'अटल बिहारी वाजपयी ' के लिए खोज परिणाम

अटल

अटल बिहारी वाजपेयी जी के लोकसभा में दिए गये पांच यादगार भाषण

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी 93 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गये लेकिन उन्होंने भारत की राजनीति में जो बदलाव किये और उनके योगदान हमेशा याद किये जायेंगे। अटल जी को उनके ओजस्वी भाषण शैली के लिए जाना जाता था। उन्होंने वर्ष 2005 में आखिरी बार ...

विपक्ष

सरकार सशक्त है लेकिन विपक्ष ही लापता है

संसद की कार्यवाही के दौरान आए दिन कुछ न कुछ बवाल होता रहता है किंतु इसमें नया क्या है, बवाल तो पहले भी होता था। अब अंतर बस इतना हो गया है कि पहले बवाल मुद्दों पर होता था और विपक्ष सरकार का विरोध करते हुए देश हित को ध्यान ...

प्रोफेसर बी बी लाल

पद्मलोचन श्री राम के मंदिर के अस्तित्व को साबित करने वाले व्यक्ति को मिला पद्म विभूषण

रामसेतु के मुद्दे पर एक बार कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने देश के सर्वोच्च अदालत में हलफनामा देते हुए कहा था, “Ram Doesn't Exist” संभवतः यही कारण है कि अदालतों ने भी राम मंदिर के अयोध्या विवाद को कभी ज्यादा महत्व नहीं दिया! लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद ...

राजनीति काल सर्प योग

वाड्रा, सिद्दिकी, रंजन और अन्य: ‘दामाद योग’ राजनीति का काल सर्प योग है

भारतीय राजनीति के लिए वंशवाद सदैव एक कलंक रहा है, किंतु इसमें भी विशेष रूप से राजनेताओं के दामादों के कारण नेताओं और उनके दलों को नुकसान हुआ है। इसके कई उदाहरण देखने को मिले हैं। हाल की बात करें तो दामादों का ये काल सर्प योग महाराष्ट्र में चल ...

मोदी

‘बहुत हुआ तुम्हारा अब NDA से निकलते बनो’, नीतीश कुमार को PM मोदी का स्पष्ट संदेश

परिस्थिति के अनुसार गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले पलटू व्यक्ति आम तौर पर अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि समाज में उनकी प्रासंगिकता नष्ट हो जाती है। बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार की छवि भी एक पलटू नेता ...

पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा

कभी विदेश मंत्री थे, आज कल तालिबान प्रेमी हैं: अजब यशवंत की गजब कहानी

समय के साथ कुछ महत्वाकांक्षी राजनेता कैसे अपनी ही बातों से पलटी मार जाते हैं, ये आम तौर पर देखने को मिल ही जाता है, किन्तु सर्वाधिक आश्चर्य तब होता है, जब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में भी राजनीतिक बयानबाजी होती है। तालिबान का अफगानी धरती पर अधिपत्य होने ...

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच जल बंटवारा

तेलंगाना में BJP का उदय देख सहमे KCR ने कृष्णा नदी पर फिजूल का विवाद खड़ा किया है

क्षेत्रवाद के नाम पर अराजकता फैलाकर राजनीतिक लाभ लेना कुछ राजनीतिक दलों की आदत बन गई है। तमिलनाडु-कर्नाटक के बीच कावेरी विवाद और शिवसेना का मराठी अस्मिता को लेकर आक्रामक रवैया सभी ने देखा है। ऐसे में दक्षिण के दो तेलगूभाषी राज्यों के बीच क्षेत्रवाद का नया मुद्दा छिड़ सकता ...

सीएम योगी की तारीफ

हर CM को एक ऐसा PM चाहिए जो उसके काम की तारीफ करे, ठीक यही PM मोदी योगी के लिए कर रहे हैं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शासन और कार्यशैली हमेशा ही लोकप्रिय रही है। यूपी में जंगलराज का खात्मा हो या कोरोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूती से हैंडल करना, सीएम योगी ने सारा काम बखूबी किया है। ऐसे में बड़ी बात तब होती है, जब किसी मुख्यमंत्री ...

शाहनवाज हुसैन

नीतीश लाओ, SuMo भगाओ और शाहनवाज़ लाओ- शाह-मोदी के 3 कदम और नितीश कुमार ढेर

बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनावों के बाद जो स्थितियां बदली हैं, उसमें बीजेपी को अपना नया सियासी दांव चलने का बेहतरीन मौका मिल गया है। जेडीयू नेता नीतीश कुमार जरूर इस वक्त मुख्यमंत्री की सीट पर हैं लेकिन अब उनकी ताकत पहले जैसी नहीं रही है। वहीं, नीतीश के ...

APMC में सुधार 2 दशकों से लंबित था, किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, मोदी सरकार ने करके दिखाया

APMC में सुधार 2 दशकों से लंबित था, किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, मोदी सरकार ने करके दिखाया

देश की संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में किसानों का विरोध प्रदर्शन अराजक हो रहा है। इसी बीच यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहे एनसीपी नेता शरद पवार द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी काफी वायरल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में कृषि मंत्री रहते ...

वोटर टर्न आउट मिडिल क्लास बीजेपी

BJP की सीटों और मतदाता उपस्थिति के बीच दिलचस्प संबंध और आपको क्यों डरना चाहिए

समय के साथ भारत के वोटर्स और वोटर टर्न आउट बढ़ा है। जब 1951 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था उस चुनाव में कुल 17.3 करोड़ मतदाता पंजीकृत हुए थे, जिनमें से 44.87 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। ये संख्या साल 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब पांच गुना ...

परमाणु समीक्षा

जॉन अब्राहम अभिनीत फिल्म ‘परमाणु ‘ की सबसे ईमानदार समीक्षा ये रही

परदे पर इतिहास को उतारना कभी आसान नहीं रहा है खासकर जब बॉलीवुड के परदे पर उतारने की बात हो तब ये और कठिन नजर आता है क्योंकि यहां वास्तिवकता से ज्यादा अपने एजेंडे को पूरा करने पर जोर दिया जाता है। बेतुका कांसेप्ट, अनौपचारिक चित्रण, और जो लोग इसके ...

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