अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

अमेरिकी कंपनी GE Aerospace ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को चौथा GE-F404-IN20 इंजन सौंप दिया है, जो भारतीय वायुसेना के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस Mk1A में लगाया जाएगा।

अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

HAL ने अनुमान लगाया है कि 2026-27 तक उत्पादन क्षमता 30 विमान प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी।

भारतीय विमानन और रक्षा उद्योग ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है। अमेरिकी कंपनी GE Aerospace ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को चौथा GE-F404-IN20 इंजन सौंप दिया है, जो भारतीय वायुसेना के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस Mk1A में लगाया जाएगा। यह आपूर्ति 2021 में हुए 716 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत की जा रही है। तेजस Mk1A परियोजना भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है।

HAL ने 11 सितंबर को तीसरा GE-F404 इंजन प्राप्त किया था। कंपनी की योजना है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन उपलब्ध हो जाएं। इस कदम से तेजस Mk1A प्रोग्राम को नई गति मिलेगी और भारतीय वायुसेना की ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

तेजस Mk1A: आधुनिकता और बहुमुखी क्षमता

तेजस Mk1A को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और HAL ने मिलकर विकसित किया है। इस विमान में उन्नत रडार सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और आधुनिक हथियार प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे यह आधुनिक युद्ध परिस्थितियों में बेहद सक्षम है। भारतीय वायुसेना ने पहले ही 83 Mk1A विमानों का ऑर्डर दिया है और 97 और विमानों की खरीद अंतिम चरण में है। कुल मिलाकर वायुसेना की योजना 352 Mk1A और Mk2 विमानों को शामिल करने की है।

तेजस Mk1A न केवल हल्के लड़ाकू विमान के रूप में कार्य करेगा, बल्कि इसके बहु-भूमिका कार्य और उन्नत युद्धक क्षमता इसे भारतीय skies में रणनीतिक ताकत बनाती है। इसकी उच्च गति, उन्नत हथियार प्रणाली और कम रडार दृश्यता इसे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के लिए आदर्श बनाती है।

GE और HAL के बीच 2021 में 99 इंजन देने का समझौता हुआ था। हालांकि, सप्लाई चेन बाधाओं, विशेषकर एक दक्षिण कोरियाई कंपोनेंट सप्लायर की विफलता के कारण डिलीवरी मार्च 2025 तक खिसक गई। HAL का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष से इंजन सप्लाई नियमित और स्थिर हो जाएगी। यह पहल भारतीय विमानन उद्योग के लिए तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। HAL और GE के सहयोग से भारत ने न केवल आधुनिक इंजनों की आपूर्ति सुनिश्चित की है, बल्कि अपने स्वदेशी उत्पादन और तकनीकी क्षमता का भी विस्तार किया है।

उत्पादन क्षमता और भविष्य की योजना

HAL ने अनुमान लगाया है कि 2026–27 तक उत्पादन क्षमता 30 विमान प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी। इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के साझेदार सक्रिय रूप से योगदान देंगे। यह योजना न केवल Mk1A के उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि भारतीय रक्षा उत्पादन प्रणाली और औद्योगिक क्षमता को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। इसके अलावा, तेजस Mk2 वेरिएंट के उत्पादन और भारत में सामरिक विमान निर्माण की दिशा में यह कदम देश को वैश्विक रक्षा उत्पादन मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी बनाएगा।

रणनीतिक और वैश्विक महत्व

तेजस Mk1A का भारतीय वायुसेना में शामिल होना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय सामरिक संतुलन में भी बदलाव लाएगा। भारत की पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर बढ़ते तनाव के बीच, यह विमान वायु प्रभुत्व सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

अमेरिका से तकनीकी सहयोग मिलने के बावजूद, भारत ने अपने उत्पादन और इंजीनियरिंग कौशल को बढ़ाकर यह दिखा दिया है कि यह प्रोजेक्ट पूर्णतः भारतीय दृष्टिकोण और रणनीति पर आधारित है। तेजस Mk1A परियोजना भारतीय आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक है और वैश्विक हवाई शक्ति समीकरण में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।

यहां बता दें कि तेजस Mk1A केवल एक विमान नहीं है, यह भारतीय आत्मनिर्भरता, तकनीकी कौशल और राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक भी है। इसके निर्माण और संचालन से भारत न केवल अपनी वायु शक्ति बढ़ा रहा है, बल्कि देश की रक्षा औद्योगिक नींव को भी मज़बूत कर रहा है। यह परियोजना भारत की स्वदेशी क्षमता, रणनीतिक स्वतंत्रता और वैश्विक सम्मान का संदेश देती है।

भविष्य में तेजस Mk1A न केवल हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारतीय skies में स्थिर और मजबूत रक्षा क्षमताओं की नींव भी रखेगा। यह प्रोजेक्ट भारत के लिए एक तकनीकी और रणनीतिक विजय के रूप में देखा जाएगा।

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