रहस्य जो आज भी जीवित है
जब इतिहास की किताबों में लिखा गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1945 में विमान हादसे में मरे, तो दुनिया ने इसे एक तथ्य मान लिया। लेकिन क्या सच में यह हादसा उनकी मृत्यु का प्रमाण था? या इसके पीछे एक गुप्त मिशन और अंतरराष्ट्रीय रणनीति छिपी थी?
तमिलनाडु के रामनाथपुरम में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने हाल ही में कहा कि उनका विश्वास है कि नेताजी विमान हादसे में नहीं मरे। उनके इस विश्वास की पुष्टि करते हैं नेताजी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी मुथुरामलिंगा थेवर और कई ऐसे दस्तावेज़ और गवाह, जिनके प्रमाण अब धीरे-धीरे देश के सामने आ रहे हैं।
उनकी कथित मृत्यु आज भी भारत और विश्व में सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। उनके जीवन की यह गुप्त परतें न केवल उनके अद्भुत साहस को उजागर करती हैं, बल्कि उनके अंतरराष्ट्रीय मिशनों और राजनीतिक गुप्त रणनीतियों को भी दर्शाती हैं।
अनुज धर की खोज: गुप्त मुलाकातों और रहस्योद्घाटन
लेखक और इतिहासकार अनुज धर ने अपनी पुस्तक और सोशल मीडिया पोस्ट में खुलासा किया है कि 1950 के आसपास मुथुरामलिंगा थेवर भारत से बाहर गए और उन्होंने नेताजी से गुप्त मुलाकात की। यह विवरण गुमनामी बाबा के कथनों के साथ मेल खाता है, जिन्होंने लंबे समय से संकेत दिया कि उनका जीवन विमान हादसे के बाद भी सक्रिय रहा। अब यह प्रश्न तो सबसे पहले उठता है कि जब 1945 में ही नेताजी की मौत हो गई थी तो 1950 में थेवर ने उनसे मुलाकात कैसे कर ली?
यहां यह बता दें कि थेवर शाह नवाज़ समिति के गवाह नंबर 1 थे। उन्होंने कहा था कि नेताजी को युद्ध अपराधी घोषित करना केवल राजनीतिक चाल थी।
अनुज धर की पुस्तक में यह भी संकेत मिलता है कि नेताजी ने अपने अंतिम वर्षों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मिशनों में गुप्त रूप से सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी पहचान बदलकर कई गुप्त संपर्क बनाए और स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बनाए रखा।
नेताजी केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे; वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मिशनों के गुप्त नेता भी थे। उनके मिशनों की परतें आज भी इतिहासकारों के लिए रहस्य हैं। : अनुज धर
विमान हादसा: क्या यह सच में हुआ या सिर्फ कहानी थी?
1945 के विमान हादसे को हमेशा ही विवादित माना गया है। इस संबंध में दस्तावेज़ तो सीमित थे ही, कई महत्वपूर्ण प्रमाण रहस्यमयी रूप से गायब भी पाये गए थे। सबसे बड़ा तथ्य यह कि उस समय तत्काल स्वतंत्र भारत और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों ने नेताजी के गुप्त मिशनों को सार्वजनिक रूप से सामने आने से रोक दिया।
मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा के कथन स्पष्ट करते हैं कि नेताजी का जीवन हादसे के बाद भी सक्रिय था। अनुज धर की पुस्तक में यह भी उल्लेख है कि नेताजी ने सुपर-संरचित गुप्त मिशनों के तहत कई जगहों पर अपनी पहचान बदलकर गतिविधियां जारी रखीं।
मुथुरामलिंगा थेवर: रहस्य के संरक्षक
थेवर का जीवन सत्यनिष्ठा और उच्च आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक था। उनके बयानों से पता चलता है कि नेताजी के मिशन केवल भारत तक ही सीमित नहीं थे। थेवर ने कई बार संकेत दिया कि उनकी गुप्त गतिविधियां और अंतरराष्ट्रीय रणनीतियां आज भी इतिहास में कम जानी जाती हैं।उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने भी उनके कथनों की पुष्टि की, जो बताती है कि नेताजी का जीवन हादसे के बाद भी सक्रिय था।
मुझे विश्वास है, नेताजी उस विमान हादसे में नहीं मरे। उनका जीवन और मिशन आज भी जारी है।: सीपी राधाकृष्णन
गुमनामी बाबा और अंतरराष्ट्रीय मिशन
गुमनामी बाबा के कथन बताते हैं कि नेताजी विमान हादसे के बाद भी सक्रिय थे। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गुप्त संपर्क और मिशनों के माध्यम से भारत और स्वतंत्रता आदर्शों का समर्थन किया। अनुज धर की पुस्तक में यह खुलासा है कि नेताजी के मिशनों में कई छिपी राजनीतिक चाल और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ शामिल थे। उनका जीवन केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं था, बल्कि गोपनीय रणनीतियों और राष्ट्रीय हित से भी जुड़ा था।
नेताजी के असली मिशन इतिहास में कम प्रकाशित हुए हैं, लेकिन उनकी रणनीतियां और गुप्त गतिविधियां आज भी प्रेरणा देती हैं।
शाह नवाज़ समिति: गवाही और सच्चाई
शाह नवाज़ समिति ने नेताजी की मृत्यु की जांच की। इस दौरान मुथुरामलिंगा थेवर ने स्पष्ट किया कि नेताजी को युद्ध अपराधी घोषित करना राजनीतिक और नैतिक दृष्टि से सवालों के घेरे में था। अनुज धर की पुस्तक में यह भी बताया गया कि थेवर के पास उनके वास्तविक जीवन और उनके मिशनों के अद्वितीय प्रमाण थे। यह गवाही दर्शाती है कि उनकी कथित मृत्यु इतिहास में कम प्रकाशित छिपा हुआ सच है।
नेताजी का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योगदान
नेताजी का जीवन आज भी भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय स्वतंत्रता के आदर्श स्थापित किए। विमान हादसे के बाद भी उन्होंने अपने गुप्त मिशनों के माध्यम से देश की सुरक्षा और हित बनाए रखा। उनके असली मिशन इतिहास में कम ळभ्प्र काशित हुए हैं, लेकिन उनका प्रभाव आज भी देश और विदेश में दिखाई देता है।
नेताजी केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, वह अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के गुप्त संरक्षक भी थे।
नेताजी की विरासत और आज की प्रेरणा
नेताजी केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रीय मिशन और आदर्शों को जीवनभर बनाए रखा। अनुज धर की शोध से यह पता चलता है कि नेताजी का जीवन रहस्यमय और रणनीतिक था। उनके गुप्त मिशनों और असली जीवन की जानकारी इतिहासकारों और पाठकों दोनों के लिए प्रेरक है।
आज जब हम नेताजी की विरासत याद करते हैं, तो हमें केवल उनके स्वतंत्रता संग्राम के योगदान को ही नहीं, बल्कि उनके गुप्त जीवन, रणनीतियाँ और उच्च आदर्श को भी सम्मान देना चाहिए।





















 
 




