प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक खतरनाक राजनीतिक एजेंडा की आड़ में, भारत के कुछ लेफ्ट-लिबरल खेमों ने फिर एक बार देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाया है। जुलाई 2025 में अमेरिका में हुई एक मामूली चोरी की घटना को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर प्रचारित किया गया और बांग्लादेशी मूल की महिला को “गुजराती” बताकर पीएम मोदी और भाजपा पर झूठा आरोप लगाया गया। यह घटना न केवल मीडिया की नैतिकता पर सवाल उठाती है, बल्कि लोकतंत्र और राष्ट्रीय गौरव के दृष्टिकोण से भी गहन चिंतन का विषय है।
अमेरिकी पत्रकार ब्रिटनी वान की रिपोर्ट में आरोपी का नाम रबैया सुल्ताना था। वह बांग्लादेशी मूल की महिला थी, जिसे अमेरिका के Target स्टोर में चोरी करते हुए पकड़ा गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि उसके पति की जांच चल रही थी, क्योंकि वह घटना के समय स्टोर के पास देखा गया था। लेकिन चार महीने बाद, कांग्रेस IT सेल और कुछ लेफ्ट-लिबरल इन्फ्लुएंसरों ने इस खबर को चुनिंदा रूप से उठाया, संदर्भ हटाया और झूठा दावा फैलाया कि आरोपी महिला “गुजराती भारतीय” है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष, जो वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई की पत्नी भी हैं, ने इस झूठे प्रचार को सोशल मीडिया पर फैलाया। उन्होंने इसे भारत में “नैतिक संकट” का उदाहरण बताया और भाजपा को दोषी ठहराया। इस रणनीति ने स्पष्ट कर दिया कि कुछ विपक्षी नेता देश की गरिमा और सत्य को तुच्छ मानते हैं।
सागरिका घोष का यह पहला विवाद नहीं है। उनका मीडिया और राजनीतिक रिकॉर्ड पहले भी इसी तरह के झूठ और पक्षपात से भरा रहा है। जून 2025 में इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर उन्होंने ट्वीट किया कि इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लागू इसलिए की क्योंकि “RSS भारत को पूर्ण अराजकता की ओर धकेल रहा था।” इस बयान ने इमरजेंसी के दौरान पीड़ित हजारों नागरिकों की पीड़ा को नजरअंदाज किया।
अगस्त 2025 में, यूट्यूब चैनल “दिल से विद कपिल सिबल” पर इंटरव्यू में उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि पहलगाम आतंकवादी हमले को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि हमले के पीड़ितों ने स्पष्ट किया कि आतंकियों ने हिंदुओं को निशाना बनाया।
इस पूरी श्रृंखला से साफ पता चलता है कि सागरिका घोष का मीडिया प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत वैचारिक एजेंडा के लिए प्रयोग होता है। वह लगातार कांग्रेस-काल की गलतियों को सफेद धोने की कोशिश करती हैं और BJP पर हर संभव आरोप लगाती हैं।
कांग्रेस IT सेल और लेफ्ट-लिबरल मीडिया का योगदान इस झूठी कहानी को फैलाने में निर्णायक रहा। पुराने अमेरिकी लेख को चुनिंदा रूप से पेश कर और संदर्भ हटाकर उन्होंने झूठा नैरेटिव तैयार किया। इस रणनीति का उद्देश्य स्पष्ट था: मोदी-विरोध को बढ़ावा देना, भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुँचाना, और जनता को गुमराह करना।
इस झूठे प्रचार से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर प्रभाव पड़ा। अमेरिका में हुई एक मामूली चोरी को भारत का मामला बना देना और उसे मोदी-विरोध से जोड़ना अंतरराष्ट्रीय पाठकों के लिए भ्रम पैदा करता है। यह दर्शाता है कि कुछ विपक्षी नेता व्यक्तिगत एजेंडा के लिए देश की गरिमा को तुच्छ मानते हैं।
सागरिका घोष राजसभा सांसद हैं, और उनका वेतन भारतीय करदाताओं द्वारा दिया जाता है। इसके बावजूद, वे समय और ऊर्जा झूठा प्रचार फैलाने और राजनीतिक लाभ के लिए खर्च कर रही हैं। असली जनसेवा यह है कि वह बंगाल में मंदिरों पर हमलों को रोकें, अवैध घुसपैठ और फर्जी वोटर पहचान की समस्या सुलझाएँ और समाज में कानून व व्यवस्था बनाएँ।
“गुजराती दुकानदार” वाला झूठा प्रचार यह दर्शाता है कि कुछ लेफ्ट-लिबरल खेमों के लिए सत्य और राष्ट्रीय छवि मोदी-विरोध से नीचे हैं। मोदी या किसी अन्य नेता का विरोध लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब करना और झूठ फैलाना देशद्रोह है।
इस पूरी घटना से हमें यह भी सीख मिलती है कि लोकतंत्र में मीडिया की नैतिकता और सांसदों की जिम्मेदारी कितनी अहम है। झूठ फैलाकर राजनीतिक लाभ उठाना न केवल विपक्ष के एजेंडे को उजागर करता है, बल्कि लोकतंत्र और राष्ट्रीय गौरव के लिए खतरा भी बनता है।
सागरिका घोष और कांग्रेस IT सेल का यह प्रयास देश की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला साबित हुआ। अमेरिका में हुई एक साधारण चोरी को भारत का मसला बनाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को कमजोर करता है और राजनीतिक स्वार्थ की राजनीति को उजागर करता है।
यह घटना याद दिलाती है कि भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष का विरोध लोकतांत्रिक अधिकार हो सकता है, लेकिन देश को बदनाम करना स्वीकार्य नहीं। राष्ट्रीय हित और देश की गरिमा की रक्षा हर नागरिक और सांसद की जिम्मेदारी है।
अमेरिका में हुई चोरी का मामला केवल राजनीतिक एजेंडा के लिए इस्तेमाल किया गया। यह न केवल विपक्षी नेताओं की वैचारिक असंवेदनशीलता दिखाता है, बल्कि भारत के लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर प्रभाव डालता है। ऐसे झूठे प्रचार के खिलाफ सच को उजागर करना और देश की गरिमा बनाए रखना हर जिम्मेदार भारतीय का कर्तव्य है।
