कर्नाटक विधानसभा में हेट स्पीच और हेट क्राइम के खिलाफ बिल पेश किया गया है। इसका मकसद है नफरत और घृणा फैलाने वाली अपराध पर रोक लगाना ।अक्सर समाज में कई ऐसे बयान आते हैं जिससे समाज में गंदगी फैलती है। जिसे देखते हुए सरकार कानून लाने का फैसला ली है।
कड़ी सजा
बता दें कि बिल के प्रावधान बहुत ज्यादा कड़े हैं, पहली गलती पर 7,8 साल की सजा, और दोबारा गलती होने पर 2 से 10 साल की सजा हो सकती है। हेट स्पीच और हेट क्राइम के प्रावधान को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है। जिसका दायरा काफी लंबा है जिसमें ऑनलाइन चीजों पर भी निगरानी रखी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस बात में कोई शक नहीं कि आजकल नफरत फैलाने वालों की संख्या काफी ज्यादा फैल गई है, गलत बयान देकर लोग एक दूसरे के खिलाफ भड़काते नजर आते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट कई बार इस मामले पर चिंता जता चुका है। अदालत ने कहा था कि नागरिकों की चिंता करना हमारा धर्म है। जिसके बाद इस पर जजमेंट आया था, जिसमें कई चीजों की सुधार पर चर्चा की गई थी। कई दिशा निर्देश भी दिए थें।
बात यहीं खत्म नहीं होती है, जब इतना बड़ा कानून आता है तो उसके दुरुउपयोग की भी चिंता भी बढ़ जाती है, कानून को लागू करने से पहले इसके बारे में जानना जरुरी हो जाता है कि कौन सी नफरत फैलाने वाली है और कौन सी आलोचना करने वाली बात है, दोनों के अंतर को समझ कर फैसला लेना होगा। इसी तरह असहमति के अधिकार को भी समझना जरुरी है।
बिल में सोशल मीडिया नेटवर्क को भी शामिल किया गया है, जिसमें इंटरनेट पर तेजी से फैल रहे दुष्प्रभाव को रोकने की कोशिश की जाएगी। हालांकि इस बिल को लेकर कई पक्ष विरोध जता रहे है, वहीं कर्नाटक बीजेपी का कहना है कि यह बिल कुछ समूह को निशाने बनाने के लिए लाया गया है।
हालांकि सरकार का कहना है कि यह बिल देश में शांति बनाएं रखने के लिए किसी को बेवजह परेशान करने के लिए नहीं है।






























