मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लव जिहाद का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हबीबगंज थाना क्षेत्र में एक हिंदू युवती के साथ मुस्लिम युवक होटल में पकड़ा गया। आरोपी युवक का नाम मजहर है और वह जिम ट्रेनर है। खास बात यह कि उसने जिम में आने वाली युवती को अपना नाम बंटी बताकर दोस्ती की थी। मजहर को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने होटल में पकड़ा और पीटने के बाद पुलिस को सौंप दिया। पुलिस जब युवक को होटल से थाने लेकर पैदल जा रही थी, तब बजरंग दल के कार्यकर्ता उसे फांसी देने की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी कर रहे थे।
हबीबगंज थाना प्रभारी संजीव चौकसे ने बताया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक युवक को पकड़कर पुलिस को सौंपा है। मजहर खान नाम का यह युवक विशाल फिटनेस सेंटर में जिम ट्रेनर है। पुलिस को सूचना मिली तो मौके पर पुलिस पहुंची और युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। युवती से भी पुलिस की महिला अधिकारी जानकारी जुटा रही हैं। युवती के परिजनों को सूचना दे दी गई है। वह भी भोपाल पहुंचने वाले हैं। युवती के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल पुलिस मजहर के संबंध में और जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। युवक ने होटल में मजहर के स्थान पर अपना नाम बंटी लिखवाया था। युवती से मजहर की मुलाकात जिम में ही हुई थी।
घटना नहीं, गहरी साज़िश का हिस्सा
हाल की खबर सिर्फ़ व्यक्तिगत प्रेम-प्रसंग या दो युवाओं के बीच विवाद तक सीमित नहीं है। इसे जब “लव जिहाद” की पृष्ठभूमि में देखा जाता है, तो तस्वीर कहीं अधिक गंभीर हो जाती है। ऐसे मामलों को अलग-अलग घटनाएं मानना भूल होगी, क्योंकि इनका पैटर्न लगभग हर बार एक जैसा ही होता है—धोखे से पहचान छुपाना, भावनात्मक जाल में फंसाना और फिर दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन तक ले जाना। यह पैटर्न यह दर्शाता है कि यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मानसिकता का हिस्सा है।
समाज में ज़हर घोलती सोच
लव जिहाद की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि यह समाज में धीरे-धीरे अविश्वास और वैमनस्य का ज़हर घोलता है। एक लड़की जब ऐसे जाल में फंसती है तो उसके परिवार और समुदाय के भीतर आक्रोश पैदा होता है और दूसरी ओर दूसरी धार्मिक पहचान वाले लोगों को सामूहिक शक की नज़र से देखा जाने लगता है। यह मनोवैज्ञानिक खेल पूरे समाज को बांट देता है।
खास बात यह कि हर बार इसका शिकार लड़कियां बनती हैं। उन्हें प्रेम, विवाह और स्वतंत्र निर्णय लेने की आज़ादी देने के बजाय इस षड्यंत्र का औजार बनाया जाता है। लव जिहाद की साज़िश दरअसल महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को निगलने की कोशिश है। जब किसी रिश्ते में छल और दबाव शामिल हो, तो वह प्रेम नहीं बल्कि सामाजिक शोषण है। यह शोषण इतना खतरनाक है कि कई मामलों में लड़कियों को मानसिक और शारीरिक हिंसा तक सहनी पड़ती है।
राजनीतिक और कानूनी आयाम
इस विषय पर कई राज्यों में कानून बने हैं, जिनमें धर्म परिवर्तन के मामलों की जांच और अपराध साबित होने पर सख्त सज़ा का प्रावधान है। हालांकि, विरोधियों का तर्क है कि यह कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर चोट है, लेकिन समर्थक कहते हैं कि बिना ऐसे क़ानूनों के मासूम लड़कियों को बचाना असंभव है। अदालतों में अब तक इससे जुड़े कई मामले पहुंच चुके हैं, और यह बहस अभी भी जारी है कि व्यक्तिगत आज़ादी और सामूहिक सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बने।
मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका
लव जिहाद जैसा नैरेटिव सोशल मीडिया पर सबसे तेज़ी से फैलता है। छोटे-छोटे वीडियो, पोस्ट और अपुष्ट खबरें भावनाओं को भड़काने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती हैं। मुख्य धारा की मीडिया भी कई बार ऐसी घटनाओं को सनसनीखेज़ बनाकर पेश करती है। इसका सीधा असर यह होता है कि मामला सामाजिक तनाव में बदल जाता है और युवाओं के बीच अविश्वास और गहराता है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस विषाक्त नैरेटिव का इलाज कैसे हो। एक ओर समाज को इसके प्रति जागरूक करने और परिवारों को सतर्क बनाने की ज़रूरत है, तो दूसरी ओर कानून को निष्पक्ष और कठोर होना होगा। शिक्षा और जागरूकता ही वह रास्ता है जो लड़कियों को आत्मनिर्भर बना सकता है। इसके साथ ही मीडिया और सोशल मीडिया को भी यह ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि वे अपुष्ट खबरें फैलाकर आग में घी न डालें।
यह घटना किसी अकेली लड़की की त्रासदी भर नहीं है, बल्कि पूरे समाज के सामने खड़ी एक चुनौती है। लव जिहाद महज़ दो धर्मों के बीच की खाई नहीं बनाता, बल्कि महिला स्वतंत्रता, सामुदायिक सौहार्द और कानून के शासन सभी को चुनौती देता है। अगर इसे गंभीरता से न लिया गया तो यह ज़हर धीरे-धीरे हमारी सामाजिक धमनियों में फैल जाएगा और उसके बाद इलाज संभव नहीं रहेगा।