI, तेजस, मिराज-2000), सटीक मिसाइल सिस्टम, और अत्याधुनिक रडार एवं ड्रोन तकनीक हैं। आज भारतीय वायुसेना सिर्फ हमारी सीमाओं की रक्षा नहीं करती, बल्कि यह भारत की ताकत, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक क्षमता का जीता-जागता प्रतीक बन चुकी है।
भारतीय वायुसेना की कहानी सिर्फ विमानों तक नही है, बल्कि हमारे देश के वीर और उनके बलिदान से भी जुड़ी है।
वायुसेना के अमर वीरों में सबसे पहले नाम आता है, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों का। इन्होनें 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए लड़ाई लड़ी थी उनके साहस और वीरता के लिए उन्हे देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया था।
ऐसे ही देश के एक और वीर मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह भी थे। यह भारतीय वायुसेना के एकमात्र अधिकारी जिन्हें पाँच सितारा रैंक (Marshal of the Air Force) प्राप्त हुई। वे भारतीय सैन्य इतिहास के सबसे प्रेरणादायक नेताओं में से एक रहे।
इनके अलावा हजारों वायु सैनिकों ने अपने कर्तव्यपथ पर बलिदान दिए, जिनकी गाथाएँ हर भारतीय को गर्व से भर देती हैं।
वायुसेना की भूमिका केवल युद्ध नहीं, मानवता भी
भारतीय वायुसेना सिर्फ देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली ताकत नहीं है, बल्कि यह मानवता की सच्ची रक्षक भी है। जब कहीं मुसीबत आती है। भूकंप हो, बाढ़ हो या तूफान तो सबसे पहले आसमान से मदद लेकर वायुसेना के जवान ही पहुँचते हैं।
2013 में जब उत्तराखंड में भीषण तबाही आई, तो “ऑपरेशन राहत” के तहत वायुसेना ने हजारों लोगों की जान बचाई।
2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान “ऑपरेशन गंगा” के जरिए हमारे छात्रों को सुरक्षित भारत वापस लाने में अहम भूमिका निभाई।
यहाँ तक कि कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी, वायुसेना ने दिन-रात काम करके देश के कोने-कोने तक ऑक्सीजन और मेडिकल सप्लाई पहुँचाई।
इन सभी मिशनों ने यह साबित किया है कि भारतीय वायुसेना सिर्फ एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि मानवता और करुणा की उड़ान है। जो हर वक्त, हर हाल में देशवासियों के साथ खड़ी रहती है।
वायुसेना दिवस का उद्देश्य और प्रेरणा
वायुसेना दिवस सिर्फ गर्व मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक जिंदा उदाहरण है। यह हमें याद दिलाता है कि देश की सेवा सिर्फ सीमा पर खड़े होकर ही नहीं, बल्कि अपनी-अपनी जगह पर पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करके भी की जा सकती है।
इस दिन होने वाले एयर शो, परेड और सलामी के पल हर भारतीय के दिल में देशभक्ति, अनुशासन और समर्पण की भावना जगा देते हैं। जब आसमान में हमारे फाइटर जेट्स गरजते हैं, तो वो सिर्फ आवाज़ नहीं होती, वो एक संदेश होता है कि “भारत का आकाश किसी का नहीं झुकता, यह हमारी आज़ादी और गौरव का प्रतीक है।”
सीमाएँ नहीं, केवल आकाश हमारा लक्ष्य है
“नभः स्पर्शं दीप्तम्” (Nabhah Sparsham Deeptam) भगवद्गीता के अध्याय 11 से लिया गया एक पवित्र और प्रेरणादायक वाक्य है, जहाँ अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप की अद्भुत झलक देखते हैं। इसका अर्थ है- “आकाश को छूने वाली चमक” या “तेज जो आसमान तक पहुँच जाए।” यही वाक्य आगे चलकर भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य बना, जिसे 1950 में अपनाया गया। इसका असली मतलब है- गौरव, साहस और आत्मविश्वास के साथ ऊँचाइयों को छूना।
यह वाक्य भगवान के विराट स्वरूप की दिव्यता और भारतीय वायुसेना के शौर्य को एक साथ जोड़ता है। जैसे गीता में भगवान की शक्ति असीम है, वैसे ही वायुसेना का भी यही संदेश है-
“हमारे लिए सीमाएँ नहीं हैं, हमारा लक्ष्य सिर्फ आकाश है।”