भारतीय नौसेना का स्वदेशी गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री उत्तरी प्रशांत महासागर स्थित गुआम पहुंच गया है। यह जहाज बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार-2025’ में भाग ले रहा है, जो भारत, अमेरिका और जापान के साथ-साथ अन्य मित्र राष्ट्रों की नौसेनाओं के सहयोग से आयोजित होता है। यह अभ्यास एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा और सामरिक सहयोग की दिशा में भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है। आईएनएस सह्याद्री की भागीदारी भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) क्षमताओं, संचालनात्मक सामंजस्य और स्वदेशी तकनीक को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का अवसर देती है।
मालाबार अभ्यास की शुरुआत 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग के रूप में हुई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और संचालनात्मक सहयोग को बढ़ाना था। 2007 के बाद जापान इस अभ्यास में शामिल हुआ, और बाद में ऑस्ट्रेलिया भी इसके स्थायी भागीदार बने। यह अभ्यास अब केवल तकनीकी कौशल का प्रदर्शन नहीं बल्कि एशिया-प्रशांत में सामरिक संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
मालाबार-2025 का अभ्यास कई चरणों में आयोजित होगा। पहले हार्बर फेज में परिचालन योजनाओं का समन्वय, संचार प्रोटोकॉल का अभ्यास, परिचयात्मक दौरे और खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसके बाद समुद्री चरण (सी फेज) शुरू होता है, जिसमें सामूहिक बेड़ा संचालन, पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास, गनरी सीरियल्स, फ्लाइंग ऑपरेशन्स और अंडरवे रीप्लेनिशमेंट जैसी जटिल गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।
आईएनएस सह्याद्री की विशेष भूमिका
आईएनएस सह्याद्री शिवालिक श्रेणी का गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है, जो भारतीय नौसेना की आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप स्वदेशी रूप से निर्मित किया गया है। इसकी विशेषताएँ इसे एशिया-प्रशांत में अत्यंत प्रभावशाली बनाती हैं:
स्टील्थ डिज़ाइन: राडार सिग्नेचर कम करके दुश्मन के दृष्टि से बचाव।
एंटी-सबमरीन क्षमताएं: पनडुब्बी रोधी मिसाइल, सोनार और हेलीकॉप्टर आधारित ASW उपकरण।
लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली: जहाज को सतह और हवाई खतरों से निपटने की क्षमता।
फ्लाइंग ऑपरेशन्स: हेलीकॉप्टर और ड्रोन आधारित निगरानी और हमला।
स्वदेशी निर्माण: भारत के रक्षा उद्योग की ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक।
आईएनएस सह्याद्री ने पहले भी जापान में द्विपक्षीय अभ्यास ‘जापान-इंडिया मॅरिटाइम एक्सरसाइज’ में भाग लिया था। इस अभ्यास में पनडुब्बियों, मिसाइल डिफेंस और फ्लाइंग ऑपरेशन्स में उच्चस्तरीय प्रदर्शन किया गया। इसके माध्यम से दोनों नौसेनाओं के बीच संचालनात्मक सामंजस्य और अंतर-संचालन क्षमता को मजबूती मिली।
एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में भारत की रणनीति
एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) भारतीय नौसेना की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। एशिया-प्रशांत में बढ़ते चीन और पाकिस्तान के पनडुब्बी संचालन, समुद्री मार्गों में चुनौती और रणनीतिक संतुलन को देखते हुए यह क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। आईएनएस सह्याद्री की ASW क्षमताएं इसे शत्रु पनडुब्बियों और सतही जहाजों के खिलाफ सटीक और तेज प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती हैं।
फ्रिगेट हेलीकॉप्टरों के माध्यम से लंबी दूरी की निगरानी, सोनार सिस्टम और वॉरहेड मिसाइल के संयोजन से आईएनएस सह्याद्री दुश्मन पनडुब्बियों को खोजने और नष्ट करने की पूरी क्षमता रखती है। मालाबार-2025 में इसका प्रदर्शन भारत की रणनीतिक सशक्तता और बहुपक्षीय सहयोग में नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करेगा।
क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और भारत का नेतृत्व
पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में समुद्री मार्गों की सुरक्षा भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मालाबार-2025 के माध्यम से भारत यह संदेश देता है कि वह क्षेत्रीय सुरक्षा, समुद्री व्यापार की स्वतंत्रता और मित्र राष्ट्रों के साथ सहयोग में सक्रिय और जिम्मेदार भूमिका निभा रहा है।
चीन की दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तारवादी गतिविधियों, पाकिस्तान के खतरों और समुद्री मार्गों पर दबाव को देखते हुए भारत की सक्रिय भागीदारी क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आईएनएस सह्याद्री जैसे आधुनिक फ्रिगेट्स इस संतुलन को कायम रखने और मित्र राष्ट्रों के साथ संचालनात्मक सामंजस्य मजबूत करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी नौसेना निर्माण
आईएनएस सह्याद्री स्वदेशी रूप से विकसित है, जो भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता और रक्षा उद्योग की ताकत को दर्शाता है। शिवालिक श्रेणी की फ्रिगेट्स, आधुनिक राडार, मिसाइल और ASW उपकरण भारतीय नौसेना को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सामरिक प्रभाव दिखाने में सक्षम बनाते हैं। स्वदेशी निर्माण से भारत न केवल अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि निर्यात और तकनीकी सहयोग के अवसर भी बढ़ाता है।
मालाबार-2025 में आईएनएस सह्याद्री की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत की नौसेना अब बहुपक्षीय समुद्री सुरक्षा और वैश्विक स्तर पर संचालनात्मक नेतृत्व के लिए तैयार है। यह अभ्यास भारत की रणनीतिक पहुंच और मित्र राष्ट्रों के साथ सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
भारत-चीन-यूएस रणनीतिक संतुलन
मालाबार अभ्यास के बहुपक्षीय स्वरूप में चीन को अप्रत्यक्ष संदेश भी शामिल है। भारत और अमेरिका के साथ जापान और अन्य मित्र राष्ट्रों के सहयोग से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन सुनिश्चित होता है। चीन के विस्तारवादी रुख के बीच भारत की सक्रिय भागीदारी न केवल सामरिक तैयारी दिखाती है, बल्कि भारत के क्षेत्रीय नेतृत्व और साझेदारी आधारित सुरक्षा मॉडल को मजबूत करती है।
आईएनएस सह्याद्री जैसे स्वदेशी जहाज, बहुपक्षीय अभ्यास और एंटी-सबमरीन क्षमता चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को संकेत देती हैं कि भारत अपनी सुरक्षा और समुद्री मार्गों की रक्षा में सक्षम और सतर्क है।
आईएनएस सह्याद्री का गुआम में बहुपक्षीय अभ्यासों में भाग लेना भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन युद्धकौशल, संचालनात्मक सामंजस्य, क्षेत्रीय नेतृत्व और स्वदेशी क्षमताओं का प्रतीक है। मालाबार-2025 केवल तकनीकी प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक दूरदृष्टि और मित्र राष्ट्रों के साथ मजबूत साझेदारी को प्रदर्शित करता है। यह अभ्यास भारत की क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, सामरिक संतुलन और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व सुनिश्चित करने में एक निर्णायक कदम है।

























